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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशड्रोन को 'अवैध रूप से' उड़ाकर यूपी, दिल्ली और पंजाब पुलिस कानून लागू करने के नाम पर कानून तोड़ रहे हैं

ड्रोन को ‘अवैध रूप से’ उड़ाकर यूपी, दिल्ली और पंजाब पुलिस कानून लागू करने के नाम पर कानून तोड़ रहे हैं

केवल कुछ एजेंसियों जैसे एनटीआरओ, एविएशन रिसर्च सेंटर और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को ड्रोन उड़ाने की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है.

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नई दिल्ली: दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की पुलिस ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की अनुमति के बिना कथित तौर पर निगरानी के लिए ड्रोन उड़ाए हैं. दिप्रिंट को मिली जानकारी से यह पता चला है.

कुछ ड्रोन निर्माताओं ने दावा किया है कि कुछ राज्यों में पुलिस यहां तक ​​कि डीजेआई नामक एक चीनी कंपनी द्वारा बनाए गए ड्रोन उड़ा रही है, जो डीजीसीए के नियमों का पालन नहीं करते हैं.

5 जनवरी की कैंपस हिंसा के बाद दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में ड्रोन देखे गए थे.

13 जनवरी को मंत्रालय ने घोषणा की थी कि ड्रोन मालिकों/ ऑपरेटरों को अपने ड्रोन को 31 जनवरी तक पंजीकृत करना होगा. ताकि सरकार को पता चल सके कि देश में कितने और किस प्रकार के ड्रोन संचालित किए जा रहे हैं. मंत्रालय ने यह भी कहा कि जो लोग रजिस्टर करने में विफल होंगे उन पर भारतीय दंड संहिता और विमान अधिनियम के तहत कार्रवाई भी की जाएगी.

दिसंबर 2018 से लागू हुए डीजीसीए के नियमों के अनुसार सभी ड्रोन ऑपरेटरों/ निर्माताओं को ड्रोन उड़ाने के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) और एक परमिट प्राप्त करने की जरूरत है, जिसे मानवरहित विमान परिचालक परमिट के रूप में जाना जाता है.

मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन संचालित करने की अनुमति ’डिजिटल स्काई’ नामक पोर्टल पर ली जा सकती है.

एक डीजीसीए अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर ईमेल के जवाब में दिप्रिंट को बताया कि केवल कुछ तकनीकी एजेंसियों जैसे कि राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ), एविएशन रिसर्च सेंटर और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को ड्रोन उड़ाने की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है.

डीजीसीए के अनुसार ड्रोन बनाने वालों से पहले ’डिजिटल स्काई’ के माध्यम से अनुमति लेने की आवश्यकता है. ड्रोन को ’डिजिटल स्काई’ पोर्टल के माध्यम से ट्रैक किया जाये, इसे ‘नो परमिशन-नो टेक ऑफ’ (एनपीएनटी) नामक एक डीजीसीए सॉफ्टवेयर के साथ कम्पैटिबल करने की आवश्यकता है.

‘पुलिस की अनुमति ड्रोन उड़ाने के लिए पर्याप्त’

ड्रोन बनाने वाले और ऑपरेटर जिन्होंने पुलिस के साथ काम किया है उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें सेवाओं को संचालित करने के लिए केवल पुलिस से अनुमति मिलती है. उन्होंने कहा कि जब पुलिस अपने ड्रोन उड़ाती है तब भी वे डीजीसीए से अनुमति नहीं मांगते हैं.

मुंबई पुलिस के साथ काम करने वाले एक ड्रोन ऑपरेटर ने कहा कि ड्रोन ऑपरेशन के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मंजूरी को आमतौर पर पर्याप्त माना जाता है.

दिल्ली स्थित ड्रोन निर्माता और ऑपरेटर ओमनीप्रेजेंट रोबोट टेक के संस्थापक-सीईओ आकाश सिन्हा ने भी कुछ ऐसी ही जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ड्रोन के संचालन की मंजूरी पुलिस द्वारा दी गई है और किसी अन्य से अनुमति नहीं ली गई.

सिन्हा ने कई साल पहले दिल्ली पुलिस के लिए ड्रोन सेवाएं प्रदान की थीं ताकि परियोजनाओं का सर्वेक्षण किया जा सके और पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में 2014 के दंगों के बाद की स्थिति की निगरानी की जा सके.

बेंगलुरु की एक ड्रोन बनाने वाली कंपनी एस्टेरिया एयरोस्पेस के एक कर्मचारी, जिसके अधिकांश स्टेक रिलायंस इंडस्ट्रीज के स्वामित्व में हैं, ने यह भी कहा कि पुलिस ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं मांगती है.

कर्मचारी ने कहा कि पंजाब और पश्चिम बंगाल पुलिस ने उसकी कंपनी द्वारा बनाए गए ड्रोन का इस्तेमाल किया है.

बिना अनुमति के देश में पुलिस फ्लाइंग ड्रोन के बारे में पूछे जाने पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रवक्ता राजीव जैन ने कहा कि पुलिस आमतौर पर ड्रोन संचालित करने के लिए एक तीसरे पक्ष को नियुक्त करती है और ऐसे ऑपरेटर डीजीसीए से अनुमति नहीं लेते हैं.

लेकिन, जैन ने कहा कि 31 जनवरी के बाद पुलिस के लिए उन ड्रोनों को चलाना संभव नहीं होगा जो पंजीकृत नहीं है.

उड्डयन मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि डीजीसीए तीसरे पक्ष के ड्रोन ऑपरेटरों के बारे में नहीं जानता है कि क्या वे पुलिस के लिए काम कर रहे हैं. अधिकारी ने कहा, ‘डीजीसीए के साथ ड्रोन पंजीकृत नहीं करना जोखिम भरा है, खासकर जब पुलिस तीसरे पक्ष के ड्रोन ऑपरेटरों को नियुक्त करती है.’

पुलिस का कहना है कि अनुमति ली गई थी

हालांकि, दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त डीसीपी रोहित मीणा ने दिप्रिंट को बताया कि दिल्ली के रामलीला मैदान जैसे स्थानों पर ड्रोन का उपयोग करने के लिए ‘प्रासंगिक अनुमति’ ली गई थी.

यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस विरोध या बड़े समारोहों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने की अनुमति लेती है, तो मीणा ने केवल यह कहा कि जो चिंतित है, वह हमसे संपर्क कर सकता है.

दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) मनदीप सिंह रंधावा ने कहा, ‘ड्रोन का उपयोग शायद ही कभी निगरानी के लिए किया जाता है और नागरिकों के लिए कोई गोपनीयता की चिंता नहीं है.’

पंजाब के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे ड्रोन का उपयोग मेलों के दौरान यातायात और बड़े समारोहों की निगरानी के लिए करते हैं और उन्हें इनका उपयोग करने की अनुमति की आवश्यकता नहीं है.

यूपी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (112 आपातकालीन सेवा) असीम अरुण ने कहा कि वे दो प्रकार के ड्रोन का उपयोग करते हैं- एक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और दूसरा चीनी डीजेआई द्वारा निर्मित ड्रोन.

अरुण ने कहा कि डीआरडीओ निर्मित ड्रोन कानून का अनुपालन करते हैं क्योंकि वे एक सरकारी संगठन द्वारा बनाए जाते हैं, लेकिन डीजेआई द्वारा बनाए गए ड्रोन ‘शायद कानून का पालन नहीं करते हैं.’ अरुण ने कहा, डीजेआई ड्रोन का उपयोग रचनात्मक उद्देश्यों जैसे हवाई फोटोग्राफी के लिए किया जाता है.

यूपी, गुजरात, मुंबई पुलिस ड्रोनों के लगातार उपयोग कर रहे हैं

महाराष्ट्र स्थित ड्रोन बनाने वाली कंपनी फ़ोरम के एजीएम (मार्केटिंग) क्रुती अरराममदा ने कहा कि यूपी पुलिस कंपनी द्वारा बनाए गए ड्रोन के सबसे अधिक उपयोगकर्ता हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी गुजरात, राजस्थान और मुंबई पुलिस को ड्रोन बेचती है.

उन्होंने कहा कि देश भर में लगभग 700 आईडियाफोर्ज वाले ड्रोन तैनात किए गए हैं, जिनमें से कुछ का इस्तेमाल अर्धसैनिक बलों और विभिन्न राज्य पुलिस बलों द्वारा किया जा रहा है. प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में भीड़ पर नजर रखने के लिए यूपी पुलिस द्वारा वर्तमान में आठ आईडियाफोर्ज वाले ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

विदेशी निर्मित ड्रोन पर चिंता

भारतीय नौसेना के एक पूर्व अधिकारी और नोएडा स्थित ड्रोन बनाने वाली कंपनी जॉननेट टेक्नोलॉजीज के संस्थापक लेफ्टिनेंट कमांडर जॉन लिविंगस्टोन (रिटायर्ड ) ने कहा, ‘भारत में ड्रोन उड़ाना गैरकानूनी है, जिसके पास डीजीसीए का एनपीएनटी सॉफ्टवेयर नहीं है.’

अरराममदा ने कहा कि विदेशी ड्रोन को अपने ड्रोन हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में बदलाव करने की जरूरत है. ताकि एनपीएनसी सॉफ्टवेयर का उपयोग कर सकें. उन्होंने कहा कि अब तक, चीनी डीजेआई ने डीजीसीए के एनपीएनटी को शामिल करने के लिए अपने ड्रोन में उन बदलावों को नहीं किया है.

लेकिन, विमानन मंत्रालय के प्रवक्ता जैन ने कहा कि प्राथमिकता अब देश में कार्यरत ड्रोनों की संख्या को जानना है और सभी को डीजीसीए में पंजीकृत कराना है. उन्होंने कहा, ‘एनपीएनटी अनुपालन पर चिंता को बाद में देखा जाएगा’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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