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शनिवार, 31 मई, 2025
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उत्तराखंड हिमस्खलन: बचाए गए 50 मजदूरों में से चार की मौत; पांच मजदूरों की तलाश जारी

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(तस्वीरों के साथ)

देहरादून, एक मार्च (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर में हिमस्खलन के कारण बर्फ के नीचे दबे 50 श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया है, लेकिन उनमें से चार श्रमिकों की शनिवार को मौत हो गई। बचाव दल शेष पांच श्रमिकों को बचाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

सेना के अनुसार, शुक्रवार सुबह 5:30 से छह बजे के बीच माणा और बद्रीनाथ के बीच बीआरओ शिविर के पास हिमस्खलन हुआ, जिससे आठ कंटेनर और एक शेड के अंदर 55 श्रमिक दब गए। शुक्रवार रात तक 33 लोगों को बचा लिया गया।

शुक्रवार को बारिश और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हुई और रात होने के कारण अभियान स्थगित कर दिया गया था।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने बताया कि मौसम साफ होने पर माणा में तैनात सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने सुबह बचाव अभियान फिर से शुरू किया।

सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि बचाव अभियान में छह हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं। इनमें तीन भारतीय थल सेना के, दो भारतीय वायुसेना के और एक सेना द्वारा किराए पर लिया गया असैन्य हेलीकॉप्टर शामिल है।

सेना के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘50 मजदूरों को बचा लिया गया है, जिनमें से दुर्भाग्यवश चार घायलों की मौत की पुष्टि हो गई है, जबकि शेष पांच की तलाश जारी है।’’ उन्होंने कहा कि घायलों को प्राथमिकता के आधार पर निकाला जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि बचाए गए दो श्रमिकों को उन्नत उपचार के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)-ऋषिकेश ले जाया गया है।

प्रवक्ता के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) सेंट्रल कमांड और लेफ्टिनेंट जनरल डी जी मिश्रा जीओसी उत्तर भारत क्षेत्र बचाव कार्यों की निगरानी के लिए हिमस्खलन स्थल पर पहुंच गए हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता ने कहा कि सड़क मार्ग से आवाजाही मुमकिन नहीं है, क्योंकि यह बर्फ से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ-जोशीमठ राजमार्ग 15-20 स्थानों पर अवरुद्ध है।

बीआरओ कैंप में आठ कंटेनर थे, जिनमें से पांच का पता लगा लिया गया है, जबकि तीन का पता नहीं चल पाया है। उन्होंने बताया कि अब तक बचाए गए मजदूरों में से पांच कंटेनर में पाए गए। बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर दूर स्थित माणा भारत-तिब्बत सीमा पर 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अंतिम गांव है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को बचाव अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धामी से बात की और उन्हें पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।

धामी ने हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने एक घायल मजदूर से भी बातचीत की, जिसे इलाज के लिए ज्योतिर्मठ ले जाया जा रहा था।

धामी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘चमोली जिले में माणा के निकट हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर मौके पर जारी राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान सुरक्षित बाहर निकाले गए श्रमिकों का कुशलक्षेम जाना।’’

हिमस्खलन में फंसे 55 मजदूरों में से चार उत्तर प्रदेश के मथुरा के हैं। उनके परिजनों ने पूरा भरोसा जताया है कि उत्तराखंड सरकार मजदूरों को सुरक्षित बचा लेगी।

विवेक नामक एक मजदूर की मां ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया कि उसकी (विवेक की) शादी दो साल पहले हुई थी और वह एक लड़की का पिता है। विवेक की मां को उम्मीद है कि उसे जल्द ही बचा लिया जाएगा।

इस बीच, उत्तर प्रदेश के बलिया के रसरा के राम सुजान सिंह के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। सिंह के बेटे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वह जनवरी 2024 में चमोली गये थे और वहां सुपरवाइजर के तौर पर काम करते थे।

उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से अभी तक कोई नहीं आया है। सिंह के बेटे ने कहा कि परिवार ने आखिरी बार उनसे पिछले सोमवार को बात की थी, जिसमें वह (राम सुजान सिंह) परिवार के सदस्यों का हालचाल पूछ रहे थे।

सिंह का नाम 55 मजदूरों की आधिकारिक सूची में शामिल है। हालांकि, बलिया के पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि राम सुजान सिंह भी बर्फ में दबे मजदूरों में शामिल हैं।

इससे पहले, चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि बचाए गए श्रमिकों में से 11 को ज्योतिर्मठ में सेना के अस्पताल में लाया गया। उनमें से एक की हालत गंभीर है, कुछ लोगों की हड्डी टूट गई है और अन्य को मामूली चोटें आई हैं।

एक को छोड़कर सभी की हालत स्थिर है और अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा आवश्यक जांच की जा रही है।

जिलाधिकारी ने बताया कि मौसम फिर से खराब हो रहा है और बचाव अभियान धीमा पड़ सकता है। तिवारी ने बताया कि हालांकि, सेना के हेलीकॉप्टर अभियान में जुटे हुए हैं और अगर मौसम अनुकूल रहा, तो हम जल्द ही शेष श्रमिकों का पता लगा लेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने बचाव कार्य में जुटे सैन्य अधिकारियों एवं प्रशासनिक टीमों से विस्तृत जानकारी प्राप्त कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार संकट की इस घड़ी में प्रभावितों की हरसंभव सहायता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’’

एक अन्य पोस्ट में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने फोन पर बात कर जनपद चमोली के माणा में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव अभियान की जानकारी ली।’’

उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही उन्होंने प्रदेश में हो रही बारिश और हिमपात की स्थिति पर भी विस्तृत जानकारी ली। इस दौरान प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की ओर से किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हर संभव सहायता प्रदान किए जाने का आश्वासन दिया।’’

पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब मैं हवाई सर्वेक्षण कर रहा था, तो मैंने देखा कि बर्फबारी के कारण अलकनंदा नदी में पानी का प्रवाह रुक गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वहां आठ कंटेनर थे, जिनमें से पांच का पता लगा लिया गया है। सुबह बचाए गए 14 लोग एक कंटेनर में पाए गए। तीन और कंटेनर को खोजने के लिए अभियान चल रहा है। हम रडार स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।’’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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