पिथौरागढ़, 22 मई (भाषा) उत्तराखंड वन विभाग ने राज्य की सभी सातों रेंज में ‘इन-सिटू’ (प्राकृतिक स्थान) और ‘एक्स-सिटू’ (कृत्रिम स्थान) तरीकों से पौधों की कुल 2447 प्रजातियों का संरक्षण किया है ।
‘इन-सिटू’ तरीके में प्रजातियों खासतौर से जंगल में उगने वाली संकटग्रस्त प्रजातियों को उनके प्राकृतिक स्थान और वातावरण में संरक्षित किया जाता है जबकि ‘एक्स-सिटू’ तरीके में पौधे को उसके प्राकृतिक स्थान से दूर कृत्रिम स्थान में संरक्षित किया जाता है।
यह जानकारी उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा द्वारा बुधवार को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर जारी अपनी पांचवीं वार्षिक रिपोर्ट में दी गयी है ।
शोध शाखा के प्रमुख और मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा, “हमारा यह संरक्षण कार्यक्रम उत्तराखंड का सबसे बड़ा जबकि भारत और दुनिया में सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक है।”
उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम 2020 में शुरू किया गया था और इसमें उत्तराखंड में पाए जाने वाले सभी वनस्पति समूहों की प्रजातियों को शामिल किया गया है।
वन अधिकारी ने कहा कि संरक्षित की जाने वाली प्रजातियों में 493 वृक्ष, 184 जड़ी-बूटियां, 168 झाड़ियां, 46 बांस, 12 बेंत, 86 जंगली प्रजातियां, 107 प्रकार की घास, 28 कीटभक्षी, 85 काई, 14 शैवाल और 15 एयर प्लांट समेत अन्य शामिल हैं ।
भाषा सं दीप्ति दीप्ति नोमान
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