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Thursday, 21 November, 2024
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एनकाउंटर- कब, क्या, कैसे हुआ, एससी में देर रात याचिका दाखिल कर क्या मांग की थी विकास दुबे ने

विकास दुबे ने शुक्रवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को उसकी जान की हिफाजत करने का निर्देश देने की मांग की थी.

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कानपुर/दिल्ली/लखनऊ: कानपुर कांड में आठ पुलिस वालों की हत्या का मुख्य आरोपी और कुख्यात अपराधी विकास दुबे शुक्रवार की सुबह पुलिस के हाथों एक एनकाउंटर में मारा गया. पुलिस के अनुसार उज्जैन से कानपुर लाते समय हुए सड़क हादसे में एक पुलिस वाहन के पलटने के बाद दुबे ने भागने का प्रयास किया. हालांकि सिस्टम को अच्छे से समझ रहे विकास ने अपने बचाव की पूरी तैयारी की थी लेकिन वह बच न सका. इस एनकाउंटर में विकास को चार गोलियां लगी हैं. तीन छाती पर और एक हाथ में.

 देर रात खटखटाया था एससी का दरवाजा

विकास दुबे के शुक्रवार को कानुपर के पास पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को उसकी जान की हिफाजत करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी मांग की गई थी कि वह पुलिस के हाथों न मारा जाए.

वकील घनश्याम उपाध्याय की ओर से शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा इन पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में हत्या ‘न केवल अत्यंत गैरकानूनी और अमानवीय है, बल्कि अदालत की अंतरात्मा को भी झकझोरने वाली है और यह देश का तालिबानीकरण है जिसको बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता.’

उपाध्याय ने समाचार एजेंसी पीटीआई बताया, ‘मैंने देर रात दो बजे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से याचिका दाखिल की थी.’

याचिका में दुबे के घर, वाहनों और अन्य संपत्तियों को ढहाने और तोड़ने के संबंध में भी प्राथमिकी दर्ज करने का उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी.

याचिका में यह मांग भी की गई थी कि पिछले सप्ताह आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में कथित तौर पर दुबे के साथ शामिल रहे पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में मारे जाने के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की जाए और शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई से जांच कराई जाए.

हालांकि अभी भी कानपुर पुलिस विकास दुबे से जुड़े लोगों की तलाश में पुलिस जुटी हुई है. चौबे थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में विकास दुबे के साथी दयाशंकर अग्निहोत्री जो सरकारी राशन की दुकान का मालिक है उससे देसी बम बरामद किए हैं. कानपुर पुलिस का कहना है कि उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा रहा है. दयाशंकर से 7 देसी बम बरामद किए गए हैं.


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पुलिस ने क्या कहा

पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि सड़क हादसे के बाद दुबे ने मौके से भागने का प्रयास किया, जिसके बाद हुई मुठभेड़ में वह मारा गया. वहीं, पुलिस वाहन पलटने से पुलिस निरीक्षक सहित चार पुलिसकर्मी घायल भी हो गए, जिनमें से एक की हालत गंभीर है.

कैसे हुई दुर्घटना-छीनी पिस्तौल और एनकाउंटर

कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने बताया कि सड़क दुर्घटना सुबह हुई. उन्होंने कहा ‘तेज बारिश हो रही थी. पुलिस ने गाड़ी तेज भगाने की कोशिश की जिससे वह डिवाइडर से टकराकर पलट गयी और उसमें बैठे पुलिसकर्मी घायल हो गये. उसी मौके का फायदा उठाकर दुबे ने पुलिस के एक जवान की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की और कुछ दूर भाग भी गया. ’

कुमार ने कहा, ‘तभी पीछे से एस्कार्ट कर रहे एसटीएफ के जवानों ने उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की और उसी दौरान उसने एसटीएफ पर गोली चला दी जिसके जवाब में जवानों ने भी गोली चलाई और वह घायल होकर गिर पड़ा. हमारे जवान उसे अस्पताल लेकर गये जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.’

इस बीच, पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया कि सड़क दुर्घटना कानपुर के भौती इलाके में हुयी .

कानपुर परिक्षेत्र के एडीजी जे. एन. सिंह ने बताया, ‘मुठभेड़ में दुबे घायल हो गया जिसके बाद उसे हैलट अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.’

चार घाव-तीन सीने पर और एक हाथ में लगी गोली

इस बीच गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज :जीएसवीएम: के कार्यवाहक प्राचार्य डा आर बी कमल ने संवाददाताओं को बताया कि दुबे को अस्पताल में पूरी तरह से मृत अवस्था में लाया गया था . उन्होंने कहा कि दुबे के शरीर पर चार घाव दिखे, जिनमें से तीन सीने पर और एक हाथ में थे . हालांकि, इसके बारे में बाकी जानकारी पोस्टमार्टम होने के बाद पता चलेगी . हैलट अस्पताल जीएसवीएम का हिस्सा है .

कमल ने बताया कि दुबे का कोरोना टेस्ट भी करवाया गया और उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी है . उन्होंने बताया कि इसके बाद दुबे का शव पोस्टमार्टम के लिये पुलिस को सौंप दिया गया .

सिंह ने कहा कि विस्तृत जानकारी के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट को इंतजार है.

वहीं, अग्रवाल ने बताया कि गाड़ी पलटने से घायल पुलिस कर्मियों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंन्द्र कल्याणपुर में भर्ती कराया गया है.

उन्होंने बताया कि गाड़ी पलटने से विकास दुबे के साथ वाहन में सवार नवाबगंज के पुलिस निरीक्षक रमाकांत पचूरी और कॉन्स्टेबल पंकज सिंह, अनूप कुमार तथा प्रदीप घायल हो गये. मौके का फायदा उठाकर दुबे पचूरी की पिस्तौल छीनकर भाग गया, लेकिन मुठभेड़ में घायल हो गया और फिर अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.

अग्रवाल ने बताया कि घायल हुए पुलिसकर्मियों में से एक की हालत गंभीर है और उसे हैलट अस्पताल भेजा गया है.


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दुबे एनकाउंटर पर राजनीति गरमाई

विकास दुबे को बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार किया गया था .

गौरतलब है कि दो तीन जुलाई की दरमियानी रात कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिस दल पर दुबे और उसके साथियों ने गोलियां बरसाई थीं, जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. दुबे की कथित मुठभेड़ में मारे जाने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को सवाल किया कि अपराधी का अंत हो गया, लेकिन अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या होगा.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?’ इस घटनाक्रम पर समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि यह कार पलटी नही है, राज खुलने से, सरकार पलटने से बचायी गयी है .

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘दरअसल यह कार नही पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है .’ दुबे के कथित मुठभेड़ में मारे जाने पर प्रदेश की एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री तथा बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि पूरे मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच होनी चाहिये .

मायावती ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर कहा, ‘कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड के मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने और उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय उच्चतम न्यायाय की निगरानी में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.’

उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा, ‘ यह उच्च-स्तरीय जाँच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए आठ पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके. साथ ही, पुलिस, अपराधी और राजनीतिक गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके. ऐसे कदमों से ही उत्तर प्रदेश अपराध-मुक्त हो सकता है.’

इस बीच घटनाक्रम पर कांग्रेस ने सवाल किया कि दुबे के पास ऐसे क्या राज थे जो शासन से गठजोड़ को उजागर करते.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह दावा किया कि कई लोगों ने ऐसी आशंका जताई थी कि दुबे मुठभेड़ में मारा जाएगा.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘ विकास दुबे मुठभेड़ में मारा गया. कई लोगों ने पहले ही ये आशंका जताई थी. लेकिन अनेकों सवाल छूट गए.’

सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘अगर उसे भागना ही था, तो उसने उज्जैन में आत्मसमर्पण ही क्यों किया? उस अपराधी के पास क्या राज थे जो सत्ता-शासन से गठजोड़ को उजागर करते? पिछले 10 दिनों की कॉल डिटेल जारी क्यों नहीं की जाए?’


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दुबे गिरोह के पांच मारे जा चुके हैं- कब क्या हुआ

गौरतलब है कि बिकरू कांड के बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ हुई अलग-अलग मुठभेड़ों में दुबे के गिरोह के पांच सदस्य मारे गये हैं. तीन जुलाई की सुबह ही बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ में प्रेम प्रकाश पांडेय और अतुल दुबे मारे गये थे .

आठ जुलाई को हमीरपुर के मौदहा में पुलिस ने 50 हजार रुपये के इनामी बदमाश और विकास के खास अमर दुबे को मार गिराया था.

वहीं नौ जुलाई को कानपुर मुठभेड़ में कार्तिकेय उर्फ प्रभात जबकि इटावा मुठभेड़ में प्रवीण उर्फ बउवा दुबे मारा

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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