नई दिल्लीः यूके स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था द्वारा की गई एक जांच में ऐसे कई फेक एकाउंट्स पाए गए जो सिख बनकर भारत में किसान आंदोलन को बदनाम करने और सिख हितों को चरमपंथी के रूप में दिखाने वाली सामग्री शेयर कर रहे थे.
बुधवार को जारी बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन रेजिलिएंस (CIR) – एनालिसिस ऑफ दि #रियल सिख इन्फ्लुएंस ऑपरेशन – शीर्षक से किए गए शोध ने नकली खातों के रूप एक मुख्य नेटवर्क की पहचान की, जो भारतीय राष्ट्रवाद के समर्थन करने वाले अन्य खातों से जुड़कर एक खास तरह की सोचल मीडिया सामग्री पोस्ट कर रहे थे.
शोध के लेखक और सीआईआर के जांच निदेशक बेंजामिन स्ट्रिक के अनुसार, ऐसे अस्सी खाते पाए गए, जिन्हें अब सस्पेंड कर दिया गया है. इन खातों की गतिविधि को ट्विटर एपीआई, हैशटैग और विज़ुअलाइज्ड डेटा का उपयोग करके ट्रैक किया गया था.
स्ट्रिक ने कहा, ‘हमारा शोध दिखता है कि तयशुदा प्रयासों के माध्यम से किसान आंदोलन को बदनाम करने, राजनीतिक हितों को चरमपंथी के रूप में दिखाने, भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदायों के भीतर सांस्कृतिक तनाव को बढ़ावा देने और भारत सरकार की सामग्री को प्रचारित करने के मिले-जुले प्रयास किये गए.
स्ट्रिक ने कहा, ‘इन एकाउंट्स ने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अकाउंट्स के एक कोर नेटवर्क के माध्यम से अपने मैसेजिंग को बढ़ाया, जो सेलिब्रिटी सोशल मीडिया अकाउंट्स से चोरी की गई प्रोफाइल तस्वीरों का इस्तेमाल करते थे और सिख समुदाय के वैध सदस्यों के रूप में दिखने के लिए सिख समुदायों में आम नामों का इस्तेमाल करते थे.’
कई प्लेटफॉर्म्स पर एक ही प्रोफाइल
रिपोर्ट के अनुसार, खातों कि बायो में ‘रियल सिख’ और ‘प्राउड इंडियन्स’ होने का दावा किया और मशहूर हस्तियों के सोशल मीडिया खातों से चोरी की गई प्रोफ़ाइल तस्वीरों का इस्तेमाल किया. अकाउंट एक ही कंटेंट को कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर रहे थे.
इन सभी खातों में #RealSikhAgainstKhalistanis #Khalistanis #SikhRejectKhalistan जैसे हैशटैग का इस्तेमाल किया गया.
‘भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से नेटवर्क ने अपनी गतिविधि बढ़ा दी. किसानों के विरोध और खालिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन दोनों ही इन फर्जी खातों के मुख्य नेटवर्क के दो मुख्य विषय रहे हैं, ‘रिपोर्ट में कहा गया है.
इनमें से कई खातों ने सेना से संबंधित सामग्री पोस्ट की, और ‘राष्ट्रवादियों’ को उन समूहों को ‘काउंटर और बेनकाब’ करने का आह्वान किया, जिन्हें वे चरमपंथी कहते थे.
रिपोर्ट के अनुसार, इन सोशल मीडिया प्रोफाइलों द्वारा शेयर किये गए कई मीम्स और टेक्स्ट इस कथन को बढ़ावा दे रहे थे कि खालिस्तानी आंदोलन ‘किसानों के विरोध को हाईजैक करने की कोशिश कर रहा था’, और यह कि किसान आंदोलन ‘आतंकवाद’ और ‘खालिस्तान’ के बारे में था.’
इन खातों द्वारा निर्मित सामग्री का विभिन्न वेरिफ़ाइड अकाउंट्स द्वारा भी समर्थन किया गया था.
नकली छवियों का उपयोग करने के अलावा, ये एकाउंट्स एक जैसे हैशटैग का उपयोग कर रहे थे, एक प्रकार की सामग्री पोस्ट कर रहे थे, और उनके फोल्लोवेर्स की संख्या लगभग समान थी.
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