नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में दंगा और जातीय हिंसा भड़काने की कथित साजिश में अज्ञात लोगों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आईटी एक्ट समेत कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि जातीय आधार पर हाथरस में दंगा कराने की साजिश रची जा रही थी और साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने की भी कोशिश हो रही थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर कहा, ‘हमारे विपक्षी अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग के जरिए जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. इन तमाम साजिशों के बीच हमें आगे बढ़ने की जरूरत है.’
हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा था कि जिन लोगों को विकास पसंद नहीं है वो जातीय और सांप्रदायिक दंगे भड़काना चाहते हैं.
पुलिस ने आईपीसी की धारा 153-ए, 152-बी, 420, 465, 468, 469, 500, 505(1)(बी), 505(2), आईटी एक्ट की धारा 66 और कॉपीराइट एक्ट की धारा 63 के तहत इस मामले में एफआईआर दर्ज की है.
एएनआई के मुताबिक सुरक्षा एजेंसी को ‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम’ नाम के एक वेबसाइट का भी पता चला है जो कि इस पूरे प्रकरण के लिए योजना बनाने का काम कर रहा था.
एएनआई के मुताबिक इस वेबसाइट के जरिए देशभर में प्रदर्शन और मार्च को बढ़ावा दिया जा रहा था जिसमें दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद जैसे शहर शामिल हैं. फेक आईडी से हजारों लोग इससे जुड़े थे. इसके मुताबिक जैसे ही सुरक्षा एजेंसी सक्रिय हुई इस वेबसाइट को बंद कर दिया गया.
उत्तर प्रदेश सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया गया कि वेबसाइट को इस्लामिक देशों से फंड मिल रहा था और एमनेस्टी इंटरनेशनल से इसके संबंधों की जांच की जा रही है. कथित तौर पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल रहे पीएफआई और एसडीपीआई को भी संदेह के घेरे में देखा जा रहा है.
बता दें कि हाथरस की 19 वर्षीय दलित लड़की की 29 सितंबर को मौत हो गई थी. लड़की के साथ गैंगरेप करने वाले 4 आरोपी फिलहाल पुलिस की हिरासत में है.
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 अक्टूबर को सीबीआई से जांच कराने के आदेश दिए थे. इससे पहले एसआईटी इस मामले की जांच कर रही थी.
(प्रशांत श्रीवास्तव और एएनआई के इनपुट के साथ)
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