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Wednesday, 13 August, 2025
होमदेशफतेहपुर में मजार पर भगवा झंडे लगाने और तोड़फोड़ के वीडियो वायरल होने के बाद UP विधानसभा में हंगामा

फतेहपुर में मजार पर भगवा झंडे लगाने और तोड़फोड़ के वीडियो वायरल होने के बाद UP विधानसभा में हंगामा

विपक्ष का कहना है कि यह हमला जानबूझकर साम्प्रदायिक तनाव भड़काने के लिए किया गया था और ढीली सुरक्षा के कारण भीड़ वहां तक पहुंच गई. दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह जगह पहले एक हिंदू मंदिर थी.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को फतेहपुर जिले में एक मुस्लिम मकबरे में तोड़फोड़ को लेकर हंगामा हुआ. विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह सांप्रदायिक तनाव भड़काने की “योजना” थी.

समाजवादी पार्टी (एसपी) के नेता माता प्रसाद पांडे ने दावा किया कि एक भाजपा नेता ने एक हफ्ता पहले ही कब्जे की घोषणा कर दी थी और लापरवाह सुरक्षा के कारण भीड़ अंदर घुस गई. पांडे ने कहा, “राज्य भर में मदरसे और मुस्लिम मकबरे तोड़ने का चलन बन गया है ताकि एक पक्ष को फायदा हो.”

विरोध तब हुआ जब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में भगवा झंडों के साथ बड़ी संख्या में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की भीड़ मक़बरा मांगी मकबरे को नुकसान पहुंचाते दिखी. वे मकबरे के अंदर पूजा करने की अनुमति मांग रहे थे और दावा कर रहे थे कि यह जगह पहले एक हिंदू मंदिर थी.

एक कथित वीडियो में, जिसकी पुष्टि दिप्रिंट ने नहीं की है, प्रदर्शनकारी “जय श्री राम” के नारे लगाते, कब्रों पर खड़े होकर मकबरे को नुकसान पहुंचाते नजर आ रहे हैं. खबरों के मुताबिक, सोमवार को 2,000 से ज्यादा लोग मकबरे और ईदगाह परिसर में इकट्ठा हुए.

मठ मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति, बजरंग दल, हिंदू महासभा और अन्य संगठनों के सदस्यों का दावा है कि सरकारी रिकॉर्ड में खसरा नंबर 753 पर दर्ज यह ढांचा भगवान कृष्ण और भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर था.

स्थानीय मुस्लिम निवासियों का कहना है कि घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई. उनका आरोप है कि हमलावरों को कोई रोक नहीं मिली, जबकि स्थानीय मुसलमानों को पीछे रखा गया.

एक अन्य वीडियो में, जिसे एक्स पर साझा किया गया, पुलिस मकबरे के बाहर खड़ी नजर आ रही है जबकि भीड़ ढांचा तोड़ रही है. दिप्रिंट ने इस वीडियो की पुष्टि नहीं की है.

स्थानीय निवासी शहनवाज अंसारी ने एक्स पर वीडियो के साथ लिखा, “यह यूपी के फतेहपुर जिले में नवाब अब्दुल समद का मकबरा है, और जो कुछ भी हो रहा है, वह पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में हो रहा है. इससे ज्यादा क्या लिखा जा सकता है? दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र की जनाजे का नजारा राष्ट्र/दुनिया देख रही है.”

पुलिस ने कोतवाली थाने में 10 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, आरोप है कि उन्होंने विवादित मकबरे में घुसकर तोड़फोड़ की. आरोपों में दंगा और दफन स्थलों पर अतिक्रमण शामिल हैं. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और आरोपियों की तलाश में छापेमारी जारी है.

फतेहपुर के एसपी अनुप कुमार सिंह ने कहा, “कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता. जो कोशिश करेगा, उसे सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है. 10 लोग नामजद हैं और 150 गवाह हैं. डिजिटल सबूतों के आधार पर जिनकी भूमिका साबित होगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.” उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश की है. “हम यूपी में किसी भी तरह का अन्याय नहीं होने देंगे.”

यूपी भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “यह ऐतिहासिक तथ्य है कि देश में कई हिंदू मंदिरों को तोड़कर दरगाहें, मस्जिदें बनाई गई हैं. यह एक कड़वा सच है.” उन्होंने कहा कि मामला “संवैधानिक तरीके” से अदालत में ले जाया जाना चाहिए. उन्होंने जोड़ा कि चर्चा कर परस्पर समाधान निकालने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, “कोई भी व्यक्ति कानून नहीं उठा सकता. जो कोशिश करेगा, उसे सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. यूपी सरकार ने इस मामले में भी एफआईआर दर्ज की है. इसमें 10 लोग नामजद हैं और 150 गवाह हैं. डिजिटल सबूतों के आधार पर जिनकी भूमिका सामने आएगी, उन पर कार्रवाई होगी.” उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश की है. “हम यूपी में किसी भी तरह का अन्याय नहीं होने देंगे.”

1990 के दशक की गूंज

इस घटना ने 1990 के दशक की शुरुआत की याद दिला दी, जब बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद के दौरान हिंदू समूहों ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह पर भी दावा किया था.

इसके जवाब में, पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने सितंबर 1991 में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम लागू किया, जिसमें 15 अगस्त 1947 तक की स्थिति के अनुसार सभी पूजा स्थलों की स्थिति को स्थिर कर दिया गया (अयोध्या को छोड़कर, जो उस समय मुकदमे में थी). इस कानून का उद्देश्य ऐसे स्थलों के धार्मिक स्वरूप को बनाए रखना, नए दावों को रोकना और सांप्रदायिक सौहार्द की रक्षा करना था.

विशेषज्ञों ने कहा कि फतेहपुर की घटना कोई अलग मामला नहीं है, बल्कि हाल के वर्षों में मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमलों की एक बड़ी सीरीज का हिस्सा है.

इतिहासकार स्वप्ना लिडल ने दिप्रिंट से कहा कि यह मुसलमानों को यह बताने का एक तरीका है कि वे देश के इतिहास का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने कहा, “वे यह दिखाना चाहते हैं कि हमारे इतिहास में मुसलमान कभी थे ही नहीं. यह अपने फायदे के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करना है और अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों पर हमला करना है.”

‘राजनीतिक विचारधारा के इशारे पर’

इस घटना ने विपक्षी नेताओं की तीखी प्रतिक्रियाएं भी खींचीं.

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर एक वीडियो में कहा कि भाजपा ने देश में “नफरत” का माहौल बना दिया है, जिससे किसी को भी मुसलमानों से जुड़े किसी ऐतिहासिक स्थल पर दावा करने की खुली छूट मिल गई है.

उन्होंने कहा, “यह सब राज्य पुलिस की मौजूदगी में हो रहा है और पुलिस कुछ नहीं कर रही। अगर ये हमलावर मुसलमान होते तो सोचिए क्या हाल होता। कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विचारधारा और धर्म के इशारे पर हो रहा है. यह मुसलमानों के खिलाफ नफरत और उन्हें दबाने की कोशिश का उदाहरण है… ऐसा लगा जैसे 1992 लौट आया हो…”

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि भाजपा ने “ब्रिटिशों से बांटो और राज करो की विचारधारा” विरासत में ली है.

उन्होंने कहा, “जब इनके पास दिखाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं होती, तो ये हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने लगते हैं. फतेहपुर में ऐसा अपराध करने वालों पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए…”

समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने अपने एक्स अकाउंट पर साझा एक वीडियो बयान में कहा कि फतेहपुर में जिस तरह हाथों में भगवा झंडे लिए मकबरे को तोड़ा जा रहा है, वह “धार्मिक उग्रवाद” दिखाता है.

उन्होंने कहा, “इसका समर्थन सरकार और पुलिस कर रही है. मुसलमानों के लिए कोई नियम नहीं है. बाबरी मस्जिद के लिए पहले से ही लंबा संघर्ष रहा है और अब लगभग हर दिन मस्जिदों को तोड़ा जा रहा है. क्या देश उग्रवाद पर चलेगा या संविधान की अब भी कोई अहमियत है?”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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