लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में कोरोनावायरस की जांच के लिए पहुंची मेडिकल टीम पर बीते बुधवार को हुए हमले की जांच पुलिस ने तेज कर दी है. इस मामले में अबतक 10 पुरुष व 7 महिलाओं की गिरफ्तारी भी की गई है. इस बीच गुरुवार को मीडिया से बातचीत में घायल डाॅक्टर एस.सी. अग्रवाल ने कहा कि मेडिकल टीम पर हमले की अहम वजह हैं क्वारेंटाइन सेंटर्स में लापरवाही के ‘वायरल वीडियो’ हैं जिनका जिक्र हमले से पहले वहां के लोग कर रहे थे.
गलतफहमियां हैं हिंसा की वजह
डाॅ. अग्रवाल के मुताबिक, वहां के स्थानीय निवासियों के मन में तमाम गलतफहमियां थीं जिन्होंने बाद में हिंसा का रूप ले लिया. डाॅक्टर ने बताया कि उनकी टीम कोरोना पाॅजिटिव सरताज( जिसकी 13 अप्रैल को मृत्यु हुई) के रिश्तेदारों को जांच के लिए ले जाने पहुंची थी. डाॅक्टर के मुताबिक, ‘सरताज की पत्नी और बेटी को तो जांच के लिए ले आए थे, बाद में नागफनी थाने के पास रहने वाले उसके दो बेटे, भाई और भतीजे को जांच के लिए हम लेने पहुंचे थे. हमारी सबसे फोन पर बात भी हो गई थी. हम जब वहां पहुंचे तो एंबुलेंस के पास भीड़ इकट्ठी होने लगी. उनमें से कुछ लोग कहने लगे की क्वारेंटाइन के दौरान अस्पतालों में एक विशेष समुदाय को खाना नहीं देते हैं, भूखा मार देते हैं.’
डाॅक्टर के मुताबिक, ‘वह लोग बोले कि तमाम वीडियो आए हैं जिनमें क्वारेंटाइन के दौरान लोग बता रहे हैं कि खाना नहीं दे रहे हैं. ये सुनकर वहां दूसरे लोग भी भड़क गए और कहने लगे की ‘मारो -पीटो इन्हें’. हमने समझाने की कोशिश की लेकिन कोई समझने को तैयार नहीं हुआ. चारों तरफ से भीड़ ने हमें घेर लिया और पीटना शुरू कर दिया. ऊपर छतों से लोग पत्थर भी बरसाने लगे. ये एक विभत्स दृश्य था. मेरे अलावा कई और साथी भी घायल हुए हैं.’
वीडियो वाले पहेलू पर होगी जांच
इस मामले में एसपी सिटी अमित आनंद का कहना है कि पूरे मामले की जांच कर रही है. अभी तक 17 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. वहीं जिन वायरल वीडियो का डाॅक्टर अग्रवाल ने जिक्र किया है उनकी भी जांच कराई जाएगी. दिप्रिंट से बातचीत में अमित आनंद ने कहा, ‘क्वारेंटाइन सेंटर्स में यहां कोई भी लापरवाही नहीं हो रही, सबको ठीक समय पर खाना दिया जा रहा है. कुछ शरारती तत्व सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाते हैं. पुलिस उन पर कार्रवाई करेगी.’
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बता दें कि इस दौरान सोशल मीडिया पर इस दौरान जो एक फोटो खूब वायरस हुआ वह था छत के ऊपर खड़ी महिलाओं द्वारा बड़ी- बड़ी ईंटे और पत्थर स्वास्थ्य कर्मचारियों और पुलिस वालों पर फेंकना. जिसे न केवल सोशल मीडिया में बल्कि न्यूज चैनलों ने भी दिखाया. चौंकाने वाली बात ये है कि इस वीडियो में बच्चे भी शामिल हैं जिसे लेकर भी कार्रवाई की बात कही जा रही है.
ड्रोन कैमरे से चिन्हित किए गए आरोपी
एसपी सिटी ने दिप्रिंट को यह भी बताया, ‘मौके से जो फोटो, सीसीटीवी फुटेज मिले हैं उनके आधार पर पुलिस जांच कर रही है. इसके अलावा ड्रोन कैमरे के जरिए भी एक वीडियो मिला है जिसमें एक घर से पत्थर फेंके गए हैं. इनमें महिलाएं शामिल थीं, उसकी जांच भी कराई जा रही है.’
मुरादाबाद में #CoronaWarriors पर हुए हमले के विडीओ रिपोर्ट्स में नाबालिगों को शामिल किए जाने की आशंका पर @NCPCR_ गम्भीर है, #SSP @moradabadpolice @amitpathak09 से चर्चा कर आपराधिक कृत्य में बच्चों को शामिल करने वालों को चिन्हित कर #JJAct की धारा 83(2) कार्यवाही अनुशंसित की है। pic.twitter.com/ztKLijZnAC
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) April 15, 2020
चाइल्ड कमीशन ने भी अपील
इस मामले में नेशनल कमीशन फाॅर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने मेडिकल टीम पर हुए हमले के वीडियो रिपोर्ट्स में नाबालिगों को शामिल किए जाने की आशंका पर बच्चों को शामिल करने वालों को चिन्हित कर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जेजेएक्ट) की धारा 83(2) कार्यवाही की अपील की है. इसको लेकर कमीशन के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट भी किया है.
क्या था मामला
मुरादाबाद में 13 अप्रैल को सरताज नाम के एक युवक की कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि के बाद मौत हो गई थी. इसके बाद देर रात सरताज के कुछ परिजनों को क्वारेंटाइन किया गया. वहीं कुछ अन्य परिजनों को क्वारेंटाइन में ले जाने के लिए बुधवार को एक मेडिकल टीम वहां पहुंची तो उस पर मोहल्ले वालों ने हमला कर दिया. इस दौरान पत्थरबाजी भी हुई जिसमें एक डाॅक्टर समेत मेडिकल स्टाफ के कई लोग घायल हो गए. देर शाम पुलिस ने 17 लोगों की गिरफ्तारी की. इस पूरे मामले में सीएम योगी आदित्यानाथ ने रासुका के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. वहीं आरोपियों से सरकारी संपत्ति के नुकसान का हर्जाना भी वसूला जाएगा.