देहरादून, सात अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक–2025 को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने अपनी स्वीकृति दे दी है जिसके लागू होने के बाद प्रदेश में मदरसा बोर्ड समाप्त हो जाएगा और सभी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के लिए एक समान कानून होगा ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि राज्यपाल की स्वीकृति के साथ ही इस विधेयक के कानून बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है ।
उन्होंने कहा, ‘‘इस कानून के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा जो अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को मान्यता प्रदान करने का कार्य करेगा ।’’
धामी ने कहा कि निश्चित तौर पर यह कानून राज्य में शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
इस वर्ष अगस्त में राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद धामी सरकार ने गैरसैंण में हुए राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में इस विधेयक को रखा था जहां इसे पारित कर दिया गया था ।
विधेयक के तहत, प्रदेश में मुसलमान समुदाय के साथ ही अन्य अल्पसंख्यक समुदायों—सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के शिक्षण संस्थानों को भी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा प्राप्त होगा । अभी तक अल्पसंख्यक संस्थानों की मान्यता केवल मुस्लिम समुदाय तक सीमित थी ।
इस विधेयक में एक ऐसे प्राधिकरण के गठन का प्रावधान है जिससे सभी अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थानों को मान्यता लेना अनिवार्य होगा । प्राधिकरण यह भी सुनिश्चित करेगा कि इन संस्थानों में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार शिक्षा दी जाए और विद्यार्थियों का मूल्यांकन निष्पक्ष एवं पारदर्शी हो ।
इस विधेयक के लागू होने के बाद मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 तथा गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम 2019, एक जुलाई 2026 से समाप्त हो जाएंगे ।
मुख्यमंत्री ने पूर्व में कहा था कि मदरसा शिक्षा व्यवस्था में वर्षों से केंद्रीय छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताएं, मध्याह्न भोजन व्यवस्था में गड़बड़ी और प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी जैसी गंभीर समस्याएं आ रही थीं ।
उन्होंने कहा था कि इस विधेयक से सरकार को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के संचालन की प्रभावी निगरानी एवं आवश्यक निर्देश जारी करने का अधिकार प्राप्त होगा जिससे राज्य में शैक्षिक उत्कृष्टता और सामाजिक सद्भाव और सुदृढ़ होगा ।
भाषा दीप्ति
मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.