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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशUP की तर्ज पर मदरसा सर्वे, मस्जिदों के CCTV पुलिस कंट्रोल में हों: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड प्रमुख

UP की तर्ज पर मदरसा सर्वे, मस्जिदों के CCTV पुलिस कंट्रोल में हों: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड प्रमुख

पिछले हफ्ते इस पद पर निर्विवाद चुने गए शादाब शम्स ने कहा कि बोर्ड गणित और विज्ञान जैसे विषयों के जरिए मदरसों को मुख्यधारा की शिक्षा में लाने की भी योजना बना रहा है.

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देहरादून: उत्तराखंड के नए वक्फ बोर्ड अध्यक्ष चाहते हैं कि पुष्कर सिंह धामी सरकार उत्तर प्रदेश का अनुसरण करते हुए राज्य के गैर-पंजीकृत मदरसों का एक सर्वेक्षण कराए.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता शम्स, जो पिछले हफ्ते इस पद पर निर्विवाद चुने गए थे, एक इंटरव्यू में दिप्रिंट से कहा कि वक्फ बोर्ड जल्द ही राज्य सरकार के सामने आधिकारिक रूप से इस बात को रखेगा कि जल्द ही ऐसे मदरसों का पता लगाया जाए जो उससे या उत्तराखंड मदरसा बोर्ड (यूएमबी) से संबद्ध नहीं है, जो इस्लामिक पढ़ाई के संस्थानों के लिए एक नियामक संस्था है.

वक्फ बोर्ड और यूएमबी दो सरकारी संस्थाएं हैं जो मदरसों पर नियंत्रण रखती हैं. इनमें दोनों का उन मदरसों पर इख़्तियार है जो उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

शम्स ने कहा, ‘यूपी सरकार से सीख लेते हुए हम उत्तराखंड में चल रहे मदरसों का एक सर्वे कराएंगे. इसमें वो मदरसे शामिल होंगे जो यूएमबी या वक्फ बोर्ड से संबद्ध हैं और वो भी शामिल होंगे जो दोनों सरकारी संस्थाओं में से किसी के साथ पंजीकृत नहीं हैं’.

उन्होंने आगे कहा कि इसका उद्देश्य राज्य में काम कर रहे गैर-पंजीकृत मदरसों का डेटा बेस तैयार करना है और ये पता लगाना है कि वो बोर्ड के साथ पंजीकृत क्यों नहीं हैं. इस कवायद का मकसद ये भी है कि सरकारी-सहायता प्राप्त ऐसे मदरसों का भी पता लगाया जाए, जिन्हें सुधार की जरूरत है.

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जो मदरसे राज्य वक्फ बोर्ड या यूएमबी के साथ रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें एक चेतावनी दी जाएगी या तो रजिस्टर हो जाएं वरना उन्हें भंग कर दिया जाएगा.

वक्फ बोर्ड प्रमुख ने कहा, ‘किसी गैर-पंजीकृत मदरसे को उत्तराखंड में काम करने नहीं दिया जाएगा, चाहे कुछ भी हो जाए. मैंने सीएम से बात की है. सर्वे के लिए उन्हें जल्द ही एक औपचारिक प्रस्ताव पेश किया जाएगा’.

इस घटनाक्रम से दो महीना पहले ही धामी सरकार ने सरकारी सहायता पाने वाले मदरसों को चेतावनी दी थी कि या तो राज्य शिक्षा बोर्ड के साथ संबद्ध हो जाएं, वरना कार्रवाई का सामना करें.

शम्स ने ये भी कहा कि राज्य की मस्जिदों और मदरसों में सुरक्षा कैमरे लगाए जाएंगे, ताकि ‘यदि कोई ‘अवैध गतिविधियां होती हैं तो उन पर रोक लग सके’.

वक्फ बोर्ड के अनुमानों के मुताबिक उत्तराखंड में फिलहाल 522 रजिस्टर्ड मदरसे हैं (419 यूएमबी के साथ और 103 वक्फ बोर्ड के साथ), जबकि तकरीबन इतनी ही संख्या गैर-पंजीकृत मदरसों की है.

31 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया था कि गैर-पंजीकृत मदरसों का पता लगाया जाए और उन्हें चलाने वाली संस्थाओं, उनके पाठ्यक्रम और उनकी आय के स्रोत की जानकारी जुटाई जाए. इस घटनाक्रम से एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें विपक्ष दावा कर रहा है कि इस कवायद का मकसद राज्य में रह रहे मुसलमानों को परेशान करना है.


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उन्नत शिक्षा, बेहतर बुनियादी सुविधाएं

शम्स ने दावा किया कि नया बोर्ड मदरसे की पढ़ाई को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ना चाहता है. इसका मतलब है मदरसा शिक्षा व्यवस्था में गणित और विज्ञान जैसे विषय शामिल करना: ‘उत्तराखंड के मदरसों में अब विज्ञान, गणित और हिंदी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं जैसे मुख्यधारा के विषय शामिल किए जाएंगे. उन्हें उचित स्कूलों में परिवर्तित किया जाएगा और स्मार्ट कक्षाओं तथा शिक्षा प्रणालियों के साथ आधुनिक बनाया जाएगा’.

योजना यह है कि धार्मिक शिक्षा को चार घंटे रखा जाए- दो सुबह में और दो शाम को, जबकि नियमित कक्षाएं सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक होंगी.

शम्स ने कहा कि प्रस्ताव को, जो अभी पाइपलाइन में ही है, पहले वक्फ बोर्ड से जुड़े 103 मदरसों में लागू किया जाएगा, और आखिरकार इसे यूएमबी संस्थानों में भी दोहराया जाएगा.

उन्होंने आगे कहा कि बोर्ड की मदरसों का सुधार करने की भी योजना है- न सिर्फ पाठ्यक्रम बल्कि उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी. इसके लिए वक्फ बोर्ड के पास काफी फंड्स- जो ज़्यादातर दान से आते हैं और संपत्तियां हैं.

शम्स ने यह भी दावा किया कि बोर्ड मदरसा छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के केंद्र भी स्थापित करेगा: ‘ये केंद्र आईटीआई और अन्य व्यावसायिक तथा कौशल विकास केंद्रों की शक्ल में होंगे, ताकि जाति मदरसा छात्रों को रोजगार के बेहतर साधन मिल सकें’.

उन्होंने कहा कि बोर्ड के रिकॉर्ड्स के अनुसार, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के पास लगभग 3 लाख करोड़ मूल्य की संपत्ति है. उन्होंने आगे कहा, ‘रुड़की के रहमानिया मदरसे को एक मॉडल अल्पसंख्यक स्टडी सेंटर के तौर पर विकसित किया जाएगा, जो स्मार्ट क्लासेज़, पर्याप्त शिक्षण कर्मचारियों और दूसरी आधुनिक बुनियादी सुविधाओं से लैस होगा’.


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मस्जिदों में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे, लाउडस्पीकर्स हटाए जाएंगे

शम्स ने कहा कि राज्य वक्फ बोर्ड के तहत आने वाले मदरसों और मस्जिदों में सुरक्षा कैमरे लगाए जाएंगे. ‘राज्य वक्फ बोर्ड के प्रबंध में आने वाले मदरसों और सभी 709 मस्जिदों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिनका रिमोट कंट्रोल स्थानीय पुलिस थानों में होगा. इसका मकसद गैर-कानूनी हरकतों को रोकना और मस्जिदों में पारदर्शिता बनाए रखना है’.

उन्होंने कहा कि नई मस्जिदों में कोई लाउडस्पीकर नहीं होंगे और कोशिश की जाएगी कि मौजूदा मस्जिदों से भी उन्हें हटा दिया जाए. इसी साल दो सूबों- उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में लाउडस्पीकरों से जुड़े विवाद को देखते हुए ये कदम काफी महत्वपूर्ण है.

शम्स ने कहा कि बोर्ड ऐसे बुज़ुर्गों के लिए शेल्टर होम्स खोले जाने की योजना पर भी काम कर रहा है, जिन्हें उनके परिवार छोड़ देते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि इन होम्स को ‘दूसरी इनिंग’ कहा जाएगा और इन शेल्टर्स में रहने वाले जब चाहें अपने घरों को वापस जा सकते हैं.


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अतिक्रमण-विरोधी मुहिम

बीजेपी नेता ने कहा कि हालांकि अपनी गतिविधियों को वित्त-पोषित करने के लिए बोर्ड के पास पर्याप्त संपत्ति है लेकिन उनमें से बहुत सी संपत्तियों पर अतिक्रमण कर लिया गया था. इसके लिए संभावना है कि 17 सितंबर को बोर्ड एक अतिक्रमण-विरोधी मुहिम शुरू करेगा. इन संपत्तियों में सबसे पहले है देहरादून में 14 बीघा वक्फ भूमि, जिसके लिए शम्स का दावा है कि उस पर ‘बरसों से’ अतिक्रमण किया जाता रहा है.

उन्होंने कहा, ‘नया बोर्ड 15 सितंबर को अपनी पहली बैठक करेगा और अतिक्रमण-विरोधी मुहिम को अंतिम रूप देगा’. उन्होंने आगे कहा, ‘ये (मुहिम) देश के दूसरे वक्फ बोर्ड के लिए भी, उनकी अपनी जमीनों को खाली कराने के लिए एक मिसाल कायम करेगी’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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