scorecardresearch
Friday, 18 October, 2024
होमदेशयूक्रेन के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी से बात की, यूएनएससी में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी से बात की, यूएनएससी में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा

Text Size:

नयी दिल्ली, 26 फरवरी (भाषा) यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातचीत की और अपने देश के खिलाफ रूस के सैन्य हमले को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा। इस दौरान, भारत ने दोनों देशों के बीच शांति बहाली के प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने वहां जारी संघर्ष की वजह से जान व माल को हुए नुकसान पर गहरी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने भारतीय नागरिकों को जल्द और सुरक्षित निकालने के लिए यूक्रेन के अधिकारियों से उपयुक्त कदम उठाने का भी अनुरोध किया।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ राष्ट्रपति जेलेंस्की की टेलीफोन पर यह बातचीत यूएनएससी में अमेरिका के उस प्रस्ताव पर हुए मतदान से भारत के अलग रहने के कुछ घंटों बाद हुई, जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की ‘‘कड़ी शब्दों में निंदा’’ की गई थी।

जेलेंस्की ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बात की। यूक्रेन द्वारा रूसी आक्रमण का मुकाबला करने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जमीन पर एक लाख से अधिक आक्रमणकारी हैं। वे आवासीय इमारतों पर अंधाधुंध गोलाबारी कर रहे हैं। भारत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमें राजनीतिक समर्थन देने का आग्रह किया गया। एक साथ मिलकर हमलावरों को रोकते हैं।’’

दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है। रूसी सेना पहले ही यूक्रेन के प्रमुख शहरों पर कब्जा कर चुकी है। इन्हीं परिस्थितियों में जेलेंस्की ने विश्व बिरादरी से यूक्रेन को समर्थन और सहयोग करने की अपील की।

पीएमओ ने कहा कि राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन में जारी संघर्ष की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

बयान में कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने तत्काल हिंसा समाप्त करने और वार्ता की ओर लौटने के अपने आह्वान को दोहराया और वहां शांति बहाली के प्रयासों में किसी भी प्रकार का योगदान देने की पेशकश की।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में मौजूद भारतीयों की सुरक्षा को लेकर भारत की गहरी चिंताओं से भी राष्ट्रपति जेलेंस्की को अवगत कराया।

भारत की चिंता फिलहाल अपने 16,000 नागरिकों को सुरक्षित निकालने की है। इनमे से अधिकांश छात्र हैं, जो वहां अभी फंसे हुए हैं।

भारत की कोशिश इन नागरिकों को हंगरी, पोलैंड और स्लोवाकिया के रास्ते स्वदेश वापस लाने की है।

इस बातचीत के दौरान, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपने देश के खिलाफ रूस के सैन्य हमलों को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा।

भारत ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की ‘कड़े शब्दों में निंदा’ करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर हुए मतदान में तटस्थ रुख अपनाया। सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था।

भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए कहा है कि मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से बात करने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के लिए भारत का समर्थन मांगने के एक दिन बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया।

टेलीफोन पर हुई बातचीत में, कुलेबा ने जयशंकर से आग्रह किया था कि वह संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर समर्थन देने के अलावा रूस पर भारत के प्रभाव का इस्तेमाल कर “सैन्य आक्रमण” को रोकने का प्रयास करें।

कुलेबा ने एक ट्वीट में कहा था कि उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह रूस के साथ संबंधों में अपने प्रभाव के जरिये यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को समाप्त करने का प्रयास करे।

उन्होंने कहा था, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत से आग्रह किया कि वह यूक्रेन में शांति बहाल करने के लिए आज के मसौदा प्रस्ताव का समर्थन करे।”

पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद में शुक्रवार दोपहर अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ। इसे ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, जॉर्जिया, जर्मनी, इटली, सहित संयुक्त राष्ट्र के 67 सदस्य देशों के एक ‘‘क्रॉस रीजनल’’ समूह ने सह प्रस्तावित किया था।

भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) मतदान से दूर रहे। वहीं अल्बानिया, ब्राजील, फ्रांस, गाबोन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नार्वे, ब्रिटेन और अमेरिका सहित कुल 11 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित नहीं हो सका क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने इस पर वीटो किया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने मतदान पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा, ‘‘भारत, यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम से बेहद विचलित है। हम अपील करते हैं कि सारे प्रयास हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने की दिशा में होने चाहिए।’’

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments