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Sunday, 22 December, 2024
होमरिपोर्टUGC ने विश्वविद्यालयों से कहा, छात्रों को लोकल भाषाओं में परीक्षा देने की इजाजत दें

UGC ने विश्वविद्यालयों से कहा, छात्रों को लोकल भाषाओं में परीक्षा देने की इजाजत दें

चेयरमैन एम जगादेश के भेजे गए पत्र में कहा गया है कि, ‘उपरोक्त संदर्भ में यह अनुरोध किया जाता है कि निर्धारित एक्सेल प्रारूप में जानकारी संकलित करें और अन्य आवश्यक विवरणों के साथ इसे गूगल फार्म में लिंक पर अपलोड करें.’

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नयी दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन एम जगादीश कुमार ने बुधवार को सभी विश्वविद्यालयों को वाइस चांसलरों को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालयों के छात्रों को लोकल भाषा में परीक्षा की अनुमति देने को कहा है, भले ही प्रोग्राम अंग्रेजी माध्यम का हो.

यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर यह आग्रह किया है.

उन्होंने इसमें जिक्र किया है कि शिक्षा में भारतीय भाषाओं का प्रचार और इस्तेमाल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के फोकस में है.

इसमें कहा गया है कि, ‘नीति मातृ भाषाओं में शिक्षण और निर्देश के महत्व पर जोर देती है.’

आयोग ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान पाठ्य पुस्तकें तैयार करने और मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

आयोग ने जोर देकर कहा कि इन प्रयासों को मजबूत करना और ‘मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लिखने और अन्य भाषाओं से मानक पुस्तकों के अनुवाद समेत शिक्षण में उनके उपयोग को प्रोत्साहित करने जैसी पहल को बढ़ावा देनाट आवश्यक है.

कुमार ने पत्र में लिखा है, ‘इसलिए आयोग अनुरोध करता है कि आपके विश्वविद्यालय में छात्रों को परीक्षाओं में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दी जाए, भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हों. मौलिक लेखन का स्थानीय भाषा में अनुवाद व शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में स्थानीय भाषा के उपयोग को विश्वविद्यालयों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए.’

पत्र में कहा गया है कि उपरोक्त कदमों के संदर्भ में रणनीति बनाने के लिए निम्नलिखित जानकारी प्रदान करने का आग्रह किया जाता है. इसमें मुख्य विषयों/पाठ्यक्रमों की विषयवार सूची जिसके लिए पाठ्य पुस्तकों/संदर्भ पुस्तकों/अध्ययन सामग्री को स्थानीय भाषाओं में अवश्य लिखा या अनुवादित किया जाना चाहिए.

इसमें संस्थानों/विश्वविद्यालयों में वैसे शिक्षकों/विषय विशेषज्ञों/अध्येताओं की विषयवार उपलब्धता के बारे में बताने को कहा गया है जो स्थानीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकों/संदर्भ पुस्तकों/अध्ययन सामग्री का अनुवाद कर सकते हैं.

इसमें स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों के मुद्रण के लिए स्थानीय प्रकाशकों की उपलब्धता के बारे में बताने और अध्ययन सामग्री को स्थानीय भाषाओं में लाने की सफलता की योजना पर चर्चा करने को कहा गया है.

पत्र में कहा गया है कि, ‘उपरोक्त संदर्भ में यह अनुरोध किया जाता है कि निर्धारित एक्सेल प्रारूप में जानकारी संकलित करें और अन्य आवश्यक विवरणों के साथ इसे गूगल फार्म में लिंक पर अपलोड करें.’

कुमार ने कहा कि शिक्षा में भारतीय भाषाओं का संवर्धन और नियमित उपयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ध्यान देने योग्य एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यह नीति मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में शिक्षण और सम्प्रेषण के महत्व पर जोर देती है.

(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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