रांची, आठ मार्च (भाषा) झारखंड में 608 बालू घाटों में से 586 से अवैध रेत खनन के मामले में मंगलवार को विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा और उस पर भ्रष्टाचारियों से मिलीभगत का आरोप लगाया। इसके बाद चौतरफा घिरी सरकार ने विधानसभा में घोषणा की कि 15 दिनों के भीतर सभी बालू घाटों के संचालन के लिए निविदा निकाल दी जायेगी।
झारखंड विधानसभा में मंगलवार को मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी एवं आज्सू ने बालू घाटों से अवैध रेत खनन का मामला उठाया और सरकार पर भ्रष्टाचारियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया।
भाजपा के विरंची नारायण ने आरोप लगाया कि राज्य के कुल 608 बालू घाटों में से सिर्फ 22 बालू घाट का संचालन झारखंड राज्य खनिज विकास निगम कर रहा है तो आखिर शेष 586 बालू घाटों का संचालन कौन कर रहा है? आज्सू अध्यक्ष सुदेश महतो ने प्रश्नकाल के दौरान इस मामले में सरकार से प्रश्न किये तो प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख बुरी तरफ घिर गये और स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए।
प्रभारी मंत्री पत्रलेख ने कहा कि राज्य के शेष 586 बालू घाटों के लिए 15 दिन के भीतर निविदा निकाली जाएगी। हालांकि, मौजूदा समय में इन घाटों की क्या स्थिति है, इस बारे में सदन में बार-बार पूछे जाने पर भी प्रभारी मंत्री कुछ नहीं बोल सके।
बाद में मंत्री ने माना कि शेष 586 बालू घाटों का वैध रूप से संचालन नहीं हो रहा है। बालू की ढुलाई के दौरान पुलिस की ज्यादती को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष की तरफ से भी इरफान अंसारी ने एक के बाद एक पूरक प्रश्न पूछे। उनके अलावा सत्ताधारी पक्ष के अनेक विधायकों ने यह मामला उठाया तो सरकार पूरी तरह बचाव की मुद्रा में आ गयी।
भाजपा के भानु प्रताप शाही ने कहा कि बालू को निकालने के दौरान एनजीटी के निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की पूर्व में की गयी घोषणा के बाद भी ट्रैक्टर पकड़े जा रहे हैं।
इरफान ने कहा कि उनके जिले में भी बड़े-बड़े हाईवा के जरिए बालू की अवैध तस्करी हो रही है।
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सुझाव दिया कि जब तक बालू घाटों की निविदा का काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक गृह निर्माण में इस्तेमाल बालू गाड़ियों को नहीं पकड़ा जाना चाहिए।
इस मसले को एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने भी जोर शोर से उठाया। इस बारे में निर्दलीय सरयू राय ने भी सवाल उठाये। वहीं, विधायक पुष्पा देवी ने आरोप लगाया कि बालू तस्करी की वजह से ही दारोगा लाल जी यादव की जान चली गई।
बाद में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने उत्तर देते हुए भरोसा दिलाया कि 15 दिन के भीतर सभी घाटों से संबंधित प्रक्रिया पूरी कर व्यवस्था को सुचारू कर दिया जाएगा और इस दौरान पुलिस इन अनावंटित घाटों से बालू उठाव करने के दौरान किसी को परेशान नहीं करेगी।
भाषा, इन्दु शफीक
शफीक
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