scorecardresearch
Friday, 3 May, 2024
होमदेशकिसानों के प्रदर्शन पर अमेरिकी प्रतिक्रिया को संपूर्णता में देखा जाना चाहिए: भारत

किसानों के प्रदर्शन पर अमेरिकी प्रतिक्रिया को संपूर्णता में देखा जाना चाहिए: भारत

विदेश मंत्रालय ने कहा कि किसी भी प्रदर्शन को लोकतांत्रिक आचार एवं राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में तथा गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार एवं संबद्ध किसान संगठनों के प्रयासों को अवश्य ही देखा जाना चाहिए.

Text Size:

नई दिल्ली: किसानों के प्रदर्शनों पर बाइडन प्रशासन के प्रतिक्रिया व्यक्त करने के कुछ घंटों बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि टिप्पणियों को अवश्य ही उनकी संपूर्णता में देखा जाना चाहिए.

साथ ही, विदेश मंत्रालय 26 जनवरी को हिंसा और लाल किले में तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद भारत में हुई प्रतिक्रियाओं और प्रकट की गई भावनाओं की तुलना हाल ही में ‘यूएस कैपिटल हिल’ में हुई हिंसा की घटनाओं से करता नजर आया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी भी प्रदर्शन को लोकतांत्रिक आचार एवं राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में तथा गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार एवं संबद्ध किसान संगठनों के प्रयासों को अवश्य ही देखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को हिंसा की घटनाएं, लाल किले में तोड़फोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की, जैसा कि छह जनवरी को (अमेरिका में) ‘कैपिटल हिल’ घटना के बाद देखने को मिला था. भारत में हुई घटनाओं से हमारे संबद्ध स्थानीय कानूनों के मुताबिक निपटा जा रहा है.’

अमेरिका ने किसानों के आंदोलन पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में बृहस्पतिवार को कहा कि वह वार्ता के जरिए दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा, ‘हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है और भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा है.’

गौरतलब है कि भारत के विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी. भारत ने कहा था कि भारत की संसद ने एक ‘सुधारवादी कानून’ पारित किया है, जिस पर ‘किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग’ को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानून पर रोक भी लगाई गई है.


यह भी पढ़ें: अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष पद के लिए पंजाब के पूर्व BJP MP विजय सांपला के नाम पर सरकार ने लगाई मुहर


 

share & View comments