(तस्वीरों के साथ)
(अनिल भट्ट)
कटरा (रियासी), छह जून (भाषा) बादलों को छूते दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल को पार करते हुए कश्मीर तक रेलगाड़ी से सफर करने का लंबे समय से देखा जा रहा सपना शुक्रवार को हकीकत में तब्दील हो गया। घाटी तक जाती ट्रेन सुंदर नजारों और इन्सान की साहसी सोच को संयोजित करती यात्रा प्रतीत होती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कटरा और श्रीनगर शहर के बीच दो विशेष रूप से डिजाइन की गई वंदे भारत रेलगाड़ियों को हरी झंडी दिखाई, जिससे दोनों स्थानों के बीच यात्रा का समय दो से तीन घंटे कम हो गया है और अब कश्मीर घाटी के साथ साल भर संपर्क सुनिश्चित हो गया है।
यह रेलगाड़ी संकरी घाटियों, हरे-भरे जंगलों और हिमालय की ऊंची चोटियों से घिरी गहरी घाटियों तथा शिवालिक पर्वत श्रृंखला में बनाई गई सुरंगों के बीच से होकर गुजरती है, जिसके समानांतर चिनाब नदी बहती है।
मानव निर्मित इंजीनियरिंग अजूबों में सबसे ऊंचा चिनाब पुल, भारत का पहला केबल आधारित रेलवे पुल और 13 किलोमीटर लंबी टी-50 सुरंग शामिल हैं।
देश भर के यात्रियों, खासतौर पर प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिए यह यात्रा दुनिया के सबसे खूबसूरत और विस्मयकारी मार्गों में से एक पर अविस्मरणीय यात्रा करने का अवसर देगी।
दिल्ली से लेखक सतेश वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘यह कोई साधारण ट्रेन नहीं है, बल्कि पर्यटन के लिए बनाई गई खास ट्रेन है। इस यात्रा के दौरान यात्री शानदार दृश्य का आनंद लेने के साथ प्रकृति से भी संबंध स्थापित करेंगे। इस पूरे रास्ते में खूबसूरत और मनमोहक दृश्य हैं। मुझे यह बहुत पसंद है। मैं इसे आने वाले कई वर्षों तक याद रखूंगा।’’
भारत के सबसे उत्तरी भाग में बसा जम्मू और कश्मीर प्राकृतिक वैभव और शांत सुंदरता का एक कालातीत प्रतीक है। इस मनमोहक क्षेत्र का अनुभव करने के कई तरीकों में से एक, कटरा से कश्मीर तक की ट्रेन की यात्रा होगी; जो देश के कुछ सबसे शानदार दृश्यों का दीदार कराने के साथ लुभावनी यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी।
लोकोमोटिव पायलट मनोज कुमार मीणा ने कहा कि वह कश्मीर तक पहली रेलगाड़ी चलाने से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने इसे, ‘‘प्रकृति के निरंतर बदलते स्वरूपों – जंगलों से लेकर चट्टानी पर्वत चोटियों, गहरी घाटियों और संकरी घाटियों के साथ-साथ मानव निर्मित चमत्कारों के माध्यम से एक अद्भुत दुनिया की सरल यात्रा करार दिया।’’
मीणा ने कहा,‘‘मुझे कश्मीर के लिए इस ट्रेन का संचालन करने पर गर्व है, जिसे यहां से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? यह सपनों के संसार सरीखे इलाके का दीदार करने की यात्रा है।’’
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘प्रकृति का हर दृश्य थोड़ी दूरियों के बाद बदल जाता है। दुनिया का सबसे ऊंचा पुल और सुरंगें सबसे बड़े आकर्षण हैं।’’
कुमार, उनके साथी लोकोमोटिव पायलट विकास चौहान और राजेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘इससे पर्यटन के मामले में जम्मू क्षेत्र का परिदृश्य बदल जाएगा। इससे पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा।’’
माता वैष्णो देवी मंदिर के आधार शिविर कटरा से उद्घाटन के बाद जैसे ही रेलगाड़ी आगे बढ़ी, ऐसा लगा जैसे पोस्टकार्ड में छपी तस्वीरें जीवंत हो गई हैं, कश्मीर घाटी में कदम रखने से पहले ही मन को मोह लेने वाले दृश्य दिखाई देने लगते हैं।
कश्मीर के एक रेलवे कर्मचारी साहिल कुमार ने कहा कि जैसे ही ट्रेन पहाड़ों के बीच में प्रवेश करेगी, यात्रियों को बदलते मौसम और परिदृश्यों का एक अनूठा नजारा देखने को मिलेगा, जिसमें सर्दियों में बर्फ से लदे देवदार के जंगल, वसंत के जीवंत फूल और गर्मियों की हरी-भरी हरियाली से लेकर शरद ऋतु की सुनहरी छटा शामिल है।
उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे ट्रेन ऊंचाई वाले इलाकों में जाती है, जम्मू के मैदान धीरे-धीरे पन्ने जैसे जंगलों, ऊंची चोटियों, हरी घाटियों और सर्पीली नदी चिनाब में बदल जाते हैं।
कुमार ने कहा, ‘‘हिमालय, शिवालिक और पीरपंजाल की भव्यता एक शानदार पृष्ठभूमि बनाती है, जबकि ट्रेन की सुंदर आंतरिक सज्जा और आराम दायक माहौल नाटकीय दृश्यों में एक सुखद आकर्षण जोड़ते हैं।’’
जब वंदे भारत रेलगाड़ी समुद्र तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब पुल पर पहुंची, तो रेलगाड़ी में सवार स्कूली बच्चों ने खुशी और गर्व के क्षण में ‘‘जय माता दी’’ के नारे लगाए।
दिन की शुरुआत में एक ऐतिहासिक क्षण में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को इंजीनियरिंग का चमत्कार चिनाब पुल राष्ट्र को समर्पित किया। यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है, जो रियासी जिले के बक्कल और कौरी के सुदूर गांवों को जोड़ता है। कठिन भूभाग और चरम मौसम को सहने के लिए डिज़ाइन किया गया यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति को झेल सकता है और 120 साल तक चलने के लिए बनाया गया है।
वंदे भारत एक्सप्रेस में सवार नौंवी कक्षा की छात्रा सुनीता कुमारी ने कहा, ‘‘इस पुल पर जाना और तस्वीरें लेना एक सपने जैसा था। मुझे यह पल बहुत पसंद आया, यह अविस्मरणीय है। पहली ट्रेन में यात्रा करना एक शानदार अवसर है। धन्यवाद मोदी जी।’’
कटरा-बनिहाल सेक्शन पर एक और मानव निर्मित चमत्कार अंजी खड्ड पुल है, जो एक पर्यटक आकर्षण और भारत का पहला केबल आधारित रेलवे पुल है। यह 96 केबल पर टिका है। 725 मीटर लंबा यह पुल समुद्र तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना 43,780 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित है। इस 272 किलोमीटर लंबे मार्ग में 119 किलोमीटर की 36 सुरंगें और हिमालय के दुर्गम इलाकों से होकर गुजरने वाले 943 पुल शामिल हैं।
रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने कहा, ‘‘परियोजना का बनिहाल-कटरा खंड अपने मानव निर्मित अजूबों के लिए जाना जाता है – दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल, केबल आधारित अंजी खड्ड पुल, सबसे लंबी टी-50 सुरंग और सुरंगों और पुलों की एक श्रृंखला। धरती का स्वर्ग कहलाने वाले कश्मीर में पर्यटन के दृष्टिकोण से यह एक लुभावना अनुभव है।’’
भाषा धीरज मनीषा
मनीषा
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