नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) वर्ष 2023 में अनुभव की गईं गर्म समुद्री लहरें न केवल अभूतपूर्व थीं, बल्कि संभावित रूप से जलवायु परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण बिंदु का संकेत भी देती हैं, जिसका प्रवाल भित्तियों (कोरल रीफ) और पारिस्थितिकी तंत्र पर अपरिवर्तनीय व नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अध्ययन में कहा गया है कि किसी वर्ष में समुद्र का तापमान लंबे समय तक बढ़े रहने को समुद्री ऊष्ण लहर चलना कहा जाता है।
चीन और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने पाया कि उत्तरी अटलांटिक और उष्णकटिबंधीय, दक्षिण और उत्तरी प्रशांत समेत दुनिया भर के महासागरीय क्षेत्रों में अत्यधिक समुद्री ऊष्ण लहरें अनुभव की गईं। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार इन लहरों की अवधि सबसे लंबी, प्रभाव सबसे व्यापक था और तीव्रता सबसे अधिक थी।
साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन निष्कर्षों से पता चलता है कि सबसे तीव्र तापमान वृद्धि उत्तरी अटलांटिक, उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत, उत्तरी प्रशांत और दक्षिण-पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में हुई। अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक महासागरीय तापमान में कुल जितनी वृद्धि होती है, उसमें से 90 प्रतिशत वृद्धि इन समुद्री क्षेत्रों के कारण होती है।
अध्ययन के लेखकों ने कहा कि उत्तरी अटलांटिक में 2022 के मध्य से शुरू हुई ऊष्ण लहर 525 दिन तक जारी रही, जिसकी तीव्रता सामान्य से चार गुना अधिक थी।
उन्होंने कहा कि यह ‘इस क्षेत्र में सबसे लंबे समय तक दर्ज की गई समुद्री ऊष्ण लहर’ बन गई।
अध्ययन लेखकों ने कहा कि 2023 की समुद्री गर्म लहरें ‘एक वैश्विक घटना है, जो 50 साल में एक बार होती है।”
उन्होंने कहा कि 50 साल बाद भी ऐसा घटना होने की आशंका केवल दो प्रतिशत होती है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक तियानयुन डोंग ‘ईस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, निंगबो और चीन के साउदर्न यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ में संयुक्त पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ता हैं। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से ईमेल के माध्यम से कहा ‘दीर्घकालिक रूप से देखी जा रही ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से प्रेरित है। इसने महासागर की आधारभूत स्थिति को बदल दिया है, जिससे समुद्री ऊष्ण लहरें लगातार और तीव्र होती जा रही हैं।’
भाषा जोहेब माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.