वाराणसी/बलिया (उप्र), 29 अगस्त (भाषा) वाराणसी में गंगा और वरुणा नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने के कारण पुन: बाढ़ आ गई है, जबकि बलिया जिले में भी गंगा और सरयू नदी के जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे के गांवों के लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, शुक्रवार को गंगा का जलस्तर अपने चेतावनी चिह्न 70.262 मीटर को पार करते हुए 71.00 मीटर पर पहुंच गया है जिससे नागरिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वाराणसी में खतरे का निशान 71.262 मीटर है।
वाराणसी जिले के गंगा और वरुणा के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है और गंगा के सभी घाट अब भी जलमग्न हैं। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र के निचले घाट पानी में डूब जाने के कारण शवदाह छतों और गलियों में किया जा रहा है।
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध ‘‘गंगा आरती’’ सांकेतिक रूप से छत पर की जा रही है। रमना, सामने घाट, नगवा, कोनिया, हुकुलगंज आदि इलाकों में घरों में पानी घुस गया है।
नगवा के संगमपूरी निवासी रमेश सिंह ने बताया कि वे अपने मकान के दूसरे तल पर रह रहे हैं क्योंकि पहली मंजिल में पानी भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि वे दो दिन से घर से बाहर नहीं निकले हैं, आस-पास के रिश्तेदार और परिचित भोजन पहुंचा देते हैं, लेकिन मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है।
रमेश सिंह ने बताया कि इससे पहले जलस्तर कम होने के बाद हालात सामान्य होने लगे थे और घरों की साफ-सफाई भी कर ली गई लेकिन फिर से पानी घरों में घुस गया।
उन्होंने बताया कि मोहल्ले के बच्चों को स्कूल जाने में भी परेशानी हो रही है।
रमना निवासी सम्पूर्णनानंद ने कहा कि जलस्तर कम होने के बाद किसानों ने अपने खेतों में सेम, बैगन आदि की बुआई की थी जो फिर से पानी आने की वजह से खराब हो गई।
राजातालाब के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) शांतनु कुमार सिंसवार ने बताया कि खेतों में पानी आने से कुछ क्षेत्रों में फसलों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि जगह-जगह बाढ़ चौकियां सक्रिय हैं, लेकिन लोग वापस जा चुके हैं।
उन्होंने बताया, ‘‘बाढ़ को लेकर सारी तैयारियां पूरी हैं। यदि लोग वापस बाढ़ चौकियों में आते हैं तो यहां पूरी तैयारियां हैं। बाढ़ चौकियों पर राहत सामग्री, दवाइयों सहित सभी जरूरत के सामान उपलब्ध हैं तथा चिकित्सकों और नर्सों की टीम भी मौजूद है।’’
बलिया में गंगा के उफान पर आ जाने के कारण नदी के तटवर्ती क्षेत्र के लोगों की परेशानी बढ़ गई है। जिला मुख्यालय पर स्थित महावीर घाट जलमग्न हो जाने के बाद सड़कों पर अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है।
बलिया के जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बताया कि गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर जाने के कारण तटवर्ती गांवों के रिहायशी इलाकों में पानी घुस चुका है। उन्होंने बताया कि गांव की आबादी को कोई परेशानी न हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जन हानि और पशु हानि बिल्कुल न होने पाए, इसके लिए टीमें लगातार गश्त कर रही हैं।
बलिया जिले में गंगा तीसरी बार खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जिला प्रशासन द्वारा शुक्रवार को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, गंगा गाय घाट पर खतरे के निशान 57.615 मीटर से लगभग दो मीटर ऊपर 59.64 मीटर पर बह रही है।
उधर, शुक्रवार सुबह सरयू नदी का मांझी में जल स्तर 55.95 मीटर रहा, जो खतरे के निशान 55.15 मीटर से 80 सेंटीमीटर अधिक है। जिले की बैरिया और बलिया सदर तहसील बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित हैं।
बैरिया के एसडीएम आलोक प्रताप सिंह ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बाढ़ से तहसील क्षेत्र के कुल दस गांव और लगभग दस हजार आबादी प्रभावित हुई है। तहसील क्षेत्र के चक्की नौरंगा गांव में बीते 48 घंटे में 13 मकानों को नुकसान हुआ है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के आवागमन के लिए 33 नौकाएं तैनात की गई हैं।
बलिया तहसील के नायब तहसीलदार प्रदीप कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गंगा की बाढ़ से बलिया सदर तहसील के आठ गांव और बलिया नगर पालिका परिषद के वार्ड 10, 11 और 14 प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने बताया कि गांवों में 22 और नगर पालिका परिषद क्षेत्र में पांच नौकाएं तैनात की गई हैं। ग्रामीण इलाके में 1,101 परिवारों की लगभग 5,605 और शहरी क्षेत्र में लगभग 1,400 जनसंख्या प्रभावित हुई है।
जिला आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, एनडीआरएफ और पीएसी की एक-एक कंपनी बलिया जिले में रहकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
भाषा सं आनन्द मनीषा खारी
खारी
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