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Thursday, 3 October, 2024
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वैली ऑफ वर्ड्स 2024 पुरस्कार: आठ श्रेणियों में की गई विजेताओं की घोषणा

VoW को प्राप्त हुई विविध प्रविष्टियों में से, पाठकों के दिलों में गहराई से उतरने वाली, पहचान, दृढ़ता और मानवीय आत्मा के विषयों को संबोधित करने वाली कथाओं को गढ़ने वाले अद्भुत प्रतिभाशाली रचनाकारों को विजेता चुना गया है.

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नई दिल्ली: समकालीन भारतीय साहित्य में बेहतरीन कृतियों को उजागर करते हुए, वैली ऑफ वर्ड्स (VoW) ने आठ श्रेणियों में VoW-REC बुक अवार्ड्स 2024 के विजेताओं की घोषणा की है. VoW ने कहा कि विजेताओं को “विविध प्रविष्टियों” में से चुना गया और “पाठकों के साथ गहराई से जुड़ने वाली कहानियों को बुनने की उनकी असाधारण क्षमता के लिए पहचाना गया”।

यह पुरस्कार साहित्य की कहानियां कहने की शक्ति और समाज पर इसके गहरे प्रभाव को मान्यता देते हैं. VoW को प्राप्त हुई विविध प्रविष्टियों में से, पाठकों के दिलों में गहराई से उतरने वाली, पहचान, दृढ़ता और मानवीय आत्मा के विषयों को संबोधित करने वाली कथाओं को गढ़ने वाले अद्भुत प्रतिभाशाली रचनाकारों को विजेता चुना गया है.

इस वर्ष की प्रमुख कृतियों में से एक है शबनम मिनवाला रचित ज़ेन, जो युवा वयस्कों (यंग ऐडल्ट्स) के लिए लिखा गया उपन्यास है. यह ज़ैनब नाम की दो लड़कियों के जीवन को जोड़ता है, जो विभिन्न युगों से हैं और राजनीतिक प्रतिरोध और व्यक्तिगत विकास के विषयों को उजागर करती हैं. इस विधा की जूरी मंदिरा शाह कहती हैं, यह उपन्यास समकालीन सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों से जुड़ा है और अपने विश्वासों के लिए खड़े होने का सशक्त संदेश देता है.

बच्चों के लिए साहित्य (लिटरेचर फॉर चिल्ड्रन) श्रेणी में विभा बत्रा रचित द छऊ चैंप एक प्रेरक कहानी है, जिसमें शुभा नामक एक लड़की लिंग आधारित पूर्वाग्रहों को तोड़ते हुए पुरुषों के वर्चस्व वाले छऊ नृत्य के प्रति अपने जुनून को तमाम बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ाती है. जूरी सदस्य आचिंत्यरूप रे कहते हैं “यह जीवंत कथा धैर्य और आत्म-विश्वास के महत्व को उजागर करती है, जो इसे युवा पाठकों के लिए एक आनंददायक पठन सामग्री बनाती है.”

मनोज मित्ता की कास्ट प्राइड: बैटल्स फॉर इक्वेलिटी इन हिन्दू इंडिया को इंग्लिश नॉन फिक्शन श्रेणी में जूरी डॉ. इश्तियाक अहमद द्वारा विजेता चुना गया है. उनका कहना है, इस पुस्तक की विस्तृत शोध और सशक्त कथा सामाजिक न्याय के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो समकालीन भारत को समझने के लिए अनिवार्य पठनीय पुस्तक बनाती है.

स्मृति रविंद्र की पुस्तक द वुमन हू क्लाइमब्ड ट्रीस् पुस्तक इंग्लिश फिक्शन श्रेणी में विजेता है. यह उपन्यास सांस्कृतिक और व्यक्तिगत बदलावों की यात्रा की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है, जिसमें गहरे प्रतीक और गीतात्मक गद्य शामिल हैं. इस श्रेणी के विजेता का चयन उपकुलपति सुरेखा डंगवाल द्वारा किया गया.

अंग्रेजी अनुवाद श्रेणी में अंजुम कटियाल द्वारा महाश्वेता देवी की मूल कृति से अनूदित ट्रूथ /अनट्रुथ(बांग्ला) पुस्तक इस वर्ष की विजेता है. जूरी सदस्य ललित कुमार के अनुसार इस अनुवाद ने मूल कृति की भावना को जीवित रखा है, जो सत्य, नैतिकता और सामाजिक पाखंड जैसे विषयों को उजागर करती है.

हिंदी अनुवाद की जूरी अमृता बेरा के चयन में बलजिंदर नसराली की मूल कृति अम्बर परियां (पंजाबी) का सुभाष नीरव द्वारा अनुवाद इस वर्ष विजेता है. यह सामाजिक और पारिवारिक तनावों के बीच एक प्रेम कहानी को दर्शाता है. अनुवाद ने इस कहानी की भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक बारीकियों को बरकरार रखा है, जो पाठकों को एक आकर्षक अनुभव प्रदान करता है.

उदय प्रकाश की अंतिम नींबू हिंदी फिक्शन में नीलेश रघुवंशी द्वारा चुनी गई है. यह अनोखी कथा अभावों और अंत आदि विषयों पर गहराई से चिंतन करती है और नई कथा कहकर समाज के जरूरी मुद्दों पर प्रकाश डालती है.

अंतिम, डॉ. सुरेश पंत द्वारा लिखी गई शब्दों के साथ-साथ हिंदी नॉन-फिक्शन श्रेणी की विजेता पुस्तक है. जूरी सदस्य लक्ष्मी शंकर बाजपेयी कहते हैं, इस पुस्तक की विस्तृत भाषा विज्ञान की चुनौतियों की विवेचना और हिंदी की समृद्धि का उत्सव इसे भाषा प्रेमियों और विद्वानों के लिए एक अमूल्य संसाधन बनाता है.

वैली ऑफ वर्ड्स और REC ने इन असाधारण कृतियों को उनके प्रेरणादायक, शैक्षिक और परिवर्तनकारी क्षमता के लिए सम्मानित किया है. फेस्टिवल डायरेक्टर संजीव चोपड़ा ने REC के सीएमडी विवेक देवांगन को उनके समर्थन और प्रोत्साहन के लिए आभार व्यक्त किया और जूरी सदस्यों की भी सराहना की, जिन्होंने लॉंगलिस्ट में शामिल सभी पुस्तकों को बारीकी से पढ़कर अंतिम चयन किया.


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