लखनऊ: कोरोनावायरस का खौफ तो गांव-गांव तक फैला है लेकिन किसानों को इससे अधिक अपनी फसल की चिंता सता रही है. पहले बेमौसम बरसात और फिर ओला गिरने से फसलों के नुकसान से परेशान किसान अब खेत में बची फसल की कटाई को लेकर चिंतित हैं. दिप्रिंट ने लाॅकडाउन में कई गांव में जाकर किसानों से उनका हाल जाना.
फसल तैयार, नहीं मिल रहे मजदूर
लखनऊ के कनकहा गांव के उमेश कुमार बताते हैं कि कोरोनावायरस के डर के कारण पक कर तैयार फसल कट नहीं पा रही है. मजदूर नहीं मिल रहे हैं. अकेले या 2-3 लोग मिलकर कैसे कटाई करें. सबको अपने-अपने खेत की चिंता है. कई बार खेत में आकर पुलिस वाले दूर-दूर रहकर खेती करने को कहते हैं. उनका कहना भी अपनी जगह ठीक है लेकिन अधिकतर गांव वाले पुलिस को देखकर ही डर जाते हैं, वो खेती क्या करेंगे. इस बार फरवरी-मार्च में हुई बेमौसम बरसात ने वैसे भी काफी नुकसान किया है.
मशीन दरवाजे पर खड़ी हैं, चलाने वाले नहीं आ रहे
कंबाइन चलाने वालों की कमी से मशीन लोगों के दरवाजे पर खड़ी है. सुखलाल खेड़ा गांव के संदीप कुमार बताते हैं कि एक सप्ताह में गेहूं की फसल नहीं कटी तो खेत में दाने झड़ने की नौबत आ जाएगी. ऐसे में फसल की बर्बादी की चिंता सता रही है. लाॅकडाउन के चलते कंबाइन मालिक दूसरे राज्यों से आने वाले ड्राइवर और फोरमैन नहीं बुला पाए हैं. कबांइन चलाने के लिए पंजाब से हर साल ड्राइवर बुलाए जाते हैं लेकिन वे नहीं आ पा रहे हैं. मजदूर नहीं मिलने से फसल की निराई-गुड़ाई और सिंचाई नहीं हो पा रही है.
नगराम के रहने वाले किसान सुरेश चंद्र के मुताबिक, लॉकडाउन में गेहूं की फसल काटने को मजदूर नहीं मिल रहे हैं. मजदूर न मिलने से सरसों, मटर की फसलें खेत में बर्बाद हो रही हैं. वहीं इससे पहले फरवरी-मार्च में हुई बारिश से गेहूं की पैदावार वैसे ही कम हुई है और अब खेत में लगाई गई हरी सब्जिया भी बर्बाद हो रहीं.
आवारा पशुओं का डर
उन्नाव के पुरथ्यांवा गांव के रहने वाले किसान राजू सिंह का कहना है कि कोरोना के डर से घर वाले खेत में जाने को मना करते हैं लेकिन अगर खेत की रखवाली नहीं करेंगे तो आवारा पशु सारी फसल बर्बाद कर देंगे. वैसे भी आवारा पशुओं का कहर तो कोरोना से पहले से चलता आ रहा है. पिछले दिनों आगरा में आवारा पशुओं से तंग आकर किसान के आत्महत्या करने का मामला स्थानीय मीडिया में सुर्खियां बना था.
गांव में मास्क, सैनेटाइजर की कमी
इसी गांव के राम लखन ने बताया कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए मास्क-सैनेटाइजर का इंतजाम भी गांव में कम है. गांव वाले महंगे मास्क कहां से लाएं. हालांकि सरकार की ओर से खादी के 66 करोड़ मास्क बनाने का ऑर्डर दिया गया है. गरीबों को ये मास्क नि:शुल्क दिए जाएंगे. ये कब मिलेंगे इसका इंतजार है.
कई मजदूर क्वारंटाइन सेंटर्स में
कनकहा गांव के शिवपूजन बताते हैं कि दिल्ली, पंजाब समेत दूसरे राज्यों से कई मजदूर फसल काटने के उद्देश्य से भी आए थे लेकिन उन्हें क्वारंटाइन सेंटर्स भेज दिया गया. दरअसल बाहर से आ रहे मजदूर व श्रमिकों को सरकार द्वारा उन्हें डिस्ट्रिक्ट बाॅर्डर पर ही रोक कर सेंटर्स पर भेजा जा रहा है तो वहीं जो अपने गांव तक पहुंच चुके हैं उनके लिए गांव के प्राइमरी स्कूलें में क्वारंटाइन किया जा रहा है. कई मजदूरों क्वारंटाइन सेंटर्स में अपने खेतों और मजदूरी की चिंता सता रही है. यही कारण है कि कई मजदूर इन सेंटर्स से भाग भी जा रहे हैं जिसके कारण अधिकारी परेशान हैं.
जिलाधिकारी महोदया के निर्देश के क्रम में लाक-डाउन के समय तहसील महाराजगंज के ग्राम कुबना में कोरेन्टाइन सेण्टर से भागने वाले 9 लोगो पर FIR दर्ज कराई गई @Shubhra_S1 @InfoDeptUP@UPGovt @CMOfficeUP @ChiefSecyUP pic.twitter.com/DWA9GzmpAa
— DM RAEBARELI (@dmraebareli) April 2, 2020
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने किसानों के मामले को उठाते हुए कहा है कि यूपी के किसानों पर कोरोना का ‘डबल कहर’ जारी है. एक तरफ लॉकडाउन की मार है दूसरी ओर कर्ज वसूली की तलवार भी लटक रही है. किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी सरकार को करनी चाहिए. वहीं लॉकडाउन के दौरान हो रहे किसानों को नुकसान का मुआवजा भी देना चाहिए.
सरकार की ओर से सहूलियत का दावा
योगी सरकार के मंत्री व प्रवक्ता महेंद्र सिंह के मुताबिक, सरकार को किसानों की बेहद चिंता है इसीलिए उन्हें लाॅकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए खेतों में काम करने को कहा गया है. बाकि फसल खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत दूसरे जरूरी मुद्दों पर भी सरकार समय से व्यवस्था करने में जुटी है.
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एमएसपी पर सरकार 2.64 लाख मीट्रिक टन सरसों, 2.01 लाख मीट्रिक टन चना और 1.21 लाख मीट्रिक टन मसूर किसानों से खरीदेगी. ये खरीद 90 दिन तक होगी. वहीं सरकार से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, योगी सरकार की ओर से रबी फसलों की कटाई में इस्तेमाल होने वाले कंबाइन हारवेस्टर समेत दूसरे उपकरणों को लॉकडाउन से छूट दे दी है. वहीं उर्वरक, बीज और कृषि रक्षा रसायनों के बिक्री केंद्र को खोलना और उनके निर्माण-आपूर्ति को जारी रखने का फैसला भी किया गया है.
सरकार से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि सरकार ग्राम प्रधानों के जरिए किसानों से संवाद कायम करने की पूरी कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी ओर कई किसानों ने दिप्रिंट से बातचीत में अपने-अपने ग्राम प्रधानों पर ही कई आरोप लगाते हुए कहा कि अक्सर कई योजनाओं का लाभ मिल ही नहीं पाता. प्रधान कई बार सरकार के संदेश ठीक तरह से नीचे तक नहीं पहुंचाते.