गोरखपुर, 18 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में इस साल सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाला ‘बाले मियां का मेला’ नहीं लगेगा।
सैयद सालार मसूद गाजी (बाले मियां) को श्रद्धांजलि देने के लिए एक महीने तक चलने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम रविवार को शुरू होना था। हालांकि, जिला प्रशासन ने आवश्यक अनुमति नहीं दी है, जिससे मेला प्रभावी रूप से रुक गया है।
ऐसा माना जाता है कि यह मेला 900 साल से भी अधिक पुराना है, जो परंपरागत रूप से बहरामपुर में राप्ती नदी के किनारे एक मैदान में आयोजित होता है।
इस महीने की शुरुआत में दरगाह मुतवल्ली मोहम्मद इस्लाम हाशमी द्वारा की गई घोषणा के बावजूद, आयोजन स्थल पर कोई खास तैयारियां नहीं हुई हैं। जबकि समिति ने औपचारिक रूप से अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन अधिकारियों ने कथित तौर पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
यहां मनोरंजन की सवारी और खाद्य स्टॉल लगाने सहित पारंपरिक तैयारियां कार्यक्रम स्थल पर नहीं हो पाई हैं।
हाशमी ने कहा, ‘मेले पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन प्रशासनिक मंजूरी न मिलने को वास्तविक रूप से इसे रद्द करने के रूप में देखा जा रहा है।’
हाशमी के अनुसार, मेला 16 जून तक चलना था। हालांकि शनिवार शाम तक सामान्य चहल-पहल गायब थी, जिससे संकेत मिलता है कि केवल कुछ ही श्रद्धालु प्रार्थना के लिए आ सकते हैं- मेले में आमतौर पर होने वाले उत्सवी माहौल के बिना।
पारंपरिक रूप से बाले मियां के मेले में मनोरंजन की सवारी और खाने-पीने के स्टॉल होते हैं, जो बड़ी संख्या में विशेष रूप से बच्चों को आकर्षित करते हैं। विशालकाय पहिए, ड्रैगन की सवारी और अन्य मनोरंजन मेले के मुख्य आकर्षण होते हैं और मैदान आमतौर पर देर रात तक जीवंत रहता है। हालांकि, इस साल ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रहा है।
इस बीच, हर्बर्ट बांध के चल रहे चौड़ीकरण कार्य के कारण मेला मैदान में बड़ी मात्रा में निर्माण सामग्री जमा हो गई है। स्थानीय लोगों का अनुमान है कि परिसर में निर्माण सामग्री के चलते भी इस बार मेला आयोजित नहीं किया जा सका।
भाषा
सं, आनन्द, रवि कांत रवि कांत
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