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Thursday, 25 April, 2024
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वेणुगोपाल धूत को मिली जमानत, हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी की वजह को बताया ‘आधारहीन’

पीठ ने अपने 48 पृष्ठ के फैसले में कहा कि प्रत्येक मामले में गिरफ्तारी जरूरी नहीं है और मौजूदा मामले में सीबीआई द्वारा उल्लfखित गिरफ्तारी ‘‘काफी अनियत तथा आधारहीन’’ है.

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मुंबई: बंबई हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी के करीब एक महीने बाद वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत की अंतरिम जमानत अर्जी शुक्रवार को मंजूर कर ली.

अदालत ने धूत को जमानत देते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई द्वारा बतायी वजह ‘‘काफी अनियत और आधारहीन है.’’

हाईकोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी अपनी ‘‘पसंद’’ के अनुसार किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता. उसने यह कहते हुए विशेष अदालत को भी फटकार लगायी कि उसने केस डायरी के साथ ही रिमांड अर्जी पर गौर करने के लिए कोई ‘‘गंभीर प्रयास’’ नहीं किया.

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पी के चव्हाण की खंडपीठ ने धूत को एक लाख रुपये की जमानत राशि पर जमानत दी. अदालत ने उन्हें नकद मुचलका भरने और इसके दो हफ्ते बाद जमानत राशि जमा कराने की इजाजत दी.

पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के उसके आदेश पर रोक लगाने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया, ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके.

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धूत को 26 दिसंबर 2002 को गिरफ्तार किया गया था और वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं. उनके वकील संदीप लड्डा और विरल बाबर ने कहा कि वे अब धूत की रिहाई की औपचारिकताएं पूरी करेंगे.

यह दूसरी बार है जब सीबीआई को इस मामले में अदालत ने फटकार लगायी है. इसी पीठ ने नौ जनवरी को सह-आरोपियों आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को जमानत देते हुए अनौपचारिक तरीके से उनकी गिरफ्तारी करने के लिए सीबीआई को खरी-खोटी सुनायी थी.

अदालत ने मामले में हस्तक्षेप करने और कोचर दंपति को अंतरिम जमानत देने वाले इसी पीठ द्वारा पारित आदेश को वापस लेने की एक वकील द्वारा दायर अर्जी भी खारिज कर दी.

पीठ ने वकील पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

धूत ने 10 जनवरी को हाईकोर्ट का रुख किया था, जब इसी पीठ ने कोचर दंपति को जमानत दी थी. कोचर दंपति को 23 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था.

धूत के वकील संदीप लड्डा ने दलील दी थी कि धूत की गिरफ्तारी अवांछित है, क्योंकि उन्होंने जांच में सहयोग किया है.

बहरहाल, सीबीआई ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि वीडियोकॉन समूह के संस्थापक ने जांच से बचने की कोशिश की थी और उनकी गिरफ्तारी वैध है.

हाईकोर्ट ने 13 जनवरी को दलीलें सुनी थी.

अभी न्यायिक हिरासत में बंद धूत ने सीबीआई की प्राथमिकी रद्द करने और उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किए जाने का अनुरोध किया था.

अदालत प्राथमिकी रद्द करने के मुख्य मुद्दे पर छह फरवरी को याचिका पर सुनवाई करेगी.

पीठ ने अपने 48 पृष्ठ के फैसले में कहा कि प्रत्येक मामले में गिरफ्तारी जरूरी नहीं है और मौजूदा मामले में सीबीआई द्वारा उल्लfखित गिरफ्तारी ‘‘काफी अनियत तथा आधारहीन’’ है.

अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में सीबीआई ने धूत को सम्मन भेजे थे और ऐसे दो मामलों में सम्मन किसी और को भेजे गए या धूत के पूर्व कार्यालय की इमारत की दीवार पर चिपकाए गए.

हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया यह याचिकाकर्ता द्वारा गैर उपस्थिति तथा गैर सहयोग को दिखाने के लिए सीबीआई द्वारा सोची-समझी चाल के अलावा और कुछ नहीं दिखायी देती.’’

उसने कहा कि इन सबके बावजूद धूत ने सम्मन के जवाब में सीबीआई को ईमेल किए.

धूत ने सीबीआई द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को ‘‘मनमानी, अवैध, कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना उठाया गया कदम और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 (ए) का घोर उल्लंघन बताया था, जिसके अनुसार आरोपी को जांच के लिए नोटिस जारी करना अनिवार्य होता है और अत्यंत आवश्यक होने पर ही गिरफ्तारी की जानी चाहिए.’’

हाईकोर्ट ने कोचर दंपति को अंतरिम जमानत देते हुए उन्हें ‘‘लापरवाही से’’ और ‘‘बिना सोचे-समझे’’ गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई के प्रति नाखुशी भी जताई थी.

सीबीआई ने कोचर दंपति, दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2019 के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया है.

एजेंसी का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं.

प्राथमिकी के अनुसार, इस मंजूरी के एवज में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल स्थानांतरित की. पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट और एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था.

बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने बुधवार को चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत की कस्टडी दो दिन के लिए और बढ़ा दी थी. मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की वकेशन बेंच ने कोचर दंपत्ति को किसी तरह के अंतरिम राहत देने से मना कर दिया था और याचिकाकर्ताओं से रेग्युलर बेंच को एप्रोच करने को कहा था, जो कि क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों के बाद खुलेंगी.


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