नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि 23 ऐसे मामले हैं जहां सरकारी विभागों ने भ्रष्टाचार के सिलसिले में उसकी सलाह की काफी हद तक अनदेखी की।
उसने कहा कि इनमें से सबसे अधिक पांच मामले रेल मंत्रालय तथा दो-दो मामले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड (ईईएसएल) से संबद्ध हैं।
आयोग का कहना है कि एक-एक मामला दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण (डीपीए), भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल), भारतीय विमान पत्तनम प्राधिकरण (एएआई), आईडीबीआई बैंक लिमिटेड और इंडियन ओवरसीज बैंक से संबंधित था।
आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2024 में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी), ‘कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई)’, ‘मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल)’, ‘सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल)’, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), प्रसार भारती और जवाहर नवोदय विद्यालय द्वारा उसकी सलाह नहीं मानने के एक-एक मामले का भी हवाला दिया।
प्रशासन में शुचिता सुनिश्चित करने वाली इस संस्था (सीवीसी) की हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग की सलाह नहीं मानने से सतर्कता प्रक्रिया दूषित होती है और सतर्कता प्रशासन की निष्पक्षता कमजोर होती है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) केंद्र सरकार, उसके निगमों, कंपनियों और सोसाइटियों आदि के सतर्कता प्रशासन पर अधीक्षण करता है तथा सतर्कता मामलों पर सलाह देता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग द्वारा यह सलाह किसी विशेष मामले से संबंधित सभी तथ्यों, दस्तावेजों और अभिलेखों के तर्कसंगत मूल्यांकन के आधार पर दी जाती है, जो संबंधित संगठन उसके संज्ञान में लाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अधिकतर मामलों में अनुशासनात्मक प्राधिकारियों द्वारा आयोग की तर्कसंगत सलाह को स्वीकार करना, आयोग की सलाह की वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता का संकेत है।’’
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अधिकारियों के कुछ मामलों में, या तो आयोग के साथ निर्धारित परामर्श तंत्र का पालन नहीं किया गया या संबंधित प्राधिकारियों ने आयोग की सलाह को स्वीकार नहीं किया।
भाषा
राजकुमार माधव
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