लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौतम बुद्ध नगर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुवार को उन्हें निलंबित कर दिया. सरकारी प्रवक्ता ने इस कार्रवाई की जानकारी दी.
एक कथित वायरल वीडियो के कारण विवादों में घिरे नोएडा एसएसपी वैभव कृष्ण को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा यूपी सरकार ने 14 पुलिस अधिकारियों का तबादला किया है जिनमें वो पांच अधिकारी भी शामिल हैं जिनके नाम एसएसपी वैभव कृष्ण की गोपनीय रिपोर्ट में शामिल थे. वहीं नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण का जो वीडियो वायरल हुआ था उसे फाॅरेंसिक रिपोर्ट में सही पाया गया है. आईपीएस वैभव कृष्ण ने इस विडियो को एडिटेड बताया था.
वीडियो वायरल होने के बाद उन्होंने आईपीएस अजयपाल शर्मा, सुधीर सिंह, गणेश साहा, हिमांशु कुमार, राजीव नारायण मिश्रा पर ट्रान्सफर-पोस्टिंग के नाम पर पैसा कमाने व षडयंत्र रचने के आरोप लगाए थे.
सरकार ने एक महिला से चैट के वायरल वीडियो की गुजरात फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट आते ही कृष्ण को निलंबित कर दिया.
एसएसपी वैभव कृष्ण ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि तीन फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं जिनमें पीछे से किसी लड़की की आवाज सुनाई दे रही है और उनका नाम इससे जोड़ा जा रहा है. ये वीडियो साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने के लिए वायरल किए गए हैं.
प्रवक्ता ने बताया कि फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में वह वीडियो और चैट सही पायी गयी, जिसे कृष्ण ने फर्जी बताया था. फॉरेंसिक जांच में सामने आय़ा कि वीडियो ‘एडिटेड और मार्फ्ड’ नहीं था .
उल्लेखनीय है कि कृष्ण ने वायरल वीडियो के संबंध में खुद ही प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसके बाद मेरठ के एडीजी और आईजी को जांच सौंपी गयी थी. जांच के दौरान आईजी ने वीडियो फॉरेंसिक लैब को भेजा था.
कृष्ण ने संवाददाता सम्मेलन कर खुद ही जानकारी दी थी और शासन को भेजी गई एक गोपनीय रिपोर्ट लीक कर दी थी.
प्रवक्ता ने बताया कि अधिकारी आचरण नियमावली का उल्लंघन किए जाने के कारण कृष्ण निलंबित कर दिया गया.
उन्होंने बताया कि वैभव कृष्ण के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं. लखनऊ के एडीजी एसएन साबत जांच कर जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे.
प्रवक्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी की ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति जारी है और इसी के तहत वैभव कृष्ण प्रकरण में आरोपों के दायरे में आए सभी पांच आईपीएस अधिकारियों को जिलों से हटाया गया, ताकि वे जांच को प्रभावित न कर सकें. इनकी जगह नए अधिकारियों को तैनाती दी गयी है. सभी को तत्काल ज्वाइनिंग के आदेश दिए गए हैं.
उन्होंने बताया कि तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है. वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी एवं डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी को एसआईटी प्रमुख बनाया गया है जबकि दो सदस्य आईजी एसटीएफ अमिताभ यश और एमडी जल निगम विकास गोठलवाल बनाए गए हैं.
प्रवक्ता के अनुसार एसआईटी को पंद्रह दिनों के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए गए हैं. रिपोर्ट आते ही सख्त कार्रवाई होगी.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई कर एक संदेश दिया है. राज्य के इतिहास में पहली बार इस स्तर की कार्रवाई हुई है. इस प्रकरण की जांच में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एसटीएफ भी लगाई गई है.
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने भी पुलिस बल में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार को लिखे गए कथित गोपनीय पत्र को लीक किए जाने को लेकर कृष्ण से स्पष्टीकरण मांगा है.
(समाचार एजेंसी भाषा और संवाददाता प्रशांत श्रीवास्तव के इनपुट के साथ)