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Wednesday, 1 May, 2024
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झारखंड में बेरोजगारी चरम पर, स्किल इंडिया योजना में ट्रेनी तो बढ़े लेकिन रोजगार नहीं मिल रहा

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना मोदी सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक है. इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य 2020 तक एक करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग देना है.

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नई दिल्ली : झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए आज पहले चरण का मतदान जारी है. यहां पांच चरणों में मतदान होने हैं. इस चुनाव में कई मुद्दों पर विपक्ष सूबे में मौजूद भाजपा सरकार को घेर रहा है. इसमें बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने जब लोकसभा चुनाव के वक्त एक सर्वे किया था तो झारखंड के मतदाताओं ने बताया था कि उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है. जल-जंगल और जमीन के मुद्दों वाले राज्य में तमाम पार्टियां अलग-अलग दावे पेश कर रही हैं. लेकिन राज्य में बेरोजगारी को लेकर नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के आंकड़ें चौंकाने वाले हैं.

एनएसएसओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड समेत देश के 11 राज्यों में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है. गौरतलब है कि एनएसएसओ एक सरकारी संस्था है जो देश के सभी राज्यों में बड़े पैमाने पर सर्वे कराती है.

3.30 करोड़ आबादी वाले इस राज्य में 50 फीसदी लोग खेती-बाड़ी पर निर्भर हैं तो बची आधी आबादी माइनिंग, सर्विस सेक्टर, निर्माण व वित्तीय कार्यों में लगी है. बेरोजगारी के इतर अगर गरीबी की बात करें तो राज्य के 39.1% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये रेट 29.8 % है. गरीबी और बेरोजगारी की मार झेल रहे झारखंड में भाजपा की सरकार है और केंद्र में भी.

पिछले पांच सालों में स्किल इंडिया की विभिन्न स्कीमों पर झारखंड का क्या प्रदर्शन रहा. आइए देखते हैं-

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना मोदी सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक है जिसे जुलाई 2015 में शुरू किया गया. इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य 2020 तक एक करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग देना रखा गया है. कम पढ़े-लिखे या बीच में ही स्कूली पढ़ाई छोड़ चुके युवाओं को रोजगार मुहैया कराना भी इस योजना का उद्देश्य है.

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इस योजना में दाखिला लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ी है. जैसे 2016-17 में 10,920 अभ्यर्थियों ने दाखिला लिया, 2017-18 में 51,383, तो 2018-19 में इस योजना के तहत दाखिला लेने वालों की संख्या 1,06, 841 रही जो 2019-20 में बढ़कर 64,99,773 अभ्यर्थी हो गई है.


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झारखंड में 2019-20 वित्तीय वर्ष के अक्टूबर महीने तक 1,82,087 दाखिला ले चुके हैं लेकिन प्रशिक्षण 1,75,146 को ही मिल सका है. प्रशिक्षित हुए ट्रेनी में से 1,28,926 को ही प्रमाणित किया गया और इसमें से नियुक्त होने वाले लोगों की संख्या महज 18,567 ही है. दाखिला लेने वालों और चयनित हुए लोगों की संख्या में बड़ा फर्क है.

अगर जिलों की बात करें तो सबसे ज्यादा राजधानी रांची (10,305 दाखिले) से नियुक्त (2564) हुए हैं. सबसे कम पाकुड़ जिले से जहां दाखिला 16,557 ने लिया था और नियुक्ति 113 लोगों की ही हो पाई. दूसरा सिमडेगा जिला है जहां 17, 407 दाखिलों में केवल 178 नियुक्तियां ही हो पाई हैं.

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि 2022 तक झारखंड के 20 लाख युवाओं को ‘नौकरी‘ देंगे. वहीं 27 नवंबर को बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र जारी करते वक्त उन्होंने कहा था कि इस पांच साल के दौरान उनकी सरकार ने एक लाख भर्तियां की हैं.

आंकड़ों के उलट है स्थिति

रांची के टाटीसिलवे स्थित सरोजनी टेक्निकल इंस्टीट्यूट में छात्रों की हालत बेहद खराब है. कोऑर्डिनेटर सुरेन्द्रनाथ महतो ने बताया कि यहां ‘फिटर’ और ‘इलेक्ट्रीशियन’ की ‘ट्रेनिंग’ दी जाती है. हर वर्ष सेकेंड ईयर में 365 छात्र होते हैं. अब तक इनमें से मात्र 12 का प्लेसमेंट हो पाया है.

यहीं के एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिन 12 लोगों का प्लेसमेंट हुआ है, उनमें से मात्र 8 को ही जॉब का ऑफर लेटर मिला है. वो भी कितने दिन तक जॉब में रहेंगे ये कोई नहीं जानता.

बीते साल 9 अप्रैल को दैनिक जागरण में छपी एक खबर के मुताबिक कौशल विकास प्रशिक्षण में 29.83 करोड़ का घोटाला खुद सरकार के अधिकारियों ने किया. इसके मुताबिक योजना के तहत होने वाले वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर प्रशिक्षण में बिना ट्रेंड किये पैसे का भुगतान कर दिया गया. कई संस्थाओं का पता भी गलत है.

अप्रेंटिसशिप (प्रशिक्षु)

2016 में भारत सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के साथ नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम शुरू की थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को प्रशिक्षित करके उन्हें रोजगार प्रदान करना है. इसके साथ ही प्रत्येक वित्तीय वर्ष के हिसाब से प्रशिक्षुओं की संख्या भी तय की गई जैसे 2016-17 में 5 लाख, 2017-18 में 10 लाख, 2018-19 में 15 लाख और 2019-2020 में 50 लाख प्रशिक्षुओं को तैयार किए जाने का लक्ष्य रखा गया था.

अगर झारखंड की बात करें तो मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2015-16 में 5193 प्रशिक्षु दाखिल हुए थे तो 2016-17 में 4443, 2017-18 में 2983, और 2018-19 में ये संख्या महज 1691 है.


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झारखंड में केंद्र प्रायोजित कौशल विकास केंद्र की मॉनिटरिंग राज्य सरकार की संस्था झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी करती है. रांची जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर कॉटन ब्लॉसम (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड नाम की कपड़े की कंपनी ने अपनी फैक्ट्री लगाई है. यहां कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र भी चल रहा है.

सेंटर इंचार्ज इंद्रजीत ने बताया कि यह पहला बैच है. इस वक्त कुल 210 लड़कियों- महिलाओं को ‘प्रशिक्षण’ दिए जाने का काम किया जा रहा है. कंपनी में आने वाले समय में 2500 ऐसे कामगारों की जरूरत है. हम इस योजना के तहत 1800 को ट्रेनिंग और जॉब देंगे. उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें प्रति महिला ट्रेनिंग के लिए 1.50 से 2 रुपए प्रति घंटे की दर से मेहनताना दिया जाता है.

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