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Monday, 23 December, 2024
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ब्रिटेन की अदालत ने प्रत्यर्पण मामले में विजय माल्या की अपील खारिज की

अदलात ने माना कि अपीलकर्ता की लोन न चुकाने की मंशा उसकी पुरानी चीजों में दिखी है जिसमें उसने व्यक्तिगत और कार्पोरेट गारंटी को छुपाने की कोशिश की. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया.

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नई दिल्ली: ब्रिटेन की उच्च न्यायालय ने विजय माल्या को भारत के हवाले किए जाने के आदेश के खिलाफ उसकी ओर से दायर किए गए अपील को खारिज कर दिया है.

भारत को शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले में सोमवार को बड़ी सफलता मिली. माल्या भारत प्रत्यर्पित किये जाने के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर मामला हार गये हैं.

आदेश में कहा गया कि किंगफिशर ने अपनी वित्तीय हालत खराब होने के बाद भी लोन लिया और उसकी नेट वर्थ और क्रेडि रेटिंग भी खराब थी. अदालत ने कहा कि आईडीबीआई कार्पोरेट लोन पॉलिसी के मानकों को पूरा न करते हुए भी किंगफिशर को लोन मिला.

अदलात ने माना कि अपीलकर्ता की लोन न चुकाने की मंशा उसकी पुरानी चीजों में दिखी है जिसमें उसने व्यक्तिगत और कार्पोरेट गारंटी को छुपाने की कोशिश की. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया.

करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग मामले में वह भारत में वांछित हैं.


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अब बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइन के 64 साल के प्रमुख ने इस साल फरवरी में सुनवाई के दौरान भारत प्रत्यर्पित किये जाने के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी.

रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश स्टीफन इरविन और न्यायाधीश एलिजाबेथ लांग की दो सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में माल्या की अपील खारिज कर दी. कोरोनावायरस महामारी के कारण जारी ‘लॉकडाउन’ के कारण मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये हुई.

माल्या भारत में 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग मामले से जुड़े हैं.

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