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Saturday, 2 November, 2024
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‘आगरा मॉडल’ योगी के लिए बना सिरदर्द, कोविड से हो रही मृत्यु को देखते हुए प्रियंका ने उठाए सवाल

सरकार के नुमाइंदे और प्रशासन के अधिकारी ऐसी किसी भी लापरवाही से इंकार कर रहे हैं. दिप्रिंट से बातचीत में यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि इन सभी जिलों में स्पेशल माॅनिटरिंग की जा रही है.

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लखनऊ: कोरोनावायरस के मामलों में योगी सरकार भले ही यूपी की स्थिति को दिल्ली, महाराष्ट्र समेत तमाम राज्यों की तुलना में बेहतर बताती रही हो लेकिन आगरा, मेरठ समेत कई जिलों में बढ़ती मृत्यु दर सरकार के लिए संकट बनती जा रहा है. कांग्रेस की महासचिव व यूपी इंचार्ज प्रियंका गांधी ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार पर निशाना साधा है.

प्रियंका ने दावा किया है कि यूपी के चार जिलों के मृत्यु दर के मामले में देश के टॉप 15 शहरों में हैं. प्रियंका के ट्वीट में मेरठ, आगरा, झांसी और एटा के मृत्यु दर का जिक्र किया गया है. प्रियंका ने सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘अगर केस नहीं बढ़ रहे तो मृत्यु दर कैसे बढ़ रही है.’

स्वास्थ्य विशेषज्ञ जिले स्तर पर मेडिकल केयर में इसे लापरवाही बता रहे हैं लेकिन सरकार इससे साफ इंकार कर रही है. यूपी सरकार में पूर्व सीएमओ (चीफ मेडिकल ऑफिसर) अशोक मिश्रा का कहना है कि कुछ चुनिंदा जिलों में मृत्यु दर बढ़ने का कारण वहां मेडकल केयर में लापरवाही हो सकती है. हालांकि इसे पूरे राज्य की लापरवाही नहीं करार दिया जा सकता.

यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ऐसी किसी भी लापरवाही से इंकार कर रहे हैं. दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘इन सभी जिलों में स्पेशल माॅनिटरिंग की जा रही है.’ मंत्री के मुताबिक, ‘अधिक कोरोना केस वाले जिलों में नोडल अफसर नियुक्त किए हैं. आगरा और मेरठ में एक-एक मौत के मामले पर नजर रखी जा रही है.’

उन्होंने प्रियंका नाम लिए बिना कहा कि अधिकारी वहां के हालात बेहतर करने में लगे हैं. ऐसे समय में हमें उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए. ये मौका राजनीति करने का नहीं है बल्कि कोरोना वॉरयिर्स के हौसले बढ़ाने का है. यूपी की स्थिति दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर है. केवल मृत्यु दर के आधार पर पूरे सिस्टम पर सवाल उठाना ठीक नहीं है.


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इन जिलों में मृत्यु दर अधिक

यूपी सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिम यूपी के मेरठ और आगरा में लगतार कोविड मरीजों की मृत्यु के मामले चिंता का सबब बन रहे हैं. मेरठ में 837 केस आए जिसमें 75 मौतें हो गईं. यहां पर 9 प्रतिशत मृत्यु दर है. आगरा में 1150 केस आए जिनमें 84 मौतें हो चुकी है, यहां पर लगभग 7 प्रतिशत मृत्यु दर है. झांसी में 112 केस सामने आए हैं जिनमें 12 लोगों की मौत हुई है. यहां पर लगभग 10.7 प्रतिशत मृत्यु दर है. एटा में 102 केस आए हैं जिसमें 7 की मौत हुई है. यहां पर लगभग 6.9 प्रतिशत मृत्यु दर है.

आगरा मॉडल पर गंभीर सवाल

लॉकडाउन की शुरुआत में जिस आगरा मॉडल की तारीफ योगी सरकार कर रही थी वो ध्वस्त होता दिखाई दे रहा है. आगरा में 1150 केस सामने आए हैं जिनमें 84 मौतें हो गईं. इनमें 28 मौतें इसी महीने हुई हैं. यहां 7 प्रतिशत के करीब मृत्यु दर है जो कि यूपी के 3.10 से दोगुना से भी ज्यादा है. दिल्ली, मुंबई की तुलना में (जहां लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है) में भी आगरा का मृत्यु दर अधिक है. दिल्ली में मृत्यु दर 4.11% तो मुंबई में 4% है. स्थानीय मीडिया में  इलाज को लेकर लापरवाही पर सवाल भी उठे हैं जिससे प्रशासन इंकार कर रहा है.

प्रियंका के सवाल पर बवाल

वहीं आगरा मॉडल को लेकर प्रियंका गांधी ने सवाल उठाते हुए ट्वीट किया तो आगरा डीएम पी.एन. सिंह द्वारा उन्हें नोटिस जारी कर ट्वीट डिलीट करने को कहा गया. डीएम ने नोटिस के जरिए प्रियंका गांधी से 24 घंटे के अंदर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा जिससे महामारी के कार्य में लगे कर्मचारियों का मनोबल ना गिरे.

दरअसल, बीते 22 जून को प्रियंका ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि आगरा में 48 घंटे में भर्ती हुए 28 कोरोना मरीजों की मृत्यु हो गई. उन्होंने स्थानीय मीडिया सोर्स का हवाला दिया. इसके अगले दिन उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि आगरा में कोरोना से मृत्यु दर दिल्ली व मुंबई से भी अधिक है. यहाँ कोरोना से मरीजों की मृत्यदर 6.8% है. यहाँ कोरोना से जान गंवाने वाले 79 मरीजों में से कुल 35% यानि 28 लोगों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 48 घण्टे के अंदर हुई है.‘आगरा मॉडल’ का झूठ फैलाकर इन विषम परिस्थितियों में धकेलने के जिम्मेदार कौन हैं?


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लगातार बढ़े मौत के आंकड़े

आगरा में कोरोना का पहला मरीज 3 मार्च को मिला था लेकिन मार्च में किसी की मौत नहीं हुई. अप्रैल में 14 लोगों ने आगरा में दम तोड़ा तो वहीं मई में 28 लोगों की जान चली गई. वहीं जून में भी अब तक 28 लोगों की जान जा चुकी है. इसमें सभी उम्र वर्ग के लोग शामिल हैं. कुछ ऐसा ही हाल मेरठ का है जहां अब तक 75 मौते हो गईं हैं. झांसी और एटा में मौतें अधिक नहीं हुईं लेकिन कम केस के बावजूद जो मौत हुईं उससे मृत्यु दर बढ़ी है. वहीं पश्चिम यूपी में गाजियाबाद में 49 तो फिरोजाबाद में 21 और वहीं नोएडा में 19 मौतें हुई हैं.

यूपी में बुधवार सुबह तक कुल 19,016 कोरोना केस आए हैं जिनमें 12,116 मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो गए हैं. 6,189 एक्टिव केस हैं जिनमें 588 की मौत हुई है. सबसे अधिक मौत आगरा 84 व मेरठ में 75 मौत हुई है. जबकि सबसे अधिक केस नोएडा (607) में एक्टिव हैं.

सीएम योगी की ओर से पिछले दिनों कोविड अस्पतालों में इलाज में लापरवाही ना होने देने के सख्त आदेश दिए गए थे लेकिन कई शहरों में बढ़ रहे मृत्यु दर ने विपक्षी दल व हेल्थ एक्सपर्ट्स को यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था पर तमाम सवाल खड़े करने का मौका दे दिया है.

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