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Friday, 3 May, 2024
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उपहार अग्निकांड मामले में अंसल बंधुओं को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, जेल जाने पर लगाई रोक

2015 के अपने जजमेंट में शीर्ष अदालत ने सिनेमा हौल के मालिक दोनों भाईयों पर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था और कहा था कि उन्हें वापस जेल जाने की जरूरत नहीं है.

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नई दिल्ली: उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उद्योगपति और रीयल एस्टेट बिजनेसमैन अंसल बंधू सुशील और गोपाल अंसल को बड़ी राहत दी है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में पीड़ितों की ओर से दाखिल की गई क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है. उपहार सिनेमा हॉल में 1997 में 23 साल पहले एक फिल्म के दौरान लगी आग में झुलसने और मची भगदड़ की वजह से 59 लोगों की मौत हो गई थी.

इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने क्यूरेटिव पेटीशन को डिसमिस कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उपहार ट्रेजेडी विक्टिम एसोसिएशन की असंल बंधुओं की सजा बढ़ाए जाने और जेल भेजे जाने की मांग की थी जिसे अदालत ने ठुकरा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आदेश 13 फरवरी को ही दिया था लेकिन उसे जारी अब किया गया है.

बता दें कि 2015 के अपने जजमेंट में शीर्ष अदालत ने सिनेमा हौल के मालिक दोनों भाईयों पर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था और कहा था कि उन्हें वापस जेल जाने की जरूरत नहीं है.

सुशील और उनके छोटे भाई दोनों की उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है, उच्चतम न्यायालय ने अपने बयान में कहा कि उनके साथ भी समान्य व्यवहार किए जाने जरूरत है. सुशील की उम्र 75 साल और गोपाल की उम्र 67 साल है.

बता दें कि अंसल बंधुओं ने 1997 में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद दोनों भाइयों ने चार से पांच महीने जेल में बिताए थे.
इस आदेश की पुष्टि करते हुए, सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस एनवी रमना और अरुण मिश्रा भी शामिल थे, ने अब माना कि क्यूरेटिव प्लीया में कोई मेरिट नहीं है और ओपन कोर्ट में सुनवाई की अनुमति देने के अनुरोध को भी बेंच ने ठुकरा दिया है.

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कोर्ट ने अपने बयान में कहा, ‘हम क्यूरेटिव याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों को देखा है. हमारी राय में, इस अदालत के रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा और एक अन्य के फैसले में इंगित मापदंडों के भीतर कोई मामला नहीं बनता है, 2002 में रिपोर्ट (4) एससीसी 388. इसलिए, क्यूरेटिव पेटिशन खारिज की जाती हैं.’

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2011 को दिए अपने आदेश में कहा था कि 20 वर्ष से अधिक उम्र के पीड़ितों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये और 20 साल से कम उम्र के पीड़ितों के लिए 7.5 लाख रुपये देने का आदेश दिया था. 2007 में ट्रायल कोर्ट ने अंसल ब्रदर को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसे आधा कर दिया था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अंसल बंधुओं की सुनवाई राम जेठमलानी ने किया था.

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