नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) भारत अगले तीन वर्षों में नयी पीढी की 400 नयी वंदे भारत ट्रेन बनाएगा और रेलवे छोटे किसानों तथा एमएसएमई के लिए नये उत्पाद भी विकसित करेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपने बजट भाषण में यह घोषणा की।
मंगलवार को संसद में प्रस्तुत किये गये 2022-23 के केंद्रीय बजट में सीतारमण ने रेल मंत्रालय को 1.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये, जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों से 20,000 करोड़ रुपये अधिक हैं।
अधिकारियों के अनुसार, तीसरी पीढी की प्रत्येक वंदे भारत ट्रेन में 16 कोच होंगे और जिसकी एक सेट की लागत 120 करोड़ रुपये होगी। यह पहले संस्करण की तुलना में 20 करोड़ रुपये महंगी होगी। इस संस्करण में बेहतर ऊर्जा दक्षता होगी और वजन में यह ट्रेन हल्की होगी। वर्तमान में, दो वंदे भारत रेलगाड़ियां चल रही हैं और इस श्रेणी में अन्य 44 रेलगाड़ियों के उत्पादन के लिए अनुबंध पहले ही दिए जा चुके हैं। बजट में घोषित 400 नई पीढ़ी की रेलगाड़ियां उन रेलगाड़ियों से इतर होंगी।
सीतारमण ने अगले तीन वर्षों के दौरान बहु-मॉडल लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के लिए 100 ‘पीएम गतिशक्ति’ कार्गो टर्मिनल विकसित करने की योजना का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में चार बहु-मॉडल पार्क के लिए अनुबंध दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘अगले तीन वर्षों में बेहतर ऊर्जा दक्षता और यात्रियों को बेहतरीन यात्रा अनुभव दिलाने वाली नई पीढ़ी की 400 वंदे भारत ट्रेनें तैयार की जाएंगी।’’
सीतारमण ने कहा कि ये नयी ट्रेनें कम वजन की एल्यूमीनियम से बनाई जाएंगी, इस्पात से नहीं। इस लिहाज से प्रत्येक ट्रेन वजन में करीब 50 टन हल्की होगी और इस्पात की रेलगाड़ियों की तुलना में कम ऊर्जा खपत करेंगी।
उन्होंने कहा कि रेलवे छोटे किसानों और सूक्षम, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए नये उत्पाद तथा उपयुक्त लॉजिस्टिक सेवाएं विकसित करेगा और पार्सल की सुगम आवाजाही के लिहाज से डाक तथा रेलवे के नेटवर्कों के एकीकरण की दिशा में भी अगुवाई करेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे में ‘एक स्टेशन-एक उत्पाद’ अवधारणा को लोकप्रिय बनाया जाएगा, ताकि स्थानीय व्यवसायों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को आवश्यक मदद मिले सके। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत वर्ष 2022-23 में 2,000 किलोमीटर लंबे नेटवर्क को ‘कवच’ के अंतर्गत लाया जाएगा, जो सुरक्षा और क्षमता वर्धन के लिए स्वदेशी विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणाओं का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान में चल रही दो वंदे भारत रेलगाड़ियां अत्याधुनिक ट्रेन हैं, लेकिन तीसरे संस्करण की आने वाली रेलगाड़ियां ‘अगली पीढ़ी की ट्रेन’ होंगी।
रेलवे ने दूसरे संस्करण की 44 वंदे भारत रेलगाड़ियों का निर्माण करने की योजना बनाई है ताकि उन्हें 15 अगस्त, 2023 तक कम से कम 75 मार्गों पर चलाया जा सके, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषणा की थी। मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा था कि रेलवे 44 वंदे भारत ट्रेनों का विनिर्माण कर रहा है और 15 अगस्त, 2023 तक कम से कम 75 मार्गों पर इन ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा।
वैष्णव ने कहा कि इन रेलगाड़ियों के दूसरे संस्करण का परीक्षण अप्रैल से शुरू होगा और अगस्त से क्रमिक उत्पादन शुरू होगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हम जो भी नई तकनीक लाते हैं उसे यात्री के नजरिये से देखा जाना चाहिए। नई रेलगाड़ियों में कंपन कम होगा, बेहतर सुरक्षा और अनुभव होगा। हम इस तरह का वंदे भारत लाएंगे।’
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में, 2,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क को 2022-23 में सुरक्षा और क्षमता वृद्धि के लिए स्वदेशी विश्व स्तरीय तकनीक ‘कवच’ के दायरे में लाया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘मेट्रो सिस्टम को सराहनीय बनाने के लिए वित्त पोषण के नवीन तरीकों और तेजी से कार्यान्वयन को प्रोत्साहित किया जाएगा। बड़े पैमाने पर शहरी परिवहन और रेलवे स्टेशनों के बीच मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता के आधार पर सुविधा प्रदान की जाएगी।
बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, संयुक्त उद्यमों और विशेष उद्देश्य वाले वाहनों में निवेश के लिए 38686.59 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।
रॉलिंग स्टॉक विकसित करने के लिए 7,977 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है, जिससे रेलवे में नये अत्याधुनिक कोच और प्रौद्योगिकी लाने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने समर्पित माल ढुलाई कॉरीडोर (डीएफसी) के लिए 15,710.14 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। परिचालन और रखरखाव के लिए रेलवे द्वारा इन परिसम्पत्तियों को मुद्रीकृत किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने पटरियों के नवीनीकरण के लिए 13335.47 करोड़, अमान परिवर्तन के लिए 2850 करोड़ और दोहरीकरण के लिए 12,108 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। नयी लाइन के लिए भी 25,243 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।
भाषा सुरेश सुभाष
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