देहरादून, पांच सितंबर (भाषा) केंद्रीय विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अगली औद्योगिक क्रांति जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित होगी।
उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-रुड़की से जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और हिमालयी संसाधनों में उभरते हुए अवसरों का पता लगाने की अपील की।
आईआईटी-रुड़की के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ”सिविल इंजीनियरिंग और आपदा प्रबंधन में अपनी ताकत को बनाए रखते हुए जैव प्रौद्योगिकी और पुनर्योजी प्रक्रियाओं जैसे नए क्षेत्रों में अवसरों का पता लगाना चाहिए।”
इस संबंध में उन्होंने उदाहरण के तौर पर लैवेंडर की खेती में बैंगनी क्रांति और बायो-ई³ (रोजगार, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था) के तहत नयी जैव प्रौद्योगिकी नीतियों सहित हाल की सरकारी पहलों का भी उल्लेख किया जहां शिक्षा और उद्योग एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
वर्ष 1847 में स्थापित एशिया के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज आईआईटी-रुड़की की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह अनुसंधान, नवाचार और सामाजिक सहभागिता का एक प्रेरणास्रोत है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की कल जारी रेटिंग में भी इस संस्थान को देश में छठा स्थान मिला है। यह संस्थान आईआईटी बनने से पहले रुड़की विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था।
सिंह ने आईआईटी-रुड़की से उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से विशेषकर हिमालयी क्षेत्र में कई जगह बाढ़ आने से हुई तबाही के मद्देनजर अपनी बहुमुखी शिक्षा और हिमालय में स्थित होने के कारण आपदा प्रबंधन से लेकर अर्थव्यवस्था तक हिमालयी विषयों का अध्ययन करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि देश भर में 1.7 लाख स्टार्टअप में से लगभग 240 स्टार्टअप के साथ एक आईआईटी रुड़की भारत के स्टार्टअप आंदोलन में एक बड़ा योगदान दे रहा है।
सिंह ने कहा, ”आपके नौ उत्कृष्टता केंद्र, आपके नौ उत्कृष्टता केंद्र, आपदा जोखिम, लचीलापन और स्थिरता के क्षेत्र में अग्रणी कार्य, तथा वाइब्रेंट विलेज जैसी पहलों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के साथ आपकी गहरी भागीदारी आपको एक शैक्षणिक संस्थान का सच्चा आदर्श बनाती है।”
आईआईटी रुड़की की भूमिका को व्यापक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में रखते हुए डॉ सिंह ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सरकार की भविष्योन्मुखी पहलों पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने वैश्विक स्टार्टअप परिदृश्य में भारत की तीव्र वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि 1.70 लाख पंजीकृत उद्यमों के साथ भारत तीसरे स्थान पर है, जिनमें से लगभग आधे छोटे शहरों और कस्बों से आते हैं।
इस समारोह में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी, निदेशक प्रो केके पंत, उप निदेशक प्रो यू पी सिंह, संकाय सदस्य और छात्र मौजूद रहे।
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दीप्ति, रवि कांत रवि कांत
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