नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्रे ने बृहस्पतिवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र की तीन एजेंसियों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के युवाओं को ‘सीखने से कमाने तक’ मदद के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं, और उनकी प्रगति को प्रभावित करने वाली व्यावहारिक और प्रणालीगत बाधाओं को दूर करने के लिए एक रूपरेखा पेश करेंगी।
यूनिसेफ इंडिया, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) और शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के साथ साझेदारी में, अगले कुछ दिन में सबसे अधिक हाशिए पर पड़े लोगों के लिए तकनीकी दिशा-निर्देश जारी करने की तैयारी कर रहा है।
दिशा-निर्देशों के बारे में ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए, मैककैफ्रे ने कहा कि इसका उद्देश्य हाशिए पर पड़े समुदायों पर ध्यान केंद्रित करके और प्रासंगिकता, पहुंच, समावेश, सुरक्षा, सक्षमता, परिवर्तनकारी और आकलन (रेज टीएम) रूपरेखा पेश करके युवा कार्यक्रमों को नया रूप देना है।
मैककैफ्रे ने कहा कि 21वीं सदी के कौशल विकास पर जोर देकर, दिशा-निर्देश युवाओं को ‘सीखने से कमाने तक’ मदद करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवा उत्पादक नागरिक बनना चाहते हैं और उन्हें सीखने से कमाने की ओर बढ़ने के लिए कौशल की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस ढांचे की स्फूर्ति हमें इसे विभिन्न समुदायों के अनुकूल बनाने की अनुमति देती है, चाहे वे ग्रामीण, आदिवासी या दिव्यांग हों, ताकि सभी युवा लाभान्वित हो सकें।’’
मैककैफ्रे ने कहा, ‘‘ये दिशा-निर्देश एक सामान्य दृष्टिकोण देते हैं, लेकिन युवा वास्तव में जो चाहते हैं, उसके आधार पर तैयार किए गए हैं। हम युवाओं की आवाज सुन रहे हैं और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाले कौशल की उनकी मांगों को पूरा करने का लक्ष्य बना रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि वंचित युवतियों के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों को पहचानते हुए, दिशा-निर्देशों का उद्देश्य एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है जो लिंग और अंतर-संबंधी बाधाओं पर विचार करता है।
मैककैफ्रे ने कहा, ‘‘यदि हम सबसे अधिक हाशिए पर पड़े लोगों तक सुरक्षा और सम्मान के साथ नहीं पहुंच रहे हैं, तो हम अपने लक्ष्य प्राप्त नहीं कर रहे हैं।’’
ये दिशा-निर्देश भारत के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप हैं, जो युवाओं को हरित अर्थव्यवस्था के लिए तैयार करने के लिहाज से नवीकरणीय ऊर्जा, पारिस्थितिकी आधारित पर्यटन और पुनर्चक्रण जैसे हरित क्षेत्रों में उनके कौशल को बढ़ावा देते हैं।
भाषा वैभव माधव
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