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मंगलवार, 3 जून, 2025
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राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वालों की रहीं अनूठी उपलब्धियां

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(गुंजन शर्मा)

नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) पुस्तकालय स्वचालन से लेकर विज्ञान संग्रहालय की स्थापना तक, 11 वर्षों तक सभी कार्यदिवस पर उपस्थित रहने से लेकर स्कूल परिसर और शौचालयों की स्वयं सफाई करना – ये कुछ उपलब्धियां हैं जो राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वाले 75 विजेताओं के नाम हैं।

पुरस्कार पाने वालों में 50 स्कूल शिक्षक, उच्च शिक्षण संस्थानों के 13 शिक्षक और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के 12 शिक्षक शामिल हैं।

केरल के पलक्कड़ में केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक मुजीब रहमान ने 2007 में एक सॉफ्टवेयर विकसित किया, जो भारत में कई स्कूल पुस्तकालयों तक मुफ्त पहुंच प्रदान करता है।

रहमान को प्रदान किए गए प्रशस्ति पत्र में लिखा है, ‘‘उन्होंने ऑनलाइन सेवाओं तक आसान पहुंच उपलब्ध कराने के लिए लाइब्रेरी वेबसाइट और एक मोबाइल ऐप डिजाइन किया है। एक आईटी विशेषज्ञ के रूप में, उन्होंने 600 पुस्तकालय अध्यक्ष को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है।’’

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित अरुणाचल प्रदेश के रामकृष्ण मिशन स्कूल के नेताई चंद्र डे पिछले 11 वर्षों से सभी कार्य दिवसों पर स्कूल में उपस्थित रहे हैं।

नेताई को प्रदान किए गए प्रशस्ति पत्र में लिखा है, ‘‘डे ने स्कूल में एक विज्ञान संग्रहालय और एक विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए जबरदस्त प्रयास किए हैं। वह पिछले 11 वर्षों से सभी कार्य दिवसों पर स्कूल में उपस्थित रहे हैं। वह औपचारिक शिक्षा प्रदान करने के अलावा छात्रों के चरित्र निर्माण की दिशा में कड़ी मेहनत कर रहे हैं।’’

मणिपुर के चिंगमेई उच्चतर प्राथमिक विद्यालय के निंगथौजम बिनॉय सिंह स्कूल परिसर और शौचालयों की खुद नियमित तौर पर सफाई करते हैं।

सिंह को प्रदान किए गए प्रशस्ति पत्र में कहा गया है, ‘‘सिंह ने अपने स्कूल का जीर्णोद्धार किया, जो उनके शामिल होने के समय खराब स्थिति में था। उन्होंने बुनियादी ढांचे को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्होंने कुछ कार्यों के वास्ते स्वयं के पैसे भी खर्च किए। उन्होंने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के माता-पिता को उन्हें स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया।’’

कश्मीर के अनंतनाग में सरकारी माध्यमिक विद्यालय के रियाज अहमद शेख ने एक नामांकन अभियान की पहल की, जिसमें घर-घर जाकर लोगों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए समझाया गया, जिसके परिणामस्वरूप स्कूल छोड़ चुके 30 छात्रों को वापस लाया गया।

अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, बेंगलुरु के एसोसिएट प्रोफेसर दिनेश बाबू जे. ने एक यूपीएससी आभासी वास्तविकता साक्षात्कार मंच विकसित किया है।

प्रोफेसर दिनेश के पुरस्कार उद्धरण में कहा गया है, ‘‘यह अत्याधुनिक तकनीक एआई और आभासी वास्तविकता को नियोजित करती है, जिसमें पांच आभासी साक्षात्कारकर्ता शामिल होते हैं जो उम्मीदवारों का ऑनलाइन मूल्यांकन करते हैं। ये साक्षात्कारकर्ता अनुवर्ती प्रश्नों को शामिल करते हुए भारतीय इतिहास, संविधान और वर्तमान मामलों जैसे विविध विषयों पर उम्मीदवारों की कुशलता से जांच करते हैं।’’

आईआईटी खड़गपुर की प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने भारत में पहली ‘माइक्रोफ्लुइडिक्स प्रयोगशाला’ की स्थापना की, जो विश्व स्तर पर प्रसिद्ध प्रयोगशालाओं में से एक है।

भाषा शफीक माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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