गुरुग्राम: हरियाणा में अखिल भारतीय सेवा (IAS) अधिकारियों की भारी कमी को देखते हुए UPSC ने 18 हरियाणा सिविल सेवा (HCS) अधिकारियों को IAS कैडर में प्रमोशन की मंजूरी दे दी है. यह फैसला 14 जुलाई को हुई डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (DPC) की बैठक में लिया गया.
हालांकि, 2002 बैच के 9 अधिकारियों को केवल प्रोविजनल पदोन्नति दी गई है. इनमें से 8 पर भर्ती में गड़बड़ी के मामले चल रहे हैं, जबकि एक अधिकारी किसी अन्य केस में फंसे हैं.
फिलहाल हरियाणा में IAS की 225 स्वीकृत पोस्ट के मुकाबले सिर्फ 169 अधिकारी कार्यरत हैं.
UPSC की ओर से चयनित अधिकारियों की औपचारिक अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी. प्रमोट होने वालों में 1997 बैच के विवेक पदम सिंह और 2002 बैच के मनीष नागपाल, महेन्द्र पाल, सतपाल शर्मा और सुशील कुमार शामिल हैं.
2004 बैच से वर्षा खंगवाल, वीरेंद्र सहरावत, सतेंद्र दुहान, मनीता मलिक, सतबीर सिंह, अमृता सिवाच, योगेश कुमार, डॉ. वंदना डिसोदिया, जयदीप कुमार और सम्वर्तक सिंह खंगवाल को भी प्रमोशन मिला है.
इसके अलावा स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हुईं आशीमा सांगवान, फरवरी 2024 में रिटायर हुए अमरीप सिंह और फरवरी 2025 में रिटायर हुईं डॉ. सुभिता ढाका को भी पदोन्नति दी गई है. चूंकि, HCS में रिटायरमेंट उम्र 58 साल है, जबकि IAS में यह 60 है, इसलिए ये अधिकारी पिछली पात्रता के आधार पर प्रमोट किए गए.
2004 बैच के तीन अधिकारी — अनुराग ढलिया, योगेश मेहता और नवीन आहूजा इस लिस्ट में शामिल नहीं हो सके क्योंकि रिटायर हो चुके अधिकारियों को प्राथमिकता दी गई. इन्हें अब 2011 बैच के साथ इस साल बाद में विचार किया जा सकता है.
2002 बैच के वीणा हुड्डा, सुरेंद्र सिंह, जगदीप ढांडा, डॉ. सरिता मलिक, कमलेश कुमार भादू, कुलधीर सिंह, वत्सल वशिष्ठ और जग निवास, तथा महाबीर प्रसाद को सिर्फ अस्थायी पदोन्नति दी गई है. इन पर हरियाणा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा 2023 में दर्ज चार्जशीट लंबित है.
यह चार्जशीट 2001 में हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित HCS और संबद्ध सेवाओं की परीक्षा में कथित गड़बड़ियों से जुड़ी है, जो उस समय की इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) सरकार के दौरान हुई थी.
DPC बैठक में UPSC सदस्य दिनेश दास, हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) सुधीर राजपाल और अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामान्य प्रशासन विभाग) विजयेन्द्र कुमार भी उपस्थित थे.
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2002 बैच का विवाद
9 अधिकारियों की प्रोविजनल पदोन्नति ने विवाद खड़ा कर दिया है. इसकी वजह बनी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता करन सिंह दलाल की आपत्ति, जो पलवल से पूर्व विधायक हैं.
मार्च में दलाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि 2001 की HCS परीक्षा में भ्रष्टाचार के ठोस प्रमाण हैं, जिसके ज़रिए 2002 बैच का चयन हुआ था.
उनका आरोप 2002 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दायर एक रिट पिटीशन पर आधारित है, जिसमें भर्ती प्रक्रिया को जवाब पत्रों के साथ छेड़छाड़ और नकली मार्क्स बढ़ाने जैसे आरोपों के चलते चुनौती दी गई थी.
रिट पिटीशन के अलावा, जालंधर निवासी विशाल चौहान, जो इस परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन चयनित नहीं हो पाए, उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज हुई.
बाद में राज्य सतर्कता ब्यूरो (विजिलेंस) की जांच के बाद, 18 अक्टूबर 2005 को आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई.
इस जांच के आधार पर ACB ने 2023 में हिसार की अदालत में चार्जशीट दायर की, जिसमें 2002 बैच के 8 अधिकारी, पूर्व HPSC चेयरमैन के.सी. बांगड़, आयोग के अन्य सदस्य और परीक्षक शामिल थे.
अपने पत्र में दलाल ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार ने इन अधिकारियों को ईमानदारी (इंटीग्रिटी) प्रमाण पत्र देने के खिलाफ कानूनी सलाह को नज़रअंदाज़ किया और राजनीतिक दबाव में उन्हें बचाया गया, जबकि यह प्रमोशन के लिए अनिवार्य था.
UPSC ने पहले कई बार हरियाणा के प्रमोशन प्रस्ताव खारिज किए थे क्योंकि चार्जशीट लंबित थी. मई में UPSC ने 27 अधिकारियों को IAS में प्रमोट करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को यह कहते हुए लौटाया था कि 8 अधिकारियों पर चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप में चार्जशीट दर्ज है.
मार्च में हरियाणा सरकार ने यह दलील दी थी कि चार्जशीट, दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 173 के तहत फाइनल रिपोर्ट नहीं मानी जाती, इसलिए इंटीग्रिटी सर्टिफिकेट रोकना उचित नहीं है. धारा 173 किसी भी जांच के पूरा होने पर पुलिस द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट से संबंधित है.
11 जुलाई को हाईकोर्ट ने जगदीप ढांडा—जो कि 8 आरोपियों में से एक हैं—के खिलाफ चार्जशीट पर रोक लगा दी गई. उन्होंने यह दलील दी थी कि 18 साल बाद उनका नाम शामिल करना दुर्भावनापूर्ण है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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