तिरुवनंतपुरम: फरवरी 2017 की एक रात को एर्नाकुलम में एक मशहूर मलयालम महिला एक्टर का छह लोगों ने चलती कार में अपहरण कर यौन शोषण किया था. इन लोगों ने बाद में ब्लैकमेल करने के लिए इस घटना का वीडियो भी रिकॉर्ड किया था. अगले दिन सर्वाइवर ने पुलिस से शिकायत की और केस के चलते जल्द ही कथित मुख्य साज़िशकर्ता और एक्टर-प्रोड्यूसर दिलीप को गिरफ्तार कर लिया गया.
कानूनी लड़ाई, सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप और कोर्ट पर पक्षपात के दावों के आठ साल बाद, यह केस अब खत्म होने जा रहा है. एर्नाकुलम की प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुनाएगी.
दिलीप इस केस में आठवें आरोपी हैं और उनके सहयोगी सुनील एन.एस. उर्फ़ पल्सर सुनी पहले आरोपी हैं. दोनों जमानत पर बाहर हैं. सभी 12 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120(ए) (आपराधिक साजिश), 109 (अपराध के लिए उकसाना), 342 (गलत तरीके से बंद करना), 366 (अपहरण), 354 (हमला), और 376(डी) (सामूहिक दुष्कर्म) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
यह केस, जो अन्यथा यौन शोषण की एक अकेली घटना हो सकती थी, ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को ऐतिहासिक रूप से बदल दिया. नवंबर 2017 में ‘वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ (WCC) नाम का संगठन बना, जो भारतीय सिनेमा में अपनी तरह का पहला ऑल-वुमन ग्रुप है.
इस केस की वजह से उसी साल तीन-सदस्यीय जस्टिस हेम मां कमेटी भी बनी, जिसने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर यौन शोषण का खुलासा किया. जुलाई 2024 में जारी रिपोर्ट में बताया गया कि महिला कलाकारों को इंडस्ट्री में आने से पहले ही अनचाही हरकतों का सामना करना पड़ता था. इस रिपोर्ट के बाद अन्य भाषाओं की फिल्म इंडस्ट्री में भी ऐसी समस्याओं पर रोशनी पड़ी.
केस और टाइमलाइन
केरल की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट से प्राप्त रिकॉर्ड के अनुसार, 17 फरवरी 2017 की रात को सर्वाइवर को तब अपहरण किया गया जब वह त्रिशूर से कोच्चि कार से नेशनल हाईवे पर जा रही थीं. पहले छह आरोपियों ने चलती कार में उनका यौन शोषण किया और पहले आरोपी सुनी ने मोबाइल फोन पर इसकी रिकॉर्डिंग की. इसके बाद उसे छोड़ दिया गया.
पुलिस ने 23 फरवरी को सुनी को गिरफ्तार किया और वीडियो वाला मेमोरी कार्ड बरामद किया. जल्द ही जांच दिलीप तक पहुंची, जो फिल्म इंडस्ट्री में एक प्रभावशाली नाम हैं. जांच से पता चला कि अभिनेता सर्वाइवर से दुश्मनी रखते थे.
“आरोप है कि याचिकाकर्ता सर्वाइवर को अपनी वैवाहिक जिंदगी के टूटने के लिए जिम्मेदार मानते थे. बदला लेने के लिए उन्होंने पहले आरोपी के साथ मिलकर उसका अपहरण करने, यौन शोषण करने, इन घटनाओं को रिकॉर्ड करने और वीडियो के जरिए ब्लैकमेल करने की साजिश की,” केरल हाई कोर्ट ने अगस्त 2018 में कहा था.
दिलीप केरला स्टेट फिल्म अवॉर्ड विजेता और मलयालम सुपरस्टार हैं. उन्होंने 90 के दशक की शुरुआत में मिमिक्री आर्टिस्ट के रूप में करियर शुरू किया और बाद में कई हिट फिल्मों में एक्शन-कॉमेडी और फैमिली रोल्स के लिए पहचाने गए.
2010 के बाद उन्होंने फिल्म प्रोडक्शन में कदम रखा और ‘धे पुट्टू’ नाम से कई शहरों में रेस्तरां खोले, जिनमें एक बहरीन में भी है. उन्होंने त्रिशूर के चलाकुडी में ‘डी सिनेमास’ नाम का मल्टीप्लेक्स शुरू किया और 2017 में एक नए संगठन फिल्म एग्ज़िबिटर्स यूनाइटेड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केरला की स्थापना की. जुलाई 2017 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और लगभग तीन महीने जेल में रखा गया.
2018 में, दिलीप ने वीडियो वाले मेमोरी कार्ड की क्लोन कॉपी पाने के लिए एर्नाकुलम की निचली अदालत, केरल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक में अर्जी लगाई, लेकिन सभी अदालतों ने इसे खारिज कर दिया. दिलीप का कहना था कि वीडियो फर्जी है और उसमें छेड़छाड़ हुई है. जबकि अदालतों ने कहा कि यह इलेक्ट्रॉनिक सबूत सर्वाइवर की “प्रतिष्ठा, गरिमा और सम्मान” से जुड़ा है और “सार्वजनिक हित” में है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जब किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार और दूसरे व्यक्ति के वैधानिक अधिकार में टकराव हो, तो मौलिक अधिकार को प्राथमिकता मिलेगी.
2020 में मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई. 2022 में सर्वाइवर ने जज पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए केस को दूसरी अदालत में भेजने की अपील की, लेकिन यह याचिका खारिज कर दी गई.
सुनी को सितंबर 2024 में सात साल जेल में रहने के बाद लंबी ट्रायल अवधि को देखते हुए जमानत मिल गई. उसी साल, हाई कोर्ट ने सर्वाइवर की वह याचिका भी खारिज कर दी जिसमें कोर्ट कस्टडी में रहते हुए मेमोरी कार्ड तक अनधिकृत पहुंच की जांच के लिए SIT बनाने की मांग की गई थी. 26 नवंबर को सेशंस कोर्ट ने कार्यवाही पूरी कर ली और फैसला 8 दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया.
प्रभाव लहर
जब कोर्ट में कानूनी लड़ाई चल रही थी, तभी इस केस ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में सुधार की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी.
घटना के तुरंत बाद, कई फिल्म कलाकार और टेक्नीशियन सर्वाइवर के समर्थन में खुलकर सामने आए और इंडस्ट्री में मौजूद लैंगिक असमानता को उजागर किया. इस समूह में रीमा कलिंगल और पार्वती तिरुवोथु जैसी एक्ट्रेस शामिल थीं. इन्होंने मई 2017 में WCC बनाया और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से मुलाकात कर निष्पक्ष जांच के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने यह भी बताया कि AMMA आरोपी एक्टर का समर्थन कर रही थी और उसे केवल गिरफ्तारी के बाद भारी विरोध के चलते निकाला गया.
जुलाई 2017 में, राज्य सरकार ने WCC की याचिका के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की स्थिति का अध्ययन करने के लिए जस्टिस हेम समिति बनाई. समिति ने दो साल तक कई महिलाओं की बातें सुनीं और 2019 में रिपोर्ट सौंप दी. लेकिन रिपोर्ट में देरी होने पर राज्य सरकार को आलोचना और RTI मांगों का सामना करना पड़ा. आखिरकार, जुलाई 2024 में राज्य सूचना आयोग ने फैसला दिया कि रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए, जिससे कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए.
235 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया कि “इंडस्ट्री में कई लोगों को यह मानने पर मजबूर किया जाता है कि इंडस्ट्री में आने वाली या टिकने वाली सभी महिलाएं ऐसा सिर्फ इसलिए कर पाती हैं क्योंकि उनका इंडस्ट्री के पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध होता है.”
“सबूतों में यह सामने आया है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के दस से पंद्रह लोग, जो इंडस्ट्री के सबसे आगे हैं, एक पावर ग्रुप बनाते हैं और पूरी इंडस्ट्री को नियंत्रित करते हैं.”
रिपोर्ट जारी होने के बाद, कई महिलाएं सामने आईं और मुकेश, जयराम, सुधीश, रियास खान, मनियनपिल्ला राजू और AMMA के पूर्व महासचिव एडावेला बाबू जैसे बड़े नामों पर आरोप लगाए. इसके बाद सरकार ने इन मामलों की जांच के लिए SIT बनाई. हालांकि, एक साल बाद SIT ने केरल हाई कोर्ट को बताया कि उसने दर्ज किए गए सभी 35 केस बंद कर दिए क्योंकि उन्हें पीड़ितों के बयान नहीं मिले.
रिपोर्ट के बाद, AMMA की कार्यकारी समिति के सभी 17 सदस्यों, जिनमें इसके अध्यक्ष मोहनलाल भी शामिल थे, ने 2024 में इस्तीफा दे दिया. उसी साल संगठन ने एक्टर श्वेता मेनन को अपना प्रमुख चुना, जो इसकी पहली महिला प्रमुख बनीं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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