scorecardresearch
Friday, 21 June, 2024
होमदेशसबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य यूपी में चुनाव से पहले दो-बच्चा नीति की तैयारी, तैयार हो रहा मसौदा

सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य यूपी में चुनाव से पहले दो-बच्चा नीति की तैयारी, तैयार हो रहा मसौदा

विधि आयोग की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस (सेवानिवृत्त) ए.एन. मित्तल का कहना है कि सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद दो बच्चों संबंधी नीति का मसौदा तैयार करने में करने में कम से कम दो महीने का समय लगेगा.

Text Size:

लखनऊ: देश में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में जल्द ही दो बच्चों संबंधी नीति एक लागू हो सकती है, जिसका उद्देश्य लोगों को अपना परिवार छोटा रखने के लिए प्रोत्साहित करना है. यूपी के राज्य विधि आयोग ने इस संबंध में विधेयक लाने के लिए एक मसौदा बिल पर काम करना शुरू कर दिया है, जिसमें राज्य प्रायोजित योजनाओं का लाभ केवल उन लोगों तक सीमित करने का प्रस्ताव किया जा सकता है जिनके दो या उससे कम बच्चे हैं.

यद्यपि यूपी सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की है, लेकिन विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) आदित्य नाथ मित्तल ने दिप्रिंट से बातचीत में इसकी पुष्टि की कि उन्होंने मसौदा बिल तैयार करने के लिए बुनियादी स्तर पर कामकाज और चर्चा शुरू कर दी है.

मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने भी दिप्रिंट को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान इस मसौदे पर चर्चा की है.

असम भी इसी तरह की नीति लागू करने की योजना बना रहा है, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में घोषणा की थी कि उनकी सरकार राज्य द्वारा वित्त पोषित विशेष योजनाओं के तहत लाभ लेने के लिए धीरे-धीरे दो-बच्चों के मानदंड को लागू करेगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस मित्तल ने कहा कि सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने और जनता की भी राय को ध्यान में रखते हुए यूपी के लिए यह मसौदा तैयार करने में कम से कम दो महीने का समय लगेगा.

इस तरह के कानून की जरूरत पर जस्टिस मित्तल ने कहा, ‘जनसंख्या नियंत्रण बहुत जरूरी है. यूपी की आबादी 22 करोड़ से ज्यादा है, जो कई देशों की कुल आबादी से कहीं ज्यादा है. इसलिए यह जरूरी हो गया है कि कहीं न कहीं कुछ कदम तो उठाया जाए.’

अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल और यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी इस बात पुष्टि की कि मसौदा तैयार किया जा रहा है, लेकिन साथ ही कहा कि इस बारे में अधिक ब्योरा साझा नहीं कर सकते हैं.

मित्तल ने बताया कि इस तरह के मसौदे पर संसद में भी कई बार चर्चा हो चुकी है लेकिन यह पारित नहीं हो सका.

2019 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जनसंख्या विस्फोट’ के मुद्दे पर बात की थी, और यहां तक कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण एक तरह से राष्ट्रभक्ति ही है और उन्होंने अपना परिवार छोटा रखने वालों की सराहना भी की थी. उन्होंने कहा था, ‘छोटे परिवार की नीति पर चलने वाले दरअसल राष्ट्र के विकास में योगदान ही करते हैं, यह भी देशभक्ति का ही एक रूप है.’

इस साल फरवरी में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने देश में बढ़ती आबादी और परिवार नियोजन को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बात की थी. उन्होंने कहा था, ‘अधिक लोगों के लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है और जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, पृथ्वी के संसाधन घटने लगते हैं.’

हालांकि, मित्तल ने इस बात पर जोर दिया कि ‘जनसंख्या नियंत्रण परिवार नियोजन से अलग है’ और ‘यह किसी विशेष धर्म और मानवाधिकारों के खिलाफ नहीं है.’

मित्तल ने कहा, ‘कानून का उद्देश्य देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में जनसंख्या नियंत्रण में मदद करना है.’


यह भी पढ़ेंः चुनाव से पहले ही पालाबदलुओं ने क्यों नया ठिकाना तलाशना शुरू किया, क्या दिखाता है ये ट्रेंड


ड्राफ्ट बिल में होगा क्या

जस्टिस मित्तल ने कहा कि वह मसौदे की रूपरेखा का खुलासा नहीं कर सकते लेकिन उनका मानना है कि इसमें बढ़ती आबादी को रोकने के उपाय शामिल होने चाहिए.

उन्होंने कहा कि मसौदे में राज्य सरकार के कार्यक्रमों जैसे कुछ उत्पादों और सेवाओं पर सब्सिडी, राशन वितरण, रोजगार आदि में मिलने वाले लाभों को दो या उससे कम बच्चों वाले लोगों तक सीमित करने का सुझाव दिया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कहना चाहता कि इसमें किसी ‘सख्त कार्रवाई’ का प्रावधान होगा, लेकिन कुछ सुझाव होने चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘इसका मसौदा तैयार करते वक्त सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा और इस तरह के सभी कानूनों का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा.’ साथ ही जोड़ा कि वे अन्य देशों में लागू ऐसे कानूनों के बारे में व्यापक अध्ययन करेंगे.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने कहा, ‘ऐसा कोई विधेयक तैयार करने संबंधी कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. जब भी इसका मसौदा तैयार हो जाएगा, इसे संबंधित विभाग को भेजा जाएगा और इसके बाद ही सरकार इस पर कोई फैसला करेगी.’

यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, ‘जब मसौदा तैयार हो जाएगा, हम इसे देखेंगे लेकिन अभी मैं कुछ नहीं कह सकता. तब तक केवल संबंधित विभाग या जो इसका मसौदा तैयार कर रहे हैं, वही आपको इसका ब्योरा दे सकते हैं.’

यह पूछे जाने पर कि इस तरह के विधेयक के मसौदा राज्य विधानसभा चुनाव से सिर्फ सात महीने पहले ही क्यों तैयार किया जा रहा है, जस्टिस मित्तल ने कहा कि इसका चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है.

हालांकि, सीएमओ के एक करीबी सूत्र ने कहा कि इसका उद्देश्य राज्य में चुनाव से पहले ‘जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे’ पर बात करने का माहौल बनाना हो सकता है.

सूत्र ने कहा, ‘योगी सरकार निश्चित तौर पर चुनाव से पहले आखिरी विधानसभा सत्र में जनसंख्या नियंत्रण मुद्दे से संबंधित ‘माहौल’ बनाने के लिए इस तरह का बिल लाने की कोशिश करेगी. सरकार धर्मांतरण निषेध अध्यादेश, 2020 और गोहत्या रोकथाम (संशोधन) अध्यादेश, 2020 पहले ही ला चुकी है और इसने योगी की एक सशक्त मुख्यमंत्री वाली छवि बनाने में काफी मदद की है.’

भारत दुनिया के उन पहले देशों में एक है जिसने 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया था, जिसका उद्देश्य ‘प्रजनन क्षमता घटाना और जनसंख्या वृद्धि दर को धीमा करना था.’

भारत के राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम का लक्ष्य 2025 तक भारत की कुल प्रजनन दर को 2.1 तक घटाना है.

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः UP में धर्मांतरण गिरोह के दो आरोपी गिरफ्तार, योगी आदित्यनाथ ने दिया रासुका लगाने का निर्देश


 

share & View comments