नैनीताल, तीन अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चंपावत के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पूर्णागिरि मार्ग पर वाहन यातायात की निगरानी के लिए ठुलीगाड और भैरव मंदिर के बीच स्थित अवरोधकों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं ।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया है कि उसके द्वारा पिछले माह 12 मार्च को दिए गए आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए इन कैमरों की फुटेज भी संरक्षित की जाएं ।
अदालत ने एसएसपी को कैमरे लगाए जाने की अनुपालन रिपोर्ट नौ अप्रैल तक दाखिल करने के निर्देश दिए । मामले की अगली सुनवाई की तारीख भी नौ अप्रैल तय की गयी है ।
उच्च न्यायालय का यह आदेश पूर्णागिरि टैक्सी एसोसिएशन की उस नयी याचिका पर आया है जिसमें अदालत के पहले दिए गए आदेश का अनुपालन न किए जाने का आरोप लगाया गया है ।
याचिका में दावा किया गया है कि जिला पंचायत द्वारा जारी निविदा के तहत सफल बोलीदाता बूम मंदिर टैक्सी संचालन समिति ने ठुलीगाड़-भैरव मंदिर मार्ग पर प्रतिदिन केवल 75 टैक्सियों को चलाने की अनुमति दी है ।
यह भी आरोप लगाया गया है कि समिति के साथ जो टैक्सियां पंजीकृत नहीं हैं, उनसे मार्ग पर चलने के लिए 1000 रुपये भी वसूला जा रहे हैं ।
याचिकाकर्ता ने जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस और जिला पंचायत पर समिति के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि इस संबंध में न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों का यह उल्लंघन है।
इससे पहले एसोसिएशन ने इस मार्ग पर टैक्सियों के संचालन के लिए निविदा जारी करने के जिला पंचायत के अधिकार को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उस कार्यवाही के दौरान जिला पंचायत के वकील ने कहा था कि निविदा केवल शटल सेवा प्रदान करने के लिए है और इसका गैर-टेंडरिंग या असफल बोलीदाताओं के वाहनों सहित अन्य वाहनों को सड़क का उपयोग करने से रोकने का कोई इरादा नहीं है ।
इस आश्वासन के आधार पर पिछली याचिका का निपटारा कर दिया गया था ।
भाषा सं दीप्ति
राजकुमार
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