नई दिल्ली: सीएमआईई द्वारा मंगलवार को जारी किए आंकड़ें दिखाते हैं कि भारत में मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रैल के पहले हफ्ते में बेरोजगारी दर 23 प्रतिशत को भी पार कर गई है. कोविड-19 और 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन जिसकी 24 मार्च को घोषणा की गई थी, उसकी वजह से यह आर्थिक गिरावट देखी जा रही है.
सीएमआईई ने कहा कि साप्ताहिक आंकड़ों में इस तरह की बढ़ोतरी ने मार्च महीने में बेरोजगारी की दर 8.7 प्रतिशत पर ला दी है जो कि सितंबर 2016 के बाद से यानि की 43 महीनों में सबसे ज्यादा है.
फरवरी में बेरोजगारी की दर 7.7 प्रतिशत थी वहीं जनवरी में ये 7.1 प्रतिशत थी.
डेटा, विनिर्माण और सेवा उद्योग में आर्थिक गतिविधियों में एक ठहराव के महत्वपूर्ण सबूत को मजबूत करता है जिससे बड़े पैमाने पर नौकरी का नुकसान हुआ है और बड़े शहरों से प्रवासी लोगों का पलायन हुआ है. छोटे उद्योगों से जुड़े मजदूर और कामगर, निर्माण और टेक्सटाइल, हॉटल, रेस्तरां और दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
सीएमआईई मासिक और रोजाना के औसत स्तर पर बेरोजगारी के आंकड़े जारी करता है.
‘परेशान करने वाले आंकड़े’
सीएमआईई के मैनेडिंग डायरेक्टर और कार्यकारी प्रमुख महेश व्यास ने मार्च महीने के आंकड़ों को परेशान करने वाला बताया है.
सीएमआईई की वेबसाइट पर लिखे एक नोट में व्यास ने लिखा है, ‘इस बात के सबूत हैं कि रोजगार के मौके कम हो रहे हैं और मार्च 2020 में बेरोजगारी में भी तेज़ी आ रही है. यह बेरोजगारी दर की बढ़त में भी दिखलाई पड़ रहा है.’
उन्होंने लिखा, मार्च 2020 में लेबर पार्टिसिपेशन दर अब तक सबसे कम रहा है, बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी हुई है और रोजगार दर भी अब तक के सबसे निचले स्तर पर है…मार्च में, देश में श्रम भागीदारी दर या सक्रिय कार्यबल जो या तो कार्यरत है या बेरोजगार है, लेकिन सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश पहली बार 42 फीसदी से नीचे गिरकर 41.9 फीसदी हो गई, जो जनवरी में 42.96 फीसदी थी.
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व्यास ने कहा कि गिरावट 90 लाख लोगों के श्रम बल से बाहर निकलने का परिणाम थी, जो मार्च में घटकर 43.4 करोड़ हो गई, जो जनवरी में 44.3 करोड़ थी. महीने में रोजगार की दर भी घटकर 38.2 प्रतिशत पर आ गई. बिजनेस डेली मिंट ने सबसे पहले नंबर की सूचना दी थी.
हालांकि, सीएमआईई प्रमुख ने आगाह किया कि मार्च के अंत की ओर नमूना आकार राज्य के शटडाउन और बाद के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण थोड़ा कम था. नमूने का आकार लगभग 84,000 था, जिसका औसत नमूना आकार 1.17 लाख होता था.
‘कोविड-19 का खतरा’
भारत के पूर्व प्रमुख सांख्यिकीविद और आर्थिक आंकड़ों पर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा गठित एक समिति के अध्यक्ष प्रोनोब सेन ने कहा कि बेरोजगारी में ये वृद्धि पहले से ही अनुमानित थी.
हालांकि, आने वाले हफ्तों में बेरोजगारी के स्तर में सुधार इस बात पर निर्भर करेगा कि उत्पादन कैसे सुचारू तौर पर शुरू होता है.
उन्होंने कहा, ‘इस समय, अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बंद है. जब शटडाउन हटेगा तब कई तरह के कारक और सामने आएंगे. उद्योग कैसे उत्पादन वापस लाएंगे, क्या जो श्रमिक घर वापस गए हैं वे तुरंत वापस आ जाएंगे? इसके अलावा, डर एक और कारक होगा’.
सेन ने कहा, ‘जब तक लोगों के मन से कोविड-19 का डर चला नहीं जाता तब तक अनिश्चितता बनी रहेगी’.
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