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Tuesday, 10 December, 2024
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लॉकडाउन से भुखमरी की कगार पर बनारस के बुनकर, पीएम मोदी को लिखा पत्र और सीएम से भी गुहार

वाराणसी के लोहता, बजरडीहा, मदनपुरा, पितरकुंडा से कोरोनावायरस के मरीज मिले हैं. इस बुनकर बाहुल्य इलाकों को सील करने से भुखमरी जैसे हालात.

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वाराणसी: पीएम पोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बुनकरों की हालत बाद से बदतर होती जा रही है. लॉकडाउन की वजह से पावरलूम और हथकरघा बंद पड़े हुए हैं. बुनकर भुखमरी के कगार पर हैं. उन जगहों की स्थिति और भी ज्यादा बुरी है जहां कोरोनावायरस के मरीज पाये गए हैं और इलाके को सील कर दिया गया है.

वाराणसी के लोहता, बजरडीहा, मदनपुरा, पितरकुंडा, से कोरोनावायरस के मरीज पाये जाने की पुष्टि हुई है, ये सभी इलाके बुनकर बाहुल्य हैं. इन इलाकों को सील करने की वजह से यहां भुखमरी जैसे हालात हो गए हैं.

लोहता के शमसुद्दीन अंसारी हथकरघा बुनकर हैं. शमसुद्दीन कहते हैं कि, ‘रोज काम करके पेट चलता था, लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया है, लगभग एक महीने हो गए हैं, इधर-उधर से जो मिल जा रहा है उसी से पेट का काम चल रहा है, काम भी चलता तो ये लगता कि हां, काम किए हैं आज नहीं कल पैसा मिलेगा. काम बंद है, खाने को रोज चाहिए, क्या होगा.’

बजरडीह की स्थिति और भी ज्यादा खराब है, यहां के कुछ बुनकर दाने-दाने के लिए तरस रहे हैं. अनीश नाम के बुनकर बताते हैं कि ‘पिछले कुछ महीने से बुनाई की हालत ज्यादा खराब हो गई थी, जब भी बुनाई की हालत खराब होती है सबसे पहले उसका असर बुनकरों पर ही पड़ता है, ये बुनकर पहले से ही परेशान थे लेकिन लॉकडाउन के बाद से इनकी हालात और ज्यादा खराब हो गई है, स्थिति ये है कि इन्हें भूखा रहना पड़ रहा है.’


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अनीश कहते हैं कि, ‘अगर काम शुरू होता तो गिरस्ता (मालिक) के यहां से कुछ पैसा मिल जाता, लेकिन हथकरघा और पावरलूम बंद होने की वजह से स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई है.’

पिछले हफ्ते सपा अध्यक्ष आखिलेश यादव ने वाराणसी की बुनकरों की समस्या उठाई थी. अखिलेश ने कहा, ‘वाराणसी प्रधानमंत्री जी का संसदीय क्षेत्र है. वहां लॉकडाउन में फंसे पूर्वांचल के 4 लाख 30 हजार बुनकर परिवारों के सामने खाने का संकट है. अखिलेश यादव ने कहा कि बुनकर परिवारों के कामधंधे बंद हैं. आमदनी न होने से वे बाजार दर पर खाद्य सामग्री, सब्जी, दवाएं खरीद नहीं पा रहे. उनके लिए तत्काल राहत पैकेज का ऐलान करना चाहिए.’

दस्तार संघ की ओर से पीएम को लिखा गया पत्र.

बनारस में बंद पड़े हथकरघा उद्योग को खोलने के लिए बुनकर दस्तकार अधिकार मंच के अध्यक्ष इदरीस अंसारी ने बनारस के सांसद और प्रधानमंत्री को पत्रा लिखा है, इदरीस अंसारी ने पीएम मोदी से बुनकरों की आर्थिक मदद करने की गुहार लगायी है.

पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में इदरीश अंसारी लिखते हैं कि ‘लॉकडाउन होने की वजह से वाराणसी सहित पूरे पूर्वांचल के बुनकर समाज के लोगों के आगे भूखमरी कि स्थिति पैदा हो गई है. पिछले महीनों से पावरलूम एवं हथकरघा उद्योग दोनों बंद पड़े हैं और रोज़ कमाने और खाने वाले लोगों तक अब खाने को कुछ नहीं रह गया है. बुनकर समाज में तीन तरह के लोग हैं. एक मज़दूर, दूसरे मालिक (पावरलूम या हथकरघा चलाने वाले और तीसरे व्यापारी हैं. इसमें मिडिल क्लास के लोग जो खुलकर के किसी से कुछ सहयोग नहीं ले पा रहे ऐसे लोगों की स्थिति बहुत ही नाजुक हैं.’

इदरीश अंसारी लिखते हैं कि ‘हम उत्तर प्रदेश सरकार एवं केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि जिस तरह से किसान के लिए सहूलियत देने का ऐलान किया गया है उसी तरह से कुछ शर्तों के साथ और लॉकडाउन को देखते ही बुनकरों के लिए भी ताना-बाना की दुकान खोलने की अनुमति दें ताकि लोग ताना-बाना खरीद सकें और अपने करोबार को चालू कर सकें. अगर ऐसा होता है तो बुनकर समाज के आगे जो संकट हैं उसमें कुछ हद तक कमी आएगी.’

इससे पहले जिला खाद्य सुरक्षा सतर्कता समिति के सदस्य और मानवाधिकार जन निगरानी समिति के प्रमुख डॉ. लेनिन ने 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बजरडीहा के आठ परिवारों के सम्बंध में एक पत्र लिखा, जो भुखमरी के कगार पर थे.

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखा गया पत्र.

पत्र में लेनिन रघुवंशी लिखते हैं कि बजरडीहा में बहुत से ऐसे परिवार है जो भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. ये परिवार रोज बुनकारी, दैनिक मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं जिससे वे रोज मजदूरी मिलने के पश्चात ही दैनिक जरूरतों के सामान को खरीद पाते हैं. परन्तु दिनांक 23 मार्च 2020 से पूरे प्रदेश में चल रहे लॉकडाउन कारण यहां पर कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास आज के समय में खाने पीने व अन्य आवश्यक वस्तुए खरीदने के लिए न तो पैसे हैं और ना ही कोई विकल्प है. ऐसी स्थिति में ये परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच सकता है.

लेनिन रघुवंशी ने पत्र में कई बुनकरों के नाम का जिक्र किया है. ये वो परिवार हैं जो भुखमरी के कगार पर हैं. मालूम हो कि बजरडीहा बुनकर बहुल क्षेत्र है. यहां बुनाई के अलावा रोजगार के नाम पर और कुछ नहीं है.


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लोहता के 45 साल के बुनकर मोहम्मद रियाज बताते हैं कि, ‘लॉकडाउन की वजह से जो काम बंद है सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाली यही है, मौसम लगातार बदल रहा है. बंद होने की वजह से मशीन खराब हो जायगी. जब काम शुरू होगा, जो नुकसान हुआ है वो तो हुआ ही है, लेकिन जो नुकसान हो रहा है उसकी कैसे भरपाई कर पायेंगे.’

रियाज कहते हैं कि, ‘काम पर जो ताना-बाना लगा हुआ है वो खराब हो रहा है, जो कपड़ा तैयार है वो खराब हो रहा है, जो मशीन बंद पड़ी हुई है वो खराब है, हम इस नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे, दोबारा काम शुरू करने में महीनों लग जाएंगे.’

वाराणसी के बुनकर अधिकारी नीतीश धवन बताते हैं, ‘वाराणसी में करीब 25 हज़ार हथकरघा बुनकर हैं, जबकि पचहत्तर (75) हज़ार पावरलूम के बुनकर हैं. वाराणसी से बुनकरों के टर्नओवर के बारे में नितीश धवन बताते हैं कि इसका कोई ऑथेंटिक डेटा तो नहीं है लेकिन हम लोग ये मानकर चलते हैं कि 600 करोड़ का टर्नओवर है.’ लॉकडाउन की वजह से साड़ी के कारोबार पर काफी फर्क पड़ेगा, दोबार से काम शुरू करने और एक शृंखला बनाने में समय लगेगा.

(रिज़वाना तबस्सुम वाराणसी से स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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