देहरादून, 24 मई (भाषा) उत्तराखंड के रामनगर उप-जिला चिकित्सालय में एक युवक के शव को अस्पताल से शवगृह तक ई-रिक्शा में लादकर ले जाए जाने की घटना का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।
सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से इस घटना के सामने आने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किए।
कुमार ने कहा कि इस तरह की अमानवीय लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि हर व्यक्ति को, चाहे वह जीवित हो या मृत, गरिमा के साथ सेवा और व्यवहार मिले।’’
इसके अलावा इस घटना के संबंध में नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और रामनगर उप-जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से भी 26 मई तक स्पष्टीकरण मांगा गया है।
उन्होंने कहा, ”मैंने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है जिसमें वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों को शामिल किया गया है। समिति को 30 मई तक जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से 26 मई तक घटना की विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है। विशेष रूप से यह जांच की जाएगी कि शव वाहन उपलब्ध क्यों नहीं था और इस चूक के लिए कौन जिम्मेदार है।”
कुमार ने प्रदेश भर के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में यह सुनिश्चित करें कि अस्पतालों में शव वाहन की उपलब्धता रहे और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
तीन दिन पहले पौड़ी जिले के चौबट्टाखाल में बीरोंखाल के सुखई में हुई एक सड़क दुर्घटना में घायल संदीप की रामनगर में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी। उसकी मृत्यु के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा एंबुलेंस उपलब्ध न होने के कारण उसके शव को ई-रिक्शा में लादकर शवगृह भेजा गया।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और चौबट्टाखाल के विधायक सतपाल महाराज ने भी इस घटना की निंदा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ धनसिंह रावत से बात कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
भाषा
दीप्ति, रवि कांत रवि कांत
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