scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमदेशकिसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 3500 करोड़ रुपए की मंजूरी दी

किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 3500 करोड़ रुपए की मंजूरी दी

सरकार ने बुधवार को बिजली क्षेत्र में द्विपक्षीय हितों से जुड़े क्षेत्रों में सूचना और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिये भारत और अमेरिका के बीच समझौते को मंजूरी दे दी.

Text Size:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3,500 करोड़ रुपये की चीनी निर्यात सब्सिडी के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले को किसानों के लिए ‘विशेष खुशी का दिन’ बताया और इससे पैसा सीधे किसानों के खातों में हस्तांतरण होगा तथा चीनी मिल से जुड़े लाखों कामगारों को भी लाभ मिलेगा.

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘देश के करोड़ों अन्नदाताओं के लिए आज विशेष खुशी का दिन है. कैबिनेट ने 5 करोड़ गन्ना किसानों के लिए 3500 करोड़ रुपये की सहायता राशि मंजूर की है. पैसा सीधे उनके खातों में ट्रांसफर होगा. इससे चीनी मिलों से जुड़े लाखों कामगारों को भी लाभ पहुंचने वाला है.’

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में सरकार ने चीनी मिलों के लिए चालू विपणन वर्ष (2020-21) में 3,500 करोड़ रुपये की चीनी निर्यात सब्सिडी को मंजूरी दे दी.

उम्मीद है कि इससे चीनी मिलों का कारोबार बढ़ेगा और नकद धन आने से उन्हें किसानों के गन्ने के बकाये का भुगतान करने में मदद मिलेगी.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक इस निर्णय से पांच करोड़ गन्‍ना किसानों और उनके परिवारों तथा चीनी मिलों एवं अन्‍य सहायक गतिविधियों में काम करने वाले पांच लाख कामगारों को लाभ होगा.


यह भी पढ़ें: UP की सियासत में बड़ी हलचल बनी ओवैसी और राजभर की मुलाकात, अपने मोर्चे में शिवपाल को भी जोड़ने की तैयारी


सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश जारी किया

संचार नेटवर्क की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को दूरसंचार क्षेत्र पर राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश जारी किये. इसके तहत सेवाप्रदाताओं के लिए उपकरणों की खरीद भरोसेमंद स्रोतों से करना अनिवार्य होगा.

विधि एवं दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि यह निर्देश राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से तैयार किया गया है.

प्रसाद ने कहा, ‘देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र पर राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देशों को मंजूरी दे दी है.’ इस निर्देश के प्रावधान के तहत सरकार देश के दूरसंचार नेटवर्क के लिए भरोसेमंद स्रोतों तथा भरोसेमंद उत्पादों की सूची जारी करेगी.

प्रसाद ने कहा, ‘भरोसेमंद उत्पादों का तौर-तरीका अधिकृत प्राधिकरण राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक द्वारा निकाला जाएगा. दूरसंचार सेवाप्रदाता ऐसे नए नेवर्क उपकरणों को ही शामिल कर सकेंगे, जिन्हें भरोसेमंद करार दिया जाएगा.’

भरोसेमंद स्रोत और उत्पाद की सूची उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अगुवाई वाली समिति की मंजूरी पर तैयार की जाएगी. प्रसाद ने कहा, ‘इस समिति में संबंधित विभागों और मंत्रालयों के सदस्यों के अलावा उद्योग के दो सदस्य और स्वतंत्र विशेषज्ञ भी शामिल रहेंगे. इस समिति को दूरसंचार पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति कहा जाएगा.’

इसके अलावा सरकार ऐसे स्रोतों की सूची भी तैयार करेगी जिनसे कोई खरीद नहीं की जा सकेगी. मंत्री ने स्पष्ट किया कि ताजा निर्देश के तहत सेवाप्रदाताओं के नेटवर्क में पहले से लगाए गए उपकरणों को बदलना अनिवार्य नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस निर्देश से वार्षिक रखरखाव अनुबंध भी प्रभावित नहीं होगा. इसमें घरेलू कंपनियों द्वारा विनिर्मित दूरसंचार उपकरणों को भरोसेमंद श्रेणी में डालने का प्रावधान है.


यह भी पढ़ें: शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस विधायक पद से दिया इस्तीफा, भाजपा में हो सकते हैं शामिल


बिजली क्षेत्र में सूचना साझा करने के लिये भारत-अमेरिका के बीच समझौते को मंजूरी

सरकार ने बुधवार को बिजली क्षेत्र में द्विपक्षीय हितों से जुड़े क्षेत्रों में सूचना और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिये भारत और अमेरिका के बीच समझौते को मंजूरी दे दी.

आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में केन्‍द्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) और अमेरिका के संघीय ऊर्जा नियामक आयोग (एफईआरसी) के बीच समझौता ज्ञापन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी. यह समझौता विद्युत क्षेत्रों में आपसी हितों से जुड़े क्षेत्रों में सूचना और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए है.’

बयान के अनुसार यह समझौता ज्ञापन (एमओयू) दक्ष, थोक विद्युत बाजार विकसित करने और ग्रिड विश्‍वसनीयता बढ़ाने के लिए नियामक और नीतिगत ढांचे को बेहतर बनाने में मदद करेगा.

इसमें ऊर्जा से संबंधित मुद्दों की पहचान करना, आपसी हितों के क्षेत्रों में सूचना और नियामक प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान के लिए विषयों तथा संभावित एजेंडों को विकसित करना, अयोजित गतिविधियों में भागीदारी के लिए कर्मचारियों की यात्रा आयोजित करना आदि शामिल हैं.


यह भी पढ़ें: पैनल ने सरकार से कहा- फैकल्टी भर्ती में जाति आधारित आरक्षण से IITs को बाहर रखा जाए


 

share & View comments