नई दिल्ली: इस मंगलवार को, मद्रास हाई कोर्ट ने एक ऐसे वकील के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू जिसे सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में अदालत की सुनवाई के दौरान एक महिला के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाते हुए दिखाया गया था.
इस वीडियो में अधिवक्ता आरडी संथाना कृष्णन को न्यायमूर्ति जी.के. इलांथिरियां द्वारा की जा रही वर्चुअल सुनवाई के दौरान एक महिला के साथ ‘कामुकता में लिप्त होते’ – जैसा कि अदालत के शब्दों में कहा गया है – दिखाया गया है.
कोविड -19 महामारी के फैलने के बाद से शुरू हुई वर्चुअल सुनवाई के बाद से अपमानजनक अदालती घटनाओं की पूरी एक शृंखला के दौरान यह बिलकुल घटना है और न्यायमूर्ति पी.एन. प्रकाश तथा न्यायमूर्ति आर. हेमलता ने इस वीडियो क्लिप का संज्ञान लेते हुए कहा कि यह इस तरह के व्यवहार को कतई नजरअंदाज नहीं कर सकता.
पीठ ने कहा, ‘जब अदालती कार्यवाही के बीच इस तरह की खुलेआम अश्लीलता सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाती है, तो यह अदालत मूकदर्शक बने रहने और नेल्सन (अंग्रेज जनरल जिसकी सिर्फ एक आंख थी) की तरह आंखें मूंदने का जोखिम नहीं उठा सकती है. ‘
अदालत द्वारा यह कदम तमिलनाडु और पुडुचेरी की बार काउंसिल द्वारा इस वकील को ‘अनुचित व्यवहार‘ के लिए निलंबित करने और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के बाद उठाया गया है.
अदालत ने राज्य पुलिस की अपराध शाखा-सीआईडी को यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का भी आदेश दिया कि प्रथम दृष्टया तौर पर यह वीडियो आईटी अधिनियम, 2000 और अन्य दंड कानूनों का उल्लंघन है. इसने चेन्नई शहर के पुलिस आयुक्त को इस क्लिप को और प्रसारित होने से रोकने का भी आदेश दिया.
अदालती कार्यवाही के दौरान हुई इस ‘अश्लील गतिविधि’ की ओर ध्यान देते हुए, पीठ ने कहा कि अदालती सुनवाई के हाइब्रिड मॉडल पर पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता है. इसने सिफारिश की कि इस मसले पर कोई नीतिगत निर्णय लेने के लिए इस मामले को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए.
अदालत ने कहा, ‘हमारे विचार से अब वह समय आ गया है कि हम अदालती कार्यवाही को हाइब्रिड मोड में करने की प्रक्रिया पर फिर से विचार करें.’
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वर्चुअल बू-बू की बहुतायत
मार्च 2020 के बाद से भारतीय अदालतों में वर्चुअल सुनवाई शुरू होने के बाद से कई सारी शर्मनाक घटनाएं हुई हैं, जिसमें अधिवक्ता रंगीन कपड़े, बनियान और यहां तक कि पूजा की पोशाक में भी सुनवाई में भाग लेते रहे हैं.
जुलाई 2021 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों को ‘अस्वीकार्य’ और ‘अनुचित’ कहते हुए वर्चुअल सुनवाई के लिए एक ड्रेस कोड जारी की. इसने उन वकीलों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया जो अप्रिय पृष्ठभूमि और शोर-शराबे वाले स्थानों से, जिसमें बाज़ार और पार्किंग में खड़े किए गए वाहन शामिल हैं, सुनवाई में भाग लेते हैं या फिर चेहरे पर फेस पैक के साथ बिस्तर पर आराम फरमाते हुए अदालती कार्यवाही का हिस्सा बनते हैं.
अदालत का कहना था, ‘अधिवक्ताओं को यह समझना चाहिए कि उनके घर या कार्यालय या कक्ष से वर्चुअल मोड के द्वारा मामलों की सुनवाई के दौरान उनकी मौजूदगी किसी विस्तारित अदालत कक्ष में उपस्थिति की तरह है, और यह किसी भी अदालत के अंदर कार्यवाही में भाग लेने जितनी ही गंभीर है.’
अगस्त 2020 में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने लिंक्डइन पर एक अदालत की सुनवाई का स्क्रीनशॉट साझा करने के लिए एक वकील के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी. हालांकि, बाद में उसे चेतावनी के बाद छोड़ दिया गया था.
अभिनेत्री जूही चावला द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष 5 जी तकनीक के कार्यान्वयन के खिलाफ दर्ज किया गया मुकदमा भी इसी तरह के गड़बड़झाले का शिकार हुआ था. इस मामले के दौरान कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा जूही चावला अभिनीत फिल्मों के गाना गाये जाने से अदालत की सुनवाई बाधित हुई थी, जिसकी वजह से न्यायमूर्ति जे.आर. मिधा ने अवमानना की कार्यवाही का आदेश भी दिया था.
एक अन्य घटना में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक ऐसे व्यक्ति पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जो वर्चुअल सुनवाई में बनियान पहन कर शामिल हुआ था. तब अदालत ने इस तरह के आचरण को ‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’ बताया था.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान टैबलेट के गिर जाने के बाद एक वरिष्ठ वकील को चमकीले रंग के शॉर्ट्स पहने हुए पकड़ा था, जबकि एक अन्य वकील पटना उच्च न्यायालय के समक्ष भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ हो रही सुनवाई के दौरान दोपहर के भोजन का आनंद उठा रहे थे.
सबसे चौंकाने वाली घटना तब सामने आई थी जब कर्नाटक हाईकोर्ट में हो रही एक वर्चुअल सुनवाई के दौरान एक शख्स अर्धनग्न अवस्था में दिखाई दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह द्वारा यौन शोषण की शिकायत के बाद अदालत ने मामले का संज्ञान लिया और नोटिस जारी किये.
इस तरह की शर्मिंदगी भरी घटनाएं बाकी दुनिया में भी हुई है. अमेरिका के मियामी स्थित एक कोर्ट में एक महिला ने बट इंजेक्शन का प्रसारण किया और ‘कैट लॉयर’ के नाम से प्रसिद्ध रॉड पोंटन टेक्सास की एक अदालत के सामने ज़ूम किटेन फिलटर के साथ पेश हुए.
(नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू), दिल्ली में लॉ के प्रथम वर्ष के छात्र अक्षत जैन, दिप्रिंट के साथ इंटर्न के रूप में जुड़े हैं)
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