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Saturday, 18 May, 2024
होमदेशउमर खालिद 7 दिन की जमानत पर तिहाड़ जेल से रिहा, बहन की शादी में होंगे शामिल

उमर खालिद 7 दिन की जमानत पर तिहाड़ जेल से रिहा, बहन की शादी में होंगे शामिल

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कड़कडडूमा कोर्ट में एक रिपोर्ट पेशकर अदालत कहा था कि उमर खालिद की रिहाई से अशांति पैदा होगी.

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नई दिल्ली: जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत के 12 दिसंबर के आदेश के मुताबिक तिहाड़ जेल से रिहा हो गये हैं, उन्हें अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए 7 दिनों की अंतरिम जमानत दी गई थी.

उमर खालिद को आज तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया. 12 दिसंबर को, दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के बड़े साजिश मामले में आरोपी स्टूडेंट एक्टिविस्ट उमर खालिद को एक सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी.

कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 23 दिसंबर से खालिद को एक सप्ताह की अवधि के लिए जमानत दी थी.

खालिद को 28 दिसंबर को अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए जमानत मिली है. उन्हें 30 दिसंबर को सरेंडर करना है. वह शादी में शामिल होने के लिए दो हफ्ते की अंतरिम जमानत मांगी थी.

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6 नवंबर को दलीलों के दौरान खालिद के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पाइस ने अदालत को आश्वासन दिया था कि अगर उनकी बहन की शादी के लिए अंतरिम जमानत दी गई तो वह मीडिया से बात नहीं करेंगे या कोई साक्षात्कार नहीं देंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि वह अदालत द्वारा लगाई गई किसी भी शर्त का पालन करेंगे, जिसमें उनकी लाइव लोकेशन भी शामिल है.

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने यह पेश किया था कि अंतरिम जमानत पर खालिद की रिहाई से अशांति हो सकती है. दिल्ली पुलिस ने खालिद की ओर से दायर अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कड़कड़डूमा कोर्ट में दायर एक रिपोर्ट पेश की थी.

वरिष्ठ अधिवक्ता ने उन मामलों का भी उल्लेख किया जिनमें यूएपीए के तहत आरोपी को अंतरिम जमानत दी गई थी. उन्होंने सिद्दीकी कप्पन के मामले का भी उल्लेख किया जहां सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया से बातचीत न करने की शर्त लगाते हुए अंतरिम जमानत दी थी.

पाइस ने कहा था कि सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी. एक शर्त लगाई गई थी. कृपया शर्त देखें – मेरे मुवक्किल पर भी यही शर्त रखी जा सकती है. अपनी (खालिद की) यात्रा के दौरान, वह मीडिया को कोई साक्षात्कार नहीं देंगे.

वकील ने सह-आरोपी इशरत जहां के मामले का भी जिक्र किया जिसे अपनी शादी के लिए 10 दिनों की अंतरिम जमानत दी गई थी.

दूसरी ओर, विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने जमानत याचिका का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि सिद्दीकी कप्पन के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत दी गई थी और उद्धृत अन्य निर्णय उमर खालिद के मामले में लागू नहीं होता है.

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