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Sunday, 29 September, 2024
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पके-पकाये पोषाहार मामले को लेकर सदन में हंगामा

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रायपुर, 11 मार्च (भाषा) छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य सरकार पर पके-पकाये पोषाहार के निर्माण और वितरण में लगे महिला स्वयं सहायता समूहों का रोजगार छीनने का आरोप लगाया और हंगामा मचाया।

भाजपा विधायकों ने बीज निगम को इसकी जिम्मेदारी देने के फैसले पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और दावा किया कि इसका उद्देश्य एक निजी फर्म को लाभ पहुंचाना है। उन्होंने इस मामले की जांच की भी मांग की।

हालांकि राज्य सरकार ने कहा कि महिलाओं और बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन वितरित करने के उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों को देखते हुए यह फैसला किया गया है।

इस मामले की जांच की मांग को लेकर भाजपा विधायक सदन के गर्भगृह में आ गए और उन्हें निलंबित कर दिया गया। बाद में उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।

विधानसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक रजनीश सिंह और शिवरतन शर्मा और पार्टी के कुछ अन्य विधायकों ने सवाल किया कि राज्य में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित पके-पकाये पोषाहार के वितरण का कार्य कितनी महिला समूहों द्वारा संचालित किया जा रहा था और इसमें कितनी महिलाएं प्रभावित हुई हैं।

उन्होंने यह भी सवाल किया कि राज्य सरकार ने कब और किन मापदंडों के आधार पर यह काम राज्य के बीज निगम और एक अन्य फर्म से संचालित कराने का निर्णय लिया है।

सवाल के जवाब में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया ने कहा कि पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत पके-पकाये पोषाहार के वितरण का कार्य 1605 महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें 16,655 महिलाएं शामिल हैं।

भेंडिया ने कहा कि राज्य सरकार ने इस वर्ष एक अप्रैल से छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा स्थापित इकाई के माध्यम से पके-पकाये भोजन तैयार करने का निर्णय लिया है।

मंत्री ने कहा कि संयंत्र संचालन के लिए गठित संयुक्त उपक्रम कंपनी में बीज निगम की 26 प्रतिशत और पीबीएस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड की 74 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

मंत्री भेंडिया ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सरकार का उद्देश्य लाभार्थियों को स्वच्छ और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन उपलब्ध कराना है।

तब विपक्ष के नेता धर्मलाल कौशिक, अजय चंद्राकर और अन्य भाजपा विधायकों ने कहा कि इस कार्य में लगी महिला स्व सहायता समूहों पके-पकाये आहार बनाने के लिए ऋण लेकर मशीनें खरीदी हैं, यदि नई प्रणाली शुरू की जाती है तब वह अपना कर्ज नहीं चुका पाएंगी।

उन्होंने सवाल किया कि राज्य सरकार हजारों महिलाओं का काम क्यों छीनने की कोशिश कर रही है।

भाजपा विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि संयुक्त उद्यम में इतना बड़ा हिस्सा निजी फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए दिया गया है। उन्होंने इस मामले की जांच कराने की मांग की।

विपक्ष के आरोपों के जवाब में मंत्री भेंडिया ने कहा कि कार्य उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है और जब कोई अनियमितता नहीं है तब जांच कराने का कोई सवाल ही नहीं होता है।

मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने तथा सदन के गर्भगृह में आ गए, इससे वह विधानसभा के नियमों के तहत स्वतः ही निलंबित हो गए। बाद में उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।

भाषा संजीव संजीव राजकुमार

राजकुमार

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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