जम्मू, एक नवंबर (भाषा) जम्मू में अधिकारियों ने सभी मकान मालिकों, संपत्ति मालिकों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए अपने किरायेदारों, घरेलू सहायकों और कर्मचारियों के विवरण की जानकारी सात दिन के भीतर स्थानीय पुलिस को उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया है।
जिलाधिकारी राकेश मिन्हास ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत शुक्रवार को जारी आदेश, जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की एक रिपोर्ट के बाद जारी किया गया है, जिसमें इस तरह के सत्यापन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया था।
यह आदेश स्थानांतरण कार्यालयों के पुनः खुलने से कुछ दिन पहले आया है, जो 31 अक्टूबर को श्रीनगर में बंद कर दिए गए थे और ‘दरबार स्थानांतरण’ की प्राचीन परंपरा के अनुसार तीन नवंबर को फिर से खुलने वाले हैं।
निर्देश के अनुसार, सभी संपत्ति मालिकों, ठेकेदारों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान प्रमुखों को अपने किरायेदारों और श्रमिकों का विवरण एक घोषणापत्र के माध्यम से प्रस्तुत करना होगा, जिस पर मालिक और किरायेदार/श्रमिक दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए। यह या तो व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक के माध्यम से संबंधित थाना प्रभारी को प्रस्तुत करना होगा।
इसमें कहा गया है कि जिन लोगों ने आदेश जारी होने से पहले ही परिसर किराए पर दे दिया है या कर्मचारी रखे हैं, उन्हें छह नवंबर तक पूरा ब्योरा देना होगा। निर्देश के अनुसार, भविष्य में ऐसा करने वालों को भी सात दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर थाना प्रभारी को सूचित करना होगा।
आदेश में जम्मू जिले के प्रत्येक थाने को किरायेदार और कर्मचारी सत्यापन रिकॉर्ड के लिए एक अलग रजिस्टर रखने का निर्देश दिया गया है।
इसमें स्पष्ट किया गया है कि श्रमिकों को काम पर रखने, साथ ही संपत्ति को ‘पेइंग गेस्ट’ और किरायेदारों को किराए पर देने या उप-किराए पर देने की सभी व्यवस्थाएं इस आदेश के अंतर्गत आएंगी।
आदेश में कहा गया है कि इसका उल्लंघन करने पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जम्मू और कश्मीर में दरबार स्थानांतरण प्रणाली के तहत, सरकारी कार्यालय गर्मियों के महीनों में श्रीनगर से संचालित होते हैं और सर्दियों में जम्मू में स्थानांतरित हो जाते हैं।
उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा 2021 में समाप्त कर दिए जाने के बाद, 16 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला सरकार द्वारा इस परंपरा को बहाल किया गया।
भाषा तान्या नेत्रपाल
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