नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने विदेशों में स्थित मंदिरों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अयोध्या में पुजारियों के लिए एक ‘ट्रेनिंग सेंटर’ शुरू करने का फैसला किया है.
वीएचपी के अध्यक्ष आलोक कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए फरीदाबाद में भी ऐसा ही एक सेंटर खोला जाएगा. उन्होंने कहा कि इन सेंटर्स का उद्देश्य उन चिंताओं को दूर करना है कि कई ‘पुजारी’ और ‘अर्चक’ अपने दैनिक कार्यों में आवश्यक भारतीय शास्त्रों और मंत्रों से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं.
कुमार ने कहा कि एक सेंटर अंग्रेज़ी बोलने वाले देशों के लिए समर्पित होगा, जबकि दूसरा भारत के लिए होगा. उन्होंने कहा कि यह कदम “विदेशों में हिंदू मंदिरों में ऐसे पुजारियों की भारी मांग” के मद्देनज़र उठाया गया है.
कुमार ने कहा, “विदेशों में कई हिंदू मंदिर हैं और कई बार कई पुजारी मंत्रों का जाप करने या हमारे युवाओं को उनकी समझ में आने वाली भाषा में कुछ शास्त्रों की प्रासंगिकता समझाने में पारंगत नहीं होते हैं. शुरुआत में हम दो सेंटर शुरू करेंगे, एक अयोध्या में और दूसरा फरीदाबाद में.”
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक कंप्यूटर ज्ञान भी कोर्स का हिस्सा होगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि विचार पुजारियों को प्रशिक्षित करने का है ताकि वे न केवल भक्तों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दे सकें, बल्कि लोगों को नियमित रूप से हिंदू मंदिरों में जाने के लिए “प्रेरित” भी कर सकें.
शुरुआत में वीएचपी 30 छात्रों का एक बैच शुरू करेगी, जिन्हें अनिवार्य रूप से “वीएचपी और अन्य समान विचारधारा वाले निकायों” द्वारा संचालित वैदिक विद्यालयों से निकाला जाएगा.
कुमार ने कहा, “सेंटर एक निःशुल्क बोर्डिंग सुविधा प्रदान करेगा और हमारे द्वारा प्रशिक्षित पुजारियों को प्रमाण पत्र जारी किया जाएंगे. हम यह भी पता लगाने की प्रक्रिया में हैं कि क्या कोई विश्वविद्यालय या बोर्ड है जिसके साथ हम गठजोड़ कर सकते हैं. यह तीन महीने का कोर्स होगा और शैक्षणिक और व्यावहारिक अनुभव रखने वाले शिक्षक प्रशिक्षण देंगे.”
वीएचपी के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “अर्चक या पुजारी मंदिरों में अनुष्ठान करते हैं, पुरोहित अलग होते हैं क्योंकि वे विवाह अनुष्ठान करते हैं. आज के युवाओं के मन में कई सवाल हैं और प्रशिक्षण के पीछे का उद्देश्य पुजारियों को उनकी जिज्ञासाओं को शांत करने और हिंदू धर्मग्रंथों के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए तैयार करना है.” पदाधिकारी ने आगे कहा कि यह आज के युवाओं को भारतीय संस्कृति और धर्म से जोड़ने का एक तरीका है.
एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि “विभिन्न जातियों, धर्मों और संप्रदायों के मठ और मंदिर देश में सामाजिक जागरण, धार्मिक प्रचार, सेवा और सद्भाव के केंद्र बनें.”
पदाधिकारी ने कहा, “पूजा और पुरोहिताई का काम धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार शुद्ध मंत्रोच्चार के साथ पूरा किया जाना चाहिए. विहिप ने पूरे देश में अर्चकों की नियुक्ति की है.”
एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, “पुजारियों के ट्रेनिंग के लिए एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है. इससे न केवल भारतीय उपमहाद्वीप में बल्कि पश्चिमी देशों के मंदिरों और घरों में भी अनुष्ठान और धार्मिक शिक्षा का प्रसार होगा.”
उन्होंने कहा, “विदेशों में हिंदू मंदिरों में ऐसे पुजारियों की बहुत मांग है. इसे पूरा करने के लिए इन ट्रेनिंग प्रोग्राम में अंग्रेज़ी और अन्य भाषाओं के साथ तकनीकी ट्रेनिंग भी दी जाएगी. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में समाज के हर वर्ग, जाति, पंथ और समुदाय को भागीदार बनाया जाएगा.”
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