नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ उनके उप व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना द्वारा लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में जमा कर दी.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति श्याम किशन कौल की पीठ के समक्ष एक अन्य रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई. यह रिपोर्ट वर्मा के स्थान पर कार्यभार संभाल रहे कार्यवाहक सीबीआई निदेशक एम.नागेश्वर राव द्वारा लिए गए फैसलों पर जमा की गई है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को करने का निर्देश दिया है.
इससे पहले 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी को आलोक वर्मा पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच 2 हफ्तों के भीतर पूरी करने के लिए कहा था. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बीते 23 अक्टूबर को केंद्रीय सतर्कता आयोग की सलाह पर आलोक वर्मा से सारे अधिकार वापस ले लिए और उन्हें छुट्टी पर भेज दिया था. वर्मा की जगह पर एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त कर दिया था.
आलोक वर्मा ने केंद्र सरकार के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और इसे रद्द करने की मांग की है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ आलोक वर्मा की याचिका और एनजीओ कॉमन कॉज की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है.
कहा जा रहा है कि सीबीआई के दोनों वरिष्ठतम अधिकारियों के बीचे मचे इस घमासान से जांच एजेंसी की विश्वसनीयता पर उठे सवालों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)