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Saturday, 20 April, 2024
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उपहार सिनेमा सबूतों के छेड़छाड़ मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का सजा निलंबित करने से इनकार, गई थीं 59 जानें

अंसल बंधुओं की सजा स्थगित करते हुए सत्र अदालत ने भी कहा था कि यह मामला काफी गंभीर है और न्याय की राह में हस्तक्षेप करने के दोषियों के जानबूझकर किए गए षड्यंत्र का परिणाम प्रतीत होता है.

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नयी दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने उपहार सिनेमा साक्ष्य छेड़छाड़ मामले में रियल एस्टेट कारोबारियों सुशील और गोपाल अंसल को दी गई सात साल कारावास की सजा निलंबित करने से बुधवार को इनकार कर दिया.

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘जहां तक अंसल बंधुओं की बात है, तो मैं इस याचिका को खारिज कर रहा हूं.’

अंसल बंधुओं और अदालत के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा तथा दो अन्य -पी. पी. बत्रा तथा अनूप सिंह करायत को निचली अदालत ने सात वर्ष कैद की सजा सुनाई थी और सत्र अदालत ने सजा स्थगित करने एवं उन्हें जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया था.

सजा स्थगित करने की अंसल बंधुओं की याचिका को खारिज करते हुए सत्र अदालत ने कहा था कि यह मामला काफी गंभीर है और न्याय की राह में हस्तक्षेप करने के दोषियों के जानबूझकर किए गए षड्यंत्र का परिणाम प्रतीत होता है.

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अंसल बंधुओं ने अधिक उम्र होने समेत विभिन्न आधार पर सजा को निलंबित किए जाने का अनुरोध किया था. दिल्ली पुलिस और उपहार त्रासदी पीड़ित संघ (एवीयूटी) ने इस याचिका का विरोध किया था.

सबूतों के साथ छेड़छाड़ का मामला 20 जुलाई, 2002 को सामने आया था, जिसके बाद शर्मा के विरूद्ध विभागीय जांच शुरू की गई थी एवं उसे निलंबित कर दिया था. शर्मा को 25 जून, 2004 को बर्खास्त कर दिया गया था.

दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर यह मामला दर्ज किया गया था. उच्च न्यायालय ने एवीयूटी की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था.

उपहार सिनेमाघर में 13 जून, 1997 के दिन ‘बॉर्डर’ फिल्म के प्रदर्शन के दौरान आग लगी थी और 59 लोगों की जान चली गयी थी.


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59 लोगों की हुई थी मौत

उपहार सिनेमाघर में 13 जून, 1997 के दिन आग लग गई थी जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें 23 बच्चे शामिल थे. उस दिन सिनेमाहाल में ‘बॉर्डर’ फिल्म लगी हुई थी. ये फिल्म उसी दिन रिलीज हुई थी.

16 लोगों को बनाया गया था अभियुक्त

इस मामले में सुशील अंसल और गोपाल अंसल सहित कुल 16 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. इमारत नियमों की अनदेखी करने के आरोप में सिनेमा हॉल में काम करने वाले स्टाफ और सेफ्टी इंस्पेक्टर पर भी आरोप था. साल 2007 में सभी 16 अभियुक्तों को दोषी पाया गया और इन लोगों को सात महीने से लेकर सात साल तक की सजा हुई. अंसल बंधुओं को दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी. बाद में 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की सज़ा को माफ कर दिया और 30-30 करोड़ का जुर्माना लगा दिया था. पिछले साल अंसल बंधुओं सहित कुछ अन्य लोगों को सबूतों से छेड़छाड़ मामले में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा सात साल की सजा सुनाई गई थी.


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