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Friday, 29 March, 2024
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वाराणसी में मोदी किट को लेकर दो गुटों में झड़प, पुलिस भी हुई घायल

मुसहर बस्ती और गांव के लोगों ने बताया कि पंचायत चुनाव होना है, इसके लिए गांव में कई गुट बन गए हैं. प्रधानी कब्जाने के लिए अभी से सियासत शुरू हो गई है.

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वाराणसी: ऊबड़-खाबड़ रास्ते, टूटी-फूटी साइकिल, कूची हुई मोटरसाइकल, कहीं बंद कहीं खुली हुई झोपड़ियां, झोपड़ियों की छत पर टंगे प्लास्टिक, गरम हवा में चीरने वाली खामोशी, बूटों की आवाज, लोगों के चेहरे पर खामोशी, बुझे हुए चूल्हे, बिखरे हुए टूटे-फूटे बर्तन, उदास बैठी भेड़-बकरियां, चारों ओर दहशत का महौल और खौफ से भरा हुआ मंजर…. ये स्थिति है पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पिंडरा क्षेत्र के थाना गांव स्थित मुसहर बस्ती की.

थाना गांव में शनिवार की शाम दो गुटों के बीच जमकर मारपीट हुई थी, जिसमें कुछ पुलिस वाले भी घायल हो गए थे. इस घटना में पुलिस की एक बाइक भी कूंच दी गई है, कई मुसहरों की मड़इयां फूंक दी गई हैं. पुलिस का टियर गन और एक मोबाइल छीन लिया गया है. घटना हुए कई घंटे बीत जाने के बाद भी महौल में दहशत भरा हुआ है. लोगों के चेहरे पर डर साफ-साफ देखा जा सकता है. दो गुटों में हुए झगड़े में लोग इस कदर उग्र हो गए थे कि पुलिस से भिड़ने और मरने-मारने से भी नहीं चूके. अलबत्ता सुरक्षा बलों पर ईंटें बरसायी गईं और जानलेवा हमला भी किया गया. इस हादसे में पुलिस इंस्पेक्टर अनवर अली समेत आधा दर्जन पुलिसकर्मी और कुछ ग्रामीण बुरी तरह घायल हुए हैं.

मुसहर समुदाय के एक शख्स ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि, ‘शनिवार की शाम करीब सात बजे के आसपास अनाज को लेकर विवाद शुरू हुआ. यहां पर मोदी किट बांटा जा रहा था लेकिन मुसहरों को मोदी किट नहीं दिया जा रहा था. हमारे समुदाय के लोगों का बस यही कहना था कि हम भी बीजेपी के समर्थक हैं. हम लोगों को भी मोदी किट का खाद्यान्न दिया जाए’.

इस गांव में दो बस्तियां हैं. एक मुसहर समाज की और एक दबंग समाज की, जिन दो लोगों के बीच लड़ाई हुई है. इस घटना को आगामी प्रधानी के चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) मारतंड प्रताप सिंह ने इस घटना को जातीय संघर्ष बताया है. उन्होंने कहा कि घटना की गहन जांच-पड़ताल की जा रही है.

वारदात के बाद बस्ती में मौजूद रंगीला और रामा ने बताया कि शनिवार की दोपहर में रमेश मुसहर का बेटा चिरंजीवी के साथ दूसरे वर्ग का हर्ष सिंह खेल रहा था. इसी दौरान दोनों बच्चों में विवाद हुआ जिसके बाद हर्ष सिंह और चिरंजीवी में मारपीट हो गई. यही घटना, बाद में बड़े उपद्रव का सबब बन गई.

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प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि भीड़ की शक्ल में मौजूद उपद्रवियों ने ईंटें चलाईं और जमकर लाठी-डंडों का इस्तेमाल किया. बस्ती की एक महिला रोला ने बिलखते हुए और उपद्रवियों को कोसते हुए कहा कि दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. रोला न केवल बौखलाई हुई थीं, बल्कि चीख-चीखकर बार-बार यही कह रही थीं कि इस वारदात के पीछे पंचायत चुनाव की आग है जो अभी से धधकने लगी है. हमें तो बेवजह निशाना बना दिया गया.

पुलिस के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान हम लोग अपनी ड्यूटी पर लगे हुए थे, तभी हमें फोन पर सूचना मिली कि, ‘थाना गांव में राशन वितरण को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हम लोग जैसे ही मुसहर बस्ती की तरफ बढ़े ही थे कि बस्ती के रमेश मुसहर, गब्बर, पहपट, रमेश की पत्नी सरोजा और बृजेश की पत्नी कुदनी गाली गलौच करते हुए अन्य लोगों को ललकारने लगी’. पुलिस वाले बताते हैं कि इस बीच बस्ती के लोग घेराबंदी कर हमला कर दिये. इस घटना में प्रभारी निरीक्षक समेत आधा दर्जन सिपाही और कुछ ग्रामीण जो हम सभी के बचाव में लगे हुए थे, घायल हो गए.

एक अन्य व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बच्चों के विवाद के बाद आपसी लड़ाई ने ऐसा सियासी रंग डाला कि इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया. इस संघर्ष के पीछे पंचायत चुनाव को लेकर अभी से शुरू होने वाली गोलबंदी है. इस गोलबंदी की जद में कई निरक्षर और निर्दोष मुसहर भी फंस गए.

मुसहर बस्ती और गांव के लोगों ने बताया कि पंचायत चुनाव होना है, इसके लिए गांव में कई गुट बन गए हैं. प्रधानी कब्जाने के लिए अभी से सियासत शुरू हो गई है. असल बात यह है कि मुसहर समुदाय के लोगों के पास प्रधान को जिताने-हराने की वोटों की ताकत है. इसी कवायद में मुसहरों में फूट डालकर दो गुटों में खड़ा कर दिया गया है. विवाद भले ही बच्चों के बीच का रहा हो लेकिन असल मामला पंचायत का चुनाव ही है. इस बस्ती में मुसहरों के कुल 40-50 परिवार रहते हैं.

पुलिस की एफआईआर में मामला राशन वितरण को लेकर विवाद बताया गया है, जिसे मुसहर बस्ती के लोग गलत बता रहे हैं. रंगीला और राम मुसहर बताते हैं कि शनिवार को दोपहर में भोजन का पैकेट आया था, जिसे विजय शंकर पांडेय उर्फ छन्नू और सुरेंद्र पांडेय ने बंटवाया था. जातीय हिंसा भोजन वितरण का कारण नहीं थी. सब कुछ सुनियोजित था और आगामी पंचायत चुनाव की चाशनी में पगा हुआ था. सब कुछ इतना आनन-फानन में हुआ कि पुलिस तात्कालिक रूप से तब तक नहीं पहुंच पाई और वारदात की कहानी को खाद्यान्न से जोड़ दिया.

सैकड़ों लोगों पर एफ़आईआर दर्ज

फूलपुर थाना के उपनिरीक्षक लक्ष्मण प्रसाद शर्मा की तहरीर पर 26 नामजद समेत 50 अज्ञात के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है. इस घटना में घायल रामपुर निवासी विपिन सिंह ने भी रमेश मुसहर, धीरेंद्र सिंह समेत 30 लोगों के खिलाफ नामजद रपट दर्ज कराई है. पुलिस ने विपिन सिंह की तहरीर पर धारा 147, 148, 159, 336, 323, 504, 506 और 307 के तहत मामला दर्ज किया है.


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हमलावरों की तलाश में पुलिस लगी हुई है. खबर लिखे जाने तक पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली है. पुलिस की टीयर गन, जो घटना के दौरान लूट ली गई थी अभी तक (खबर लिखे जाने तक) उसे भी बरामद नहीं किया जा सका है. पुलिस ने घटना के दूसरे दिन रविवार को गांव के तालाब में भी टीयर गन की तलाश की लेकिन कोई भी सफलता हाथ नहीं लगी.

इस मामले को लेकर पुलिस क्षेत्राधिकारी अनिल राय बताते हैं, ‘घटना की गहन जांच-पड़ताल चल रही है. आरोपियों को पकड़ने के लिए लगातार दबिश दी जा रही है.’ वो कहते हैं, ‘आरोपितों के पकड़े जाने के बाद सही तथ्य निखरकर सामने आएंगे. जल्द ही मामले का पर्दाफाश होगा.’ क्षेत्राधिकारी ने ये भी कहा कि ‘किसी भी निर्दोष को नहीं फंसाया जाएगा. सिर्फ उनके खिलाफ ही कार्रवाई होगी जो इस मामले में वाकई दोषी हैं.’

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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