जम्मू: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को ‘‘केंद्र शासित प्रदेश (यूटी)’’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर विधानसभा से बहिर्गमन करने पर विपक्षी सदस्यों की आलोचना की और कहा कि जब तक संसद इसका राज्य का दर्ज़ा र्जा बहाल नहीं कर देती, तब तक यह क्षेत्र केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा.
विधानसभा ने जम्मू और कश्मीर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम, 2017 में संशोधन करने वाले विधेयक को पारित किया. इस दौरान पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सदस्य सज्जाद गनी लोन ने सदन से बहिर्गमन किया. लोन ने आरोप लगाया कि विधेयक पारित करना सदन द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे का समर्थन करने के समान है.
विपक्षी सदस्यों के बहिर्गमन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि हमने यहां ‘केंद्र शासित प्रदेश’ शब्द का उल्लेख किया है और कुछ नहीं, इससे कुछ नहीं बदलता है. दुर्भाग्य से, जब तक भारत की संसद हमारा राज्य का दर्जा बहाल नहीं करती, तब तक हम केंद्र शासित प्रदेश ही रहेंगे. इसलिए, हमें इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए.’’
उन्होंने कहा कि बहिर्गमन करने से इस मुद्दे पर कोई मदद नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हममें से कुछ लोगों को व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी का पोस्ट मिला है, उस पर हमें राजनीति नहीं करनी चाहिए.’’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमें जम्मू-कश्मीर के लोगों को राज्य का दर्ज़ा वापस दिलाना है. इंशाअल्लाह, हम इसे बहाल करेंगे. ‘यूटी’ शब्द को हटाने से हमारी सच्चाई नहीं बदलेगी. आप इसे पसंद करें या न करें, हम ‘यूटी’ ही हैं. यह सरकार केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शासन करती है.’’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वहीद पारा ने भी केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के समर्थन पर अपनी चिंता जताई.
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इस सदन द्वारा अब तक किए गए सभी कार्य जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के नाम से किए गए हैं. वित्त विधेयक पारित करने के दौरान, मैंने समेकित निधि के संबंध में बार-बार ‘जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश’ का उल्लेख किया. तब सज्जाद ने बहिर्गमन क्यों नहीं किया? अपने अनुदानों के दौरान, भी मैंने ‘केंद्र शासित प्रदेश’ का उल्लेख किया.’’
उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों ने केंद्र शासित प्रदेश के तहत शपथ ली और इसके तहत चुनाव लड़े.
अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के दर्जे की बहाली के लिए जीतोड़ कोशिश कर रही है.
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