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Thursday, 26 December, 2024
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उत्तरकाशी सुरंग हादसा: ड्रिलिंग रोकी गई, बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की तैयारी में बचावकर्मी

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उत्तरकाशी/नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) उत्तराखंड में ढही सिलक्यारा सुरंग में बचाव कार्य रविवार को लगभग रुका रहा और इस दौरान एजेंसियों ने एक सप्ताह से फंसे 41 लोगों तक पहुंचने के लिए बचाव अभियान के अगले चरण के लिए स्वयं को तैयार किया।

अधिकारियों ने कहा कि सुरंग में एक लंबवत पाइप डालने के लिए एक ही दिन में मलबे के पहाड़ की चोटी तक एक सड़क बनाई गई है। इसके अलावा, टिहरी जलविद्युत विकास निगम (टीएचडीसी) बड़कोट छोर से ‘माइक्रो टनलिंग’ का काम शुरू करेगा, जिसके लिए भारी मशीनरी पहले ही जुटाई जा चुकी है। टीएचडीसी रविवार रात से ही काम शुरू कर देगा।

निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा पिछले रविवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे ढह गया था और तब से श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है।

सिलक्यारा छोर से 60 मीटर की दूरी पर ढहे हुए हिस्से के मलबे के बीच बोरिंग को शुक्रवार दोपहर तब रोक दिया गया था जब अमेरिका निर्मित ऑगर मशीन को लगभग 22 मीटर के बाद एक कठोर बाधा का सामना करना पड़ा।

इसके बाद शुकवार को बचाव अभियान की पुन: समीक्षा की गई। अधिकारियों ने निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कई वैकल्पिक योजनाएं बनाईं।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मौके पर बचाव कार्यों की समीक्षा करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अमेरिकी ऑगर मशीन से मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग करना सुरंग में फंसे श्रमिकों तक सबसे जल्दी पहुंचने का तरीका है। उन्होंने ढाई दिन में सफलता मिलने की उम्मीद जताई।

दिल्ली में मीडिया को जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि बचावकर्मियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था किए जाने के बाद यह ड्रिलिंग सोमवार को फिर से शुरू होगी।

बचावकर्मियों ने रविवार शाम तक मलबे में 39 मीटर तक छह इंच चौड़ी ट्यूब डाल दी। यह ट्यूब जब ढहे हुए हिस्से को पार कर जाएगी, तो फंसे हुए श्रमिकों को इस पाइप के माध्यम से भोजन और पानी भी भेजा जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि चार इंच के एक छोटे पाइप का उपयोग ‘कंप्रेशन’ (दबाव) के लिए किया जा रहा है और इसके माध्यम से भोजन, पानी, ऑक्सीजन और दवाइयां भेजी जा रही हैं।

विज्ञप्ति में बताया गया कि जिस हिस्से में मजदूर फंसे हैं वह सुरंग के निर्मित हिस्से का लगभग दो किलोमीटर हिस्सा है और 8.5 मीटर ऊंचा है तथा वहां बिजली और पानी उपलब्ध है।

रेल विकास निगम लिमिटेड ने मलबे के पहाड़ की चोटी तक पहुंच मार्ग का काम पूरा होने के बाद आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए लंबवत पाइपलाइन पर काम शुरू कर दिया है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है और उन्हें जल्द बाहर निकालना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विषम हिमालयी परिस्थितियों को देखते हुए बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि यहां मिट्टी का स्तर एक समान नहीं है तथा यह मुलायम और कठोर दोनों है जिससे यांत्रिक अभियान चलाया जाना मुश्किल है।

गडकरी ने कहा, ‘‘अमेरिकी ऑगर मशीन जब मुलायम मिट्टी में ड्रिलिंग कर रही थी तब वह सही तरीके से काम कर रही थी, लेकिन जब इसके सामने एक कठोर बाधा आई तो समस्या आने लगी। इस कारण मशीन को ज्यादा दवाब डालना पड़ा जिससे कंपन हुआ और सुरक्षा कारणों से इसे रोक दिया गया।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुरंग में फंसे मजदूरों और उनके परिजनों के मनोबल को बनाए रखना इस समय सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस समय एक साथ छह विकल्पों पर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय भी बचाव अभियान की करीब से निगरानी कर रहा है। हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सभी फंसे श्रमिकों को जल्द से जल्द बचाना है। जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा।’’

गडकरी ने कहा कि जिस भी मशीन की या तकनीकी सहायता की जरूरत होगी, वह उपलब्ध कराई जाएगी।

उन्होंने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को लगातार ऑक्सीजन, बिजली, खाना, पानी और दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं।

गडकरी ने कहा कि जिस पाइप से अब तक खाने की आपूर्ति की जा रही है, उसके अलावा एक ज्यादा बड़े व्यास का वैकल्पिक पाइप भी डाला गया गया है ताकि उन्हें रोटी, सब्जी और चावल भी उपलब्ध कराया जा सके।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को इकट्ठा कर उनसे सलाह मांगी गई है कि फंसे श्रमिकों को सकुशल जल्द बाहर निकालने के लिए क्या तरीके अपनाए जाएं।

उन्होंने कहा कि सुरंग के ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग शुरू करने के लिए तैयारियां चल रही हैं और मजदूरों को जल्द बाहर निकालने के लिए हरसंभव तरीका अपनाया जा रहा है।

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि मंत्री ने सुझाव दिया है कि मलबे की चोटी और सुरंग की छत के बीच जगह हो सकती है और रोबोट द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि क्या एक और पाइप को अंदर धकेला जा सकता है।

सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार 12 नवंबर से उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रतिबद्ध है और वह इसके लिए पांच-विकल्प वाली कार्ययोजना पर काम कर रही है।

जैन ने उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर अद्यतन जानकारी मुहैया कराने के लिए एक वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रतिबद्ध है और श्रमिकों को मल्टीविटामिन, अवसाद रोधी दवाएं तथा सूखे मेवे भेजे जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पांच विकल्प तय किए गए हैं और इन विकल्पों को पूरा करने के लिए पांच अलग-अलग एजेंसियां तय की गई हैं। पांच एजेंसियां अर्थात् तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल), रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसीएल) को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।’’

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘आलवेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है।

सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के तहत किया जा रहा है।

जैन ने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा केवल एक दिन में एक पहुंच मार्ग का निर्माण पूरा किए जाने के बाद आरवीएनएल ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक और लंबवत पाइपलाइन पर काम करना शुरू कर दिया है।

फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए एसजेवीएनएल लंबवत ड्रिलिंग करेगा। तदनुसार, रेलवे के माध्यम से गुजरात और ओडिशा से उपकरण जुटाए गए हैं क्योंकि 75-टन उपकरण होने के कारण इसे हवाई मार्ग से नहीं ले जाया जा सकता था।

गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाले ओएनजीसी ने बरकोट छोर से लंबवत ड्रिलिंग का शुरुआती काम भी शुरू कर दिया है।

केंद्र सरकार ने शनिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की थी, जिसमें श्रमिकों को बचाने के लिए पांच विकल्पों पर विभिन्न एजेंसियों के साथ चर्चा की गई जिन्हें विशिष्ट विकल्पों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिलक्यारा में तैनात किया गया है।

जैन ने कहा कि सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए है और सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों का मनोबल बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस क्षेत्र में मजदूर फंसे हुए हैं, वह 8.5 मीटर ऊंचा और दो किलोमीटर लंबा है। इसमें सुरंग का निर्मित हिस्सा शामिल है जहां कंक्रीटिंग का काम पूरा हो गया है, जिससे श्रमिकों को सुरक्षा मिल रही है।’’

भाषा सिम्मी नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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