शिवपुरी (मध्य प्रदेश) : उत्तर प्रदेश पुलिस के गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज जेल में लाने के लिए हिरासत में लेने के एक दिन बाद माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद का काफिल सोमवार को मध्य प्रदेश के जिले शिवपुरी पहुंचा.
#WATCH | Madhya Pradesh: The team of Prayagraj Police, taking mafia-turned-politician Atiq Ahmed to UP from Ahmedabad's Sabarmati Jail, briefly halted in Shivpuri earlier this morning.
As per a UP Court's order, the verdict in a kidnapping case will be pronounced on March 28.… pic.twitter.com/l1xzTgLVX9
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) March 27, 2023
अतीक अहमद को अपहरण मामले में कल विशेष अदालत में पेश किया जाना है. अहमद उन आरोपियों में से एक हैं जिन्हें अदालत में पेश किया जाना है.
अतीक अहमद को रविवार को 45 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश की पुलिस टीम ने अहमदाबाद की साबरमती जेल से लेकर बाहर निकली है, जहां वह बंद था और अभी प्रयागराज जेल में शिफ्ट करने के लिए रास्ते में है.
आज देर रात यह काफिला राजस्थान के कोटा में हैंगिंग ब्रिज पर पहुंचा था, जहां वह कोटा के ताठेड़ में कुछ देर के लिए रुका था.
अतीक अहमद को 2007 के अपहरण के मामले में फैसले से पहले गुजरात की उच्च सुरक्षा वाली साबरमती जेल में स्थानांतरित किए जाने के साढ़े तीन साल से अधिक समय बाद उत्तर प्रदेश की जेल में शिफ्ट किया जा रहा है. यह मामला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता उमेश पाल की शिकायत पर आधारित है.
अहमद को प्रयागराज जेल में शिफ्ट करने के लिए यूपी पुलिस की एक टीम रविवार को साबरमती सेंट्रल जेल पहुंची थी.
उमेश पाल, 2007 के मामले में शिकायतकर्ता, और 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह भी, जो बाद में मुकर गए, की इस साल 24 फरवरी को हत्या कर दी गई थी. अहमद दोनों मामलों में आरोपी है.
रविवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, यूपी डीजी (जेल) आनंद कुमार ने कहा था कि अहमद को यूपी की नैनी जेल (प्रयागराज) में स्थानांतरित किया जा रहा है, जहां उच्च सुरक्षा वाले बैरक में उसे अलग रखा जाएगा. उनके सेल में सीसीटीवी कैमरे होंगे.
बयान के अनुसार, ‘जेल कर्मचारियों (अहमद के लिए) को उनके रिकॉर्ड के आधार पर चुना और तैनात किया जाएगा. उनके पास बॉडी वियर कैमरे होंगे. प्रयागराज जेल कार्यालय और जेल मुख्यालय वीडियो वॉल के जरिए चौबीसों घंटे उस पर नजर रखेंगे. प्रयागराज जेल में सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए डीआईजी, जेल मुख्यालय भेजा जा रहा है.’
खबर की पुष्टि करते हुए, यूपी एडीजी (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने दिप्रिंट से कहा था कि अहमद के खिलाफ दर्ज एक पुराने मामले में सजा सुनाई जानी है, और अदालत द्वारा उनकी उपस्थिति आवश्यक है.
अहमद का आपराधिक रिकॉर्ड
प्रयागराज के खुल्दाबाद थाने के रिकॉर्ड के मुताबिक अहमद के गिरोह की पहचान ‘अंतर्राज्यीय गिरोह 227’ के रूप में है, जबकि वह खुद ‘हिस्ट्रीशीटर 39ए’ है. दिप्रिंट के हाथ लगे यूपी पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार, उसके खिलाफ अकेले प्रयागराज जिले में 1979 और 2023 के बीच कुल 100 मामले दर्ज हैं.
धूमनगंज स्टेशन हाउस ऑफिसर राकेश मौर्य ने दिप्रिंट से पुष्टि की कि अहमद के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कुल लगभग 130 मामले दर्ज हैं.
हालांकि, हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली, मारपीट, आपराधिक धमकी, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत तीन मामलों, गैंगस्टर अधिनियम और गुंडा अधिनियम के तहत कई मामलों के बावजूद, अहमद को 44 वर्षों में एक भी बार सजा का सामना नहीं करना पड़ा है.
फूलपुर के पूर्व सांसद को जून 2019 में देवरिया जेल में रहने के दौरान एक व्यवसायी मोहित जायसवाल के अपहरण और मारपीट में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साबरमती सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था.
क्या है 2007 का मामला
अहमद को अब मृतक उमेश पाल द्वारा 2007 में दर्ज कराए गए अपहरण के मामले में यूपी लाया जा रहा है.
राजू पाल हत्याकांड के एक गवाह पाल ने आरोप लगाया था कि अहमद के आदमियों ने उसका अपहरण किया और उसे परेशान किया.
पाल के मित्र राजपाल के अनुसार, तत्कालीन हंडिया विधायक महेश नारायण सिंह के हस्तक्षेप के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था, लेकिन उन्होंने 2007 में अहमद और उनके लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
राजू पाल मामले में उनकी पत्नी और सपा विधायक पूजा पाल ने बताया कि उमेश पाल ने अहमद के पक्ष में गवाही दी थी.
दिप्रिंट से बात करते हुए, उमेश पाल की पत्नी जया ने कहा कि उनके पति पर राजू पाल मामले में अहमद के पक्ष में गवाही देने के लिए दबाव डाला गया था.
उन्होंने कहा, ‘उसे प्रलोभन दिया गया और उसकी जान को भी खतरा था. उन्हें अहमद के खिलाफ पेश नहीं होने के लिए कहा गया था, लेकिन मेरे पति ने इस बारे में मुझे नहीं बताया.’
(दिप्रिंट की शिखा सलारिया की रिपोर्ट के इनपुट्स के साथ)
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